जौनपुर वासियों, आज पढ़ें, हमारे क्षेत्र में एक डेयरी फ़ार्म स्थापित करने हेतु आवश्यक विवरण

स्तनधारी
04-06-2025 09:22 AM
जौनपुर वासियों, आज पढ़ें, हमारे क्षेत्र में एक डेयरी फ़ार्म स्थापित करने हेतु आवश्यक विवरण

हमारा राज्य उत्तर प्रदेश, भारत में अग्रणी दूध उत्पादक राज्य है, जिसने 2023-24 में देश के कुल दूध उत्पादन में लगभग 16% योगदान दिया है। यहां इस अवधि के दौरान, 38 मिलियन मेट्रिक टन से अधिक दूध का उत्पादन हुआ था। एक तरफ़, 2019 में हुई भारत की बीसवीं पशुधन गणना (20th Livestock Census)  के अनुसार, 67.8 मिलियन पालतू जानवरों के साथ हमारे राज्य में सबसे अधिक पशुधन आबादी थी। इसके अलावा, बीसवीं पशुधन गणना के मुताबिक, हमारे राज्य ने 6.2 मिलियन दूध उत्पादक गायों और 2.3 मिलियन आम गायों सहित, 18.8 मिलियन मवेशियों (cattle) की आबादी दर्ज की। उस समय, हमारे राज्य में 33 मिलियन भैंसें भी थीं। जौनपुर के हम लोग, इस बात से सहमत होंगे कि, हमारा शहर अपने मज़बूत ग्रामीण डेयरी आधार के साथ इस उपलब्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि, यहां पशुधन पालन, और विशेष रूप से भैंस पालन, कई परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका है। इसलिए आज, जौनपुर में पशुधन की वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण विवरण देखें। फिर, हम भारत में एक डेयरी फ़ार्म स्थापित करने के लिए आवश्यक कुल लागत पर प्रकाश डालेंगे। उसके बाद, हम देश में  डेयरी फ़ार्मिंग या दुग्ध उत्पादन व्यवसाय की मुनाफ़ा क्षमता पर नज़र डालेंगे। अंत में, हम भारत में  इस व्यवसाय के लिए इस्तेमाल की जाने वाली, कुछ लोकप्रिय गाय की नस्लों की जांच करेंगे।

जौनपुर में पशुधन की वर्तमान स्थिति:

1. विदेशी मवेशी संख्या: 192805

2. स्वदेशी मवेशी संख्या: 344135

3. भैंसों की संख्या: 584454

4. बकरियों की संख्या: 276543

5. भैंस, भेड़ और बकरियों की संयुक्त आबादी: 1246750

श्रीकालहस्ती गोशाला | चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत में एक डेयरी फ़ार्म स्थापित करने की कुल लागत: 

यहां साहिवाल नस्ल के साथ 1-2 एकड़ में एक डेयरी फ़ार्म या दुग्धशाला बनाने के लिए, एक विस्तृत योजना दी गई है:

1.भूमि लागत: 

 या दुग्धशाला के स्थान के आधार पर, पूरे भारत में भूमि की लागत भिन्न होती है। 1-2 एकड़ के डेयरी फ़ार्म के लिए, 10 लाख से 50 लाख रुपयों तक कीमत हो सकती है।

2.निर्माण लागत: 

निर्माण लागत में, मवेशियों के लिए शेड, खाद्य भंडारण कक्ष और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे की लागत शामिल हैं। यह निर्माण लागत, 5 लाख से 10 लाख रुपयों तक हो सकती है।

3.मवेशियों की लागत: 

साहिवाल नस्ल, भारत में सबसे अच्छी स्वदेशी डेयरी नस्लों में से एक है। साहिवाल गाय की लागत 60,000 से 75,000 रुपयों तक हो सकती है। इसलिए, लगभग 10 गायों के साथ एक छोटे पैमाने पर  एक दुग्धशाला के लिए, लगभग 6 लाख से 7.5 लाख रुपयों की लागत होगी।

4.खाद्य लागत: 

मवेशियों के लिए खाद्य की लागत, एक आवर्ती व्यय है जो खाद्य के प्रकार और मवेशियों की संख्या के आधार पर भिन्न हो सकती है। औसतन, प्रति गाय, वार्षिक खाद्य लागत, 20,000 से 25,000 रुपयों तक हो सकती है। इसलिए, 10 गायों के लिए,   , लगभग 2 लाख से 2.5 लाख रुपए  का वार्षिक खर्चा आएगा।

5.श्रम लागत: 

श्रम लागत, एक और महत्वपूर्ण आवर्ती व्यय है। आवश्यक श्रमिकों की संख्या और स्थानीय मज़दूरी दरों के आधार पर, वार्षिक श्रम लागत 1 लाख से 2 रुपयों तक हो सकती है।

6.अन्य लागत: 

अन्य लागतों में उपकरणों की लागत (जैसे दूध निकालने वाली मशीन), पशु चिकित्सा व्यय, बिजली और पानी के शुल्क शामिल हैं। इन लागतों से प्रति वर्ष अतिरिक्त 1 लाख से 2 लाख रुपए जुड़ सकते हैं।

कुल मिलाकर, भारत में  छोटे पैमाने पर शुरू  की गई एक दुग्धशाला के लिए, प्रारंभिक  लागत 22.6 लाख से 72 लाख रुपयों तक हो सकती है।

चित्र स्रोत : wikimedia

भारत में एक डेयरी फ़ार्म व्यवसाय की मुनाफ़ा क्षमता:

डेयरी फ़ार्म से मिलने वाली आय विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। एक लीटर दूध, शहरी क्षेत्रों में लगभग 60 रुपये में बेचा जाता है। अगर एक गाय, दिन में कम से कम 15 लीटर दूध देती है, तो एक गाय के दूध की बिक्री से, लगभग 900 रुपये मिल सकते है। इससे मवेशी खाद्य के खर्च को घटाकर – जो एक गाय के लिए प्रति दिन लगभग 130 रुपए है – एक दिन के लिए प्रति गाय से अनुमानित लाभ 770 रुपये है। जबकि दूध और अन्य डेयरी उत्पाद, एक  दुग्धशाला के प्राथमिक उत्पाद होंगे, ऐसे किसान भी हैं, जो अपने डेयरी फ़ार्मों के उप-उत्पादों को भी बेचते हैं।

भारत में डेयरी फ़ार्मिंग के लिए उपयुक्त कुछ लोकप्रिय गाय नस्लों की खोज:

चित्र स्रोत : wikimedia

1.)लाल सिंधी (Red Sindhi): 

यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत की मूल नस्ल है, जो राजस्थान और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों में आम है। लाल सिंधी गाय, गहरे लाल या भूरे रंग के चमड़े और पूंछ पर एक अलग सफ़ेद रंग के साथ, मध्यम शारीरिक आकार की है। भारत में यह विशेष रूप से सबसे अधिक दूध देने वाली गाय है, जिसकी औसत उपज 11 से 15 लीटर प्रति दिन है। गर्मी और आर्द्रता के लिए इसका अनुकूलन, कम गुणवत्ता वाले चारे पर भी, इसे स्वस्थ रहने में मदद करता है। 

चित्र स्रोत : wikimedia

 2.)गिर (Gir): 

गुजरात के गिर वन क्षेत्र की मूल प्रजाति – गिर गाय, बड़े कूबड़, लंबे कान और एक उत्तल माथे के साथ विशेष है। अपनी दूध उत्पादकता के लिए प्रसिद्ध, गिर गाय, प्रति दिन 6-10 लीटर दूध देती है। विविध जलवायु परिस्थितियों के लिए इसकी अनुकूलनशीलता तथा बीमारियों और परजीवी के खिलाफ़ प्रतिरोध, इसे डेयरी उद्योग में एक बेशकीमती नस्ल बनाते हैं।

चित्र स्रोत : wikimedia

3.)हरियाणा (Hariana): 

हरियाणा गाय, हरियाणा राज्य की मूल प्रजाति है, जिसे पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी पाया जा सकता है। यह मध्यम शारीरिक आकार की गाय है, जिसकी चमड़ी सफ़ेद या हल्के भूरे रंग की एवं पूंछ काली होती है। इसका मुख लंबा व संकीर्ण है, और माथा सपाट माथे है। छोटे सींग और एक छोटा कूबड़, इसकी अन्य विशिष्ट विशेषताएं हैं। यह प्रति दिन, औसतन 4-6 लीटर दूध देती है और जुताई एवं बैल–गाड़ी चलाने जैसे कृषि कार्यों में भी अपना योगदान निभाती  है। 

चित्र स्रोत : wikimedia

4.)साहिवाल (Sahiwal): 

साहिवाल गाय, पाकिस्तान में पंजाब से मूल है, और हमारे देश में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में व्यापक रूप से वितरित है। साहिवाल गाय फ़ीके लाल या पीली लाल चमड़ी के साथ,  बड़ी और मज़बूत होती है। भारत की प्रमुख डेयरी नस्ल के रूप में इसे मान्यता प्राप्त है, और यह प्रतिदिन औसतन 8-10 लीटर दूध देती है। इसकी दीर्घायु, प्रजनन क्षमता और किलनी (टिक) और परजीवियों के प्रति प्रतिरोध, इसे किसानों की पसंदीदा नस्ल बनाता है। 

चित्र स्रोत : wikimedia

5.)अमृत महल (Amrit Mahal): 

अमृत महल नस्ल, कर्नाटक के हसन, चिकमगलूर और चित्रदुर्ग  ज़िलों की मूल प्रजाति है। इस भारतीय मवेशी नस्ल का रंग भूरा है, लेकिन सफ़ेद से लेकर काले रंग की छाया भी इनके शरीर पर होती है। इनका सिर लंबा है, और माथे के बीच में एक खोंच के साथ संकीर्ण रूप से उभड़ा हुआ है। इनके सींग लंबे होते हैं। मैसूर के महाराजाओं ने इस भारतीय नस्ल को विकसित करने के लिए, विशेष खेतों को विकसित किया था।  गायों की ये नस्ल, अपनी शक्ति और धीरज के लिए जानी जाती है।

चित्र स्रोत : wikimedia

6.) कंगायम (Kangayam): 

यह नस्ल, तमिलनाडु के  कांगेयम, पेरुंथुरई और भवानी तहसील की मूल हैं। इनके बछड़े, जन्म के समय लाल चमड़ी वाले होते हैं, और बाद में लगभग छह महीनों में, भूरा रंग पाते हैं। इनके सींग लंबे, नुकीले, चौड़े और पीछे की ओर वक्र आकार में होते हैं। इस नस्ल की औसत दूध उपज, 600-700 किलोग्राम प्रति दुग्दपान है।


संदर्भ 

https://tinyurl.com/rw8384xt

https://tinyurl.com/2s4z7cuy

https://tinyurl.com/ypxj6bwz

https://tinyurl.com/ktt8auf5

मुख्य चित्र स्रोत : flickr 

पिछला / Previous अगला / Next


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.