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मोटापा एक लंबे समय तक रहने वाली स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें शरीर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है और कई बीमारियों का कारण बन सकती है, जैसे कि दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कुछ प्रकार के कैंसर, और नींद में रुकावट। 2022 में, भारत में लगभग 70 मिलियन (7 करोड़) वयस्क मोटापे से पीड़ित थे, जिनमें 44 मिलियन (4.4 करोड़) महिलाएं और 26 ( 2.6 करोड़) मिलियन पुरुष शामिल थे। इसमें से कुछ लोग जौनपुर के भी हो सकते हैं। एक लांसेट अध्ययन के अनुसार, 2050 तक भारत में मोटे और अधिक वजन वाले लोगों की संख्या 440 मिलियन (44 करोड़) से अधिक हो सकती है।
अधिक कैलोरी, शक्कर और अस्वास्थ्यकर वसा से भरपूर खाद्य पदार्थ, साथ ही अत्यधिक प्रसंस्कृत और फ़ास्ट फ़ूड, मोटापे का कारण बन सकते हैं। आज हम जानेंगे कि भारत में मोटापे से प्रभावित लोग कहाँ हैं और कौन से क्षेत्र और लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। फिर हम यह समझेंगे कि मोटापा क्यों होता है और इसके पीछे के मुख्य कारण कौन से हैं। इसके बाद, हम बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index) के बारे में जानेंगे और यह कैसे मोटापे की माप करता है। अंत में, हम भारत में मोटापे से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करेंगे और मोटापे को रोकने और इलाज करने के सबसे अच्छे तरीके जानेंगे, जो विशेषज्ञों की सलाह और स्वास्थ्य पहलों पर आधारित हैं।
भारत में मोटापे से जूझती जनसंख्या
हाल ही में लांसेट (Lancet) में छपी एक स्टडी के अनुसार, भारत में लगभग 7 करोड़ वयस्क या तो अधिक वज़न वाले हैं या मोटापे से पीड़ित हैं। इसके अलावा, भारत के 6.2 करोड़ डायबिटीज़ के मरीज़ों में मोटापे से जुड़ी कई समस्याएँ पाई गईं — जैसे शरीर में ज़्यादा चर्बी जमा होना, पेट के आस-पास वसा बढ़ जाना, और शरीर के ऐसे हिस्सों में वसा जमा होना जहाँ नहीं होना चाहिए।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं में मोटापा 9% बढ़ा है — यानी 4.4 करोड़ महिलाएं मोटापे की शिकार हैं। वहीं पुरुषों में यह 5% बढ़ा है — जिससे 2.6 करोड़ पुरुष प्रभावित हैं।
5 से 19 साल के बच्चों और किशोरों के बीच भी चौंकाने वाले आँकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 0.7 करोड़ लड़के और 0.5 करोड़ लड़कियाँ मोटापे का शिकार हैं।
दुनिया भर के आँकड़ों ने भी चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2022 में बच्चों और किशोरों में मोटापा 1990 के मुकाबले चार गुना ज़्यादा हो गया है।
मोटापा क्यों होता है?
1. दिव्यांगता: जिन बच्चों और बड़ों को चलने-फिरने या सीखने में दिक्कत होती है, उन्हें मोटापा होने का ज़्यादा ख़तरा होता है। ऐसे लोग आसानी से खेल-कूद नहीं कर पाते और उन्हें सही शिक्षा या ज़रूरी जानकारी नहीं मिल पाती।
2. खाने की आदतें: जब हम ज़रूरत से ज़्यादा खाना खाते हैं, ज़्यादा मीठा या तला-भुना खाना खाते हैं, तो हमारा वज़न बढ़ सकता है। बाज़ार में मिलने वाले पैक वाले खाने (जैसे चिप्स, केक) में बहुत ज़्यादा कैलोरी और तेल होता है, जिससे मोटापा बढ़ता है।
3. आनुवंशिक कारण (Genes): कुछ लोगों के शरीर में ऐसे खास जीन्स होते हैं जो उन्हें ज़्यादा भूख लगने का संकेत देते हैं। इस वजह से भी मोटापा हो सकता है।
4. शारीरिक गतिविधि की कमी: जब हम ज़्यादा समय टीवी देखने, वीडियो गेम खेलने या मोबाइल-लैपटॉप पर बिताते हैं, तो खेलने-कूदने का समय कम हो जाता है। इससे शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है।
5. तनाव (Stress): जब हम परेशान या उदास होते हैं, तो हमारे शरीर में कुछ हार्मोन बनते हैं जो हमें ज़्यादा खाने के लिए उकसाते हैं। ऐसे समय में हम तला, मीठा या चटपटा खाना खाते हैं, जो शरीर में चर्बी बनकर जमा हो जाता है।
6. छिपी हुई बीमारियाँ: कुछ बीमारियाँ जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) शरीर में वज़न बढ़ा सकती हैं। मानसिक बीमारियाँ जैसे डिप्रेशन या चिंता भी ज़्यादा खाने की आदत डाल सकती हैं।
बॉडी मास इंडेक्स क्या होता है और मोटापा कैसे मापा जाता है?
बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई एक तरीका है जिससे हम यह जान सकते हैं कि हमारे शरीर का वज़न ठीक है या नहीं। यह हमारे कद (ऊँचाई) और वज़न के हिसाब से निकाला जाता है।
बी एम आई निकालने का फ़ॉर्मूला होता है: बी एम आई = वज़न (किलोग्राम में) ÷ (कद मीटर में × कद मीटर में)
इसका मतलब है कि पहले अपने कद को मीटर में लो, फिर उसे खुद से गुणा करो (जैसे अगर कद 1.5 मीटर है, तो 1.5 × 1.5 = 2.25)। अब अपने वज़न को उस संख्या से भाग (÷) कर दो। जो उत्तर आएगा, वही आपका बी एम आई होगा।
बॉडी मास इंडेक्स से कैसे पता चलता है कि मोटापा है या नहीं?
बॉडी मास इंडेक्स (BMI) (किलोग्राम/मीटर²) | स्थिति (Category) |
18.5 से कम | बहुत दुबले (Underweight) |
18.5 - 23.5 | सामान्य (Normal) |
23.5 - 27.5 | थोड़ा मोटे (Overweight) |
27.5 - 37.5 | मोटापे वाले (Obese) |
37.5 से ज़्यादा | बहुत ज़्यादा मोटे (Morbidly Obese) |
50 से ज़्यादा | ज़्यादा मोटे (Super Obese) |
60 से ज़्यादा | अधिक से भी अधिक मोटे (Super Super Obese) |
भारत में मोटापे से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ:
1. दिमाग और नसों से जुड़ी समस्याएँ (Nervous system): जब कोई बहुत मोटा होता है, तो उसे स्ट्रोक का ख़तरा ज़्यादा होता है। स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग तक खून पहुँचने में रुकावट आ जाती है।
2. साँस लेने की समस्या (Respiratory system): जब गर्दन के पास ज़्यादा चर्बी जमा हो जाती है, तो साँस की नली छोटी हो सकती है। इससे रात में ठीक से साँस नहीं आ पाती। इस परेशानी को स्लीप एपनिया (Sleep apnea) कहते हैं। इसमें सोते समय कुछ पल के लिए साँस रुक भी सकती है।
3. पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या (Digestive system): मोटे लोगों को पेट से जुड़ी बीमारियां (gastroesophageal reflux disease) हो सकती हैं , जिसमें पेट का एसिड खाने की नली में आ जाता है। इसके अलावा, चर्बी लीवर के आसपास भी जमा हो सकती है, जिससे कलेजे को नुकसान पहुँचता है और वह काम करना बंद कर सकता है।
4. दिल और खून की नसों से जुड़ी दिक्कत (Cardiovascular system): मोटापे में दिल को खून पंप करने में ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे उच्च रक्तचाप (Blood Pressure) बढ़ता है। और यही स्ट्रोक का एक बड़ा कारण होता है।
5. बच्चे पैदा करने में परेशानी (Reproductive system): बहुत ज़्यादा मोटापा होने पर महिला या पुरुष दोनों को बच्चा पैदा करने में दिक्कत हो सकती है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (testosterone) नामक हार्मोन भी कम हो सकता है।
6. हड्डी और माँसपेशियों की समस्या (Skeletal and muscular system): मोटापे के कारण हड्डियाँ और माँसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं। इसे ओस्टियोसार्कोपेनिक (osteosarcopenic) मोटापा कहते हैं। इससे हड्डी टूटने का ख़तरा, चलने-फिरने में दिक्कत, और शरीर में शुगर की बीमारी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
मोटापे से बचने और उसे ठीक करने के सबसे अच्छे तरीके:
1. अगर हम रोज़ की ज़िंदगी में कुछ अच्छी आदतें अपनाएँ, तो मोटापा आसानी से रोका और ठीक किया जा सकता है। सबसे पहले, हमें ऐसा खाना खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा चर्बी न हो, लेकिन फाइबर और पौष्टिकता हो। जैसे — साबुत अनाज, हरी सब्ज़ियाँ, सूखे चने, मेवे और बीज। ये चीज़ें हमारे शरीर को ताक़त देती हैं और मोटापा नहीं बढ़ने देतीं।
2. जो भी खाते हो, उतनी ही मेहनत भी करनी चाहिए। जैसे दौड़ना, खेलना, साइकिल चलाना या तेज़ चलना — इससे शरीर में जमा कैलोरी जलती है और वज़न संतुलित रहता है। खाने की डायरी रखना भी फ़ायदेमंद होता है। इसमें हर दिन क्या खाया, कितनी बार खाया और कितनी कैलोरी ली — ये सब लिखें । इससे यह समझ आता है कि कहीं हम ज़रूरत से ज़्यादा तो नहीं खा रहे।
3. अपना बी एम आई यानी बॉडी मास इंडेक्स भी समय-समय पर देखना ज़रूरी है। इससे हमें पता चलता है कि हमारा वज़न, हमारी लंबाई के अनुसार ठीक है या नहीं। बाज़ार से कोई भी चीज़ खरीदें तो उसका लेबल ज़रूर पढ़ें । अगर लिखा हो कि 100 ग्राम में 40 कैलोरी से कम है, तो समझो वह कम-कैलोरी वाला खाना है और शरीर के लिए अच्छा है।
4. मैदा, सफ़ेद चीनी और सफ़ेद नमक जैसी चीज़ें जितना हो सके कम खानी चाहिए। ये शरीर में जल्दी चर्बी में बदल जाती हैं और मोटापा बढ़ाती हैं। हर दिन 6 से 7 घंटे की अच्छी नींद लेना भी ज़रूरी है। इससे हमारे शरीर के हार्मोन और मेटाबॉलिज़्म ठीक रहते हैं, जो मोटापे को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
5. आख़िर में, हमें समय-समय पर डॉक्टर से जाँच भी कराते रहना चाहिए ताकि अगर कोई बीमारी हो, तो समय पर पता चले और उसका इलाज हो सके। इन सब बातों को अपनाकर हम मोटापे से दूर रह सकते हैं और हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : Flickr
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