ब्रांडिंग में रंगीन मुद्रण का महत्त्व और धातुओं पर रंग मुद्रण की तकनीक

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ब्रांडिंग में रंगीन मुद्रण का महत्त्व और धातुओं पर रंग मुद्रण की तकनीक

हमारे जीवन में रंग अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बिना रंगों के जीवन की कल्पना भी फीकी-फीकी सी लगती है। जीवन के प्रत्येक पहलू में, चाहे वह व्यक्तिगत हो, सामाजिक हो अथवा व्यापारिक, रंगों की एक अहम भूमिका होती है। विपणन में रंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी कंपनी की ब्रांडिंग और लोगो (Logo) डिजाइन करते समय रंगों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। क्योंकि उस विशेष कंपनी का नाम आते ही सबसे पहले चयनित विशिष्ट रंग में कंपनी का लोगो ही लोगों के दिमाग में आता है। उदाहरण के लिए जब आप स्टारबक्स (Starbucks) के विषय में सोचते हैं तो आपके मस्तिष्क में सबसे पहले हरा रंग सामने आता है। मैकडॉनल्ड्स (McDonalds) के विषय में सोचते ही पीला रंग और फेसबुक के विषय में सोचने पर नीला रंग सबसे पहले ध्यान में आता है।ये ब्रांड रंग ब्रांडो से संबंधित सभी वस्तुओं में देखे जा सकते हैं। फेसबुक की वेबसाइट (Website), लोगो, और यहाँ तक कि उपयोगकर्ता अनुभव (Likes) का रंग भी नीला है। स्टारबक्स के स्टोर में, कर्मचारियों की वर्दी पर, वेबसाइट और ऐप (App) पर और पैकेजिंग पर सभी जगह हरा रंग देखा जा सकता है। आज के प्रौद्योगिकी और ब्रांडिंग के युग में मुद्रण तकनीक और रंगीन मुद्रण के महत्व से हम सभी परिचित हैं। आइए आज के अपने इस लेख में हम ब्रांड रंगों के महत्त्व पर चर्चा करते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि धातुओं पर रंग मुद्रण कैसे किया जाता है।
रंगों में विशिष्ट भावनाएँ उत्पन्न करने की क्षमता होती है। ब्रांड अपने ग्राहकों के साथ मजबूत भावनात्मक संबंध बनाना चाहते हैं और यह केवल ‘लोगो’ के साथ नहीं किया जा सकता है; इन भावनाओं को विकसित करने के लिए रंगों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, एक ही रंग को दोहराने से लोग एक ब्रांड को उसी रंग से पहचानने लगते हैं जिससे कि वह रंग उस ब्रांड की पहचान बन जाता है। यदि चयनित रंग ब्रांड द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की भावनाओं के अनुरूप होते हैं तो निश्चित ही लक्षित बाजार प्राप्त करना आसान हो जाता है। इसलिए कंपनियों द्वारा अपना विशिष्ट लोगो बनाने के लिए विशिष्ट प्रकार की मुद्रण तकनीकों का उपयोग किया जाता है। मुद्रण वास्तव में एक ऐसी तकनीक है जिसमें लेखन या चित्रण को रूप प्रदान करने के लिए एक निर्दिष्ट सतह पर एक निश्चित मात्रा में रंगद्रव्य पर दबाव डाला जाता है। हालांकि, आज आधुनिक युग में लेखन या चित्रण के लिए मुद्रण केवल दबाव की यांत्रिक अवधारणा या रंगद्रव्य की भौतिक अवधारणा पर निर्भर नहीं रह गया है, बल्कि इनका स्थान नई आधुनिक प्रक्रियाओं ने ले लिया है। मुद्रण को अब स्थायी सतह पर लेखन और चित्रण को रूप देने के लिए काले और रंगीन दोनों तरह से किया जा सकता है और एक ही प्रति की असंख्य समान प्रतियाँ बनाई जा सकती हैं। रंगीन मुद्रण के तहत मुद्रित पृष्ठ पर चित्रात्मक सामग्री को रंगीन रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
रंगीन मुद्रण के लिए अब मुख्य रूप से CMYK रंग प्रणाली, जिसे चार-रंग प्रक्रिया भी कहते हैं, का उपयोग रंगों की पूरी श्रृंखला तैयार करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, पुनरुत्पादित की जाने वाली सामग्री (लेखन या चित्रण) को तीन मूल रंगों और काले रंग में विभाजित किया जाता है। काले रंग का उपयोग घनत्व और छवि में रंगों की तुलना के लिए किया जाता है। इस प्रणाली का मूल रंग सियान (Cyan) हैं, जो नीले और हरे रंग के संयोजन से बनता है, जबकि मैजेंटा (Magenta), लाल और नीले रंग के संयोजन से, और पीला, लाल और हरे रंग के संयोजन से बनता है। मुद्रण का ही एक रूप धातु मुद्रण है। धातु मुद्रण प्राचीन काल से ही आत्म-अभिव्यक्ति का एक रूप रहा है। धातु मुद्रण एक चिकने धातु पैनल (आमतौर पर एल्यूमीनियम) पर किसी भी छवि को स्तरित करके बनाया जाता है। इसमें छवि को मुद्रित करने से पहले आधार पर एक सफेद परत लगाई जाती है। जिससे छवि के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य सभी रंग उभरकर आते हैं। धातु मुद्रण तस्वीरों को उच्च स्पष्टता युक्त दृश्य गुणवत्ता और मनमोहक रंगों में प्रदर्शित करने का एक अत्यंत आधुनिक तरीका है। धातु मुद्रण मुख्य रूप से दो आधार रंग लेपन में उपलब्ध हैं, एक अपारदर्शी सफेद लेपन और एक पारदर्शी लेपन। यह आधार लेपन कागज के समान ही कार्य करता है।
धातु चित्र पैनल में आधार लेपन के बाद उपयुक्त रंगों से चित्र निर्माण किया जाता है जहाँ आधार लेपन द्वारा विभिन्न रंगों को अवशोषित किया जाता है। फिर इस आधार पर एक बाहरी लेपन लगाकर उसे संरक्षित किया जाता है। यह बाहरी लेपन चमकदार, चमकरहित या साटन जैसी फिनिश (Finish) में उपलब्ध होता है। धातु मुद्रण डाई ऊर्ध्वपातन नामक प्रक्रिया का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकने वाली मुद्रण की पारंपरिक विधि के विपरीत मुद्रण को स्थायित्व और सुरक्षा प्रदान करने के लिए छवि को एक कठोर लेपन में डाल दिया जाता है। पहले चरण में छवि को धातु मुद्रण प्रक्रिया के लिए बनाई गई विशेष उर्ध्वपातन स्याही के साथ एक प्रिंटर से कागज पर मुद्रित जाता है। इस चरण के तहत किया गया मुद्रण मूल छवि की दर्पण प्रति के समान प्रतीत होता है। फिर कागज की इस शीट को खाली धातु फोटो पैनल पर लगाया जाता है जिसे बाद में ऊष्मित दबाव में रखा जाता है। गर्मी और दबाव के कारण उर्ध्वपातन स्याही गैस में बदल जाती है। फिर गैस को धातु के पॉलिमर लेपन के छिद्रों के माध्यम से आधार लेपन में अवशोषित किया जाता है। जैसे ही धातु ठंडी होती है, छिद्र बंद हो जाते हैं और धातु की सतह स्थिर हो जाती है।

संदर्भ
https://shorturl.at/HIJR7
https://shorturl.at/btwX9
https://shorturl.at/yRT59
https://shorturl.at/ouBDV
https://rb.gy/6ghq3q

चित्र संदर्भ

1. विभिन्न कंपनियों के लोगो और रंग प्रणाली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. चीन में मैकडॉनल्ड्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नाट्यशास्त्र में भावों के आधार पर रंगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. धातु मुद्रण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक प्रिंटर से निकलते चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)