
समयसीमा 253
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 990
मानव व उसके आविष्कार 773
भूगोल 247
जीव - जन्तु 288
हमारे शहर जौनपुर में बकरियों के बाज़ारों में, बकरीद / ईद-उल-अधा की उत्तेजना, अक्सर ही इस त्योहार के वास्तविक दिन से बहुत पहले शुरू हो जाती है। कई परिवारों के लिए, सही बकरी का चयन, केवल उसके शारीरिक आकार या सुंदरता के बारे में नहीं है, बल्कि, देखभाल, ईमानदारी और एक आध्यात्मिक कर्तव्य के बारे में भी है। जैसे-जैसे कुर्बानी का दिन नज़दीक आता है, इस त्योहार का उत्साह बढ़ने लगता है। लोग बकरियों की नस्लों पर चर्चा करने, विक्रेताओं के साथ सौदेबाज़ी करने और खास विशेषताओं वाली बकरियों की प्रशंसा करने में, व्यस्त होते हैं। भारत में बकरीद के लिए, सबसे अधिक मांग वाली और महंगी बकरी की नस्लों में से कुछ, उनके आकार, दिखावट और कभी-कभी अद्वितीय चिह्नों के लिए जानी जाती हैं। तो आज चलिए, भारत में कुर्बानी के लिए सबसे लोकप्रिय बकरी नस्लों के बारे में बात करते हैं। इस संदर्भ में, हम उनके मूल आवास स्थान, दिखावट, विशेषताओं और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता के कारणों के बारे में पता लगाएंगे।अंत में हम भारत में पशु पालन कृषि के लिए सबसे अधिक लाभदायक बकरी नस्लों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
चित्र स्रोत : Pexels
भारत में कुर्बानी के लिए, सबसे लोकप्रिय बकरी नस्लें:
1.बीटल(Beetle):
यह नस्ल, पंजाब राज्य की मूल है। इसके शरीर का रंग मुख्य रूप से काला, भूरा या लाल होता है। यह बड़े शारीरिक आकार का मध्यम जानवर है। एक वयस्क नर बीटल बकरी का वज़न लगभग 50-60 किलोग्राम है, जबकि एक वयस्क मादा का वज़न लगभग 45-50 किलोग्राम होता है। बीटल बकरी के कान, लंबे एवं लटकते हुए होते हैं। इनकी औसत दूध उपज, प्रति दिन 1 से 2 किलोग्राम है।
2.बारबरी:
यह नस्ल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य में गुड़गांव, करनाल, पानीपत और रोहतक की मूल है। इसका शरीर, ज़्यादातर काले और सफ़ेद रंग का होता है। यह एक मध्यम शारीरिक आकार की बकरी नस्ल है। एक वयस्क नर का वज़न लगभग 50-60 किलोग्राम है, जबकि एक वयस्क मादा का वज़न लगभग 45-50 किलोग्राम होता है। ये बकरियां 12-15 महीनों में दो बार प्रजनन करती हैं। जबकि, ये प्रति दिन 1–1.5 किलोग्राम दूध का उत्पादन करती हैं।
3.सुरती:
इस बकरी की नस्ल का मूल, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में है। वे आम तौर पर, सफ़ेद या हल्के भूरे रंग की होती हैं। अधिकतर सुरती बकरियों का रंग सफ़ेद होता है। उनके स्तन बड़े,शंक्वाकार एवं अच्छी तरह से विकसित होते हैं। ये बकरियां, 12-15 महीनों में दो बार प्रजनन करती हैं। सुरती बकरियां, अपने उच्च दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं, क्योंकि, वे प्रति दिन 2-3 लीटर दूध उपज देती हैं।
4.सिरोही:
सिरोही बकरियां, मुख्य रूप से राजस्थान के सिरोही ज़िले में पाई जाती हैं। साथ ही, वे गुजरात में भी पाई जाती हैं। उनकी आबादी 19.52 लाख है, जिससे यह देश की छठी सबसे अधिक आबादी वाली बकरी नस्ल है। सिरोही बकरियां, एक सुगठित और अच्छी तरह से निर्मित शरीर के साथ, मध्यम आकार की बकरियां हैं। उनके बाल, छोटे और मोटे हैं, और उनका रंग आम तौर पर, भूरा और सफ़ेद होता है। उनके छोटे और नुकीले सींग, पीछे और ऊपर की ओर घुमावदार होते हैं। नर और मादा सिरोही बकरी का औसत वज़न, क्रमशः 50 किलोग्राम और 21 किलोग्राम है। इनकी दैनिक दूध की औसत उपज, 0.41 किलोग्राम से कम है।
5.उस्मानाबादी बकरी:
उस्मानाबादी बकरियों को महाराष्ट्र के उस्मानाबाद ज़िले में, बड़े पैमाने पर पाया जाता है। यहां उनकी आबादी,35.97 लाख है। उनके शरीर का आकार बड़ा है, और रंग में विविधता है, लेकिन,ज़्यादातर(73%) बकरियां काली हैं। उस्मानाबादी नस्ल के पालन के दो उद्देश्य है, क्योंकि, उन्हें मांस और दूध के लिए पाला जाता है। लगभग चार महीनों के दुग्दपानअवधि के लिए, उनकी औसत दैनिक दूध उपज 0-5-1.5 किलोग्राम है।
6.मालाबारी बकरी:
यह बकरी नस्ल, केरल राज्य के कालीकट,मलप्पुरम और कन्नूर ज़िलों की मूल निवासी है। उन्हें मांस और दूध के लिए रखा जाता है। इस शारीरिक आकार में मध्यम नस्ल के रंग में, कोई एकरूपता नहीं होती है, और वे पूर्ण काले से लेकर सफ़ेद रंग तक भिन्न होती है। इस नस्ल की 30% बकरियां, लंबे बालों वाली होती हैं, और सभी नर एवं कुछ मादाओं की दाढ़ी होती हैं। उनके कान बाहर और नीचे की ओर निर्देशित होते हैं, तथा आकार में मध्यम होते हैं। उनकी त्वचा चमड़ा उद्योग में अत्यधिक उपयोगी है।मालाबारी नस्ल की औसत दूध उपज,प्रति दुग्दपान अवधि में 100-190 किलोग्राम है।
भारत में पशु पालन कृषि के लिए, कुछ सबसे अधिक लाभदायक बकरी नस्लें:
1.जमुनापरी:
जमुनापरी, भारत की सबसे बड़ी बकरी नस्ल है। यह नस्ल, इटावा ज़िला, तथा हमारे राज्य में जमुना और जम्बल नदियों के बीच के क्षेत्र की मूल है। इनकी गर्दन और चेहरे पर, हल्के भूरे रंग के धब्बे होते हैं, और उनका शरीर सफ़ेद या पीला होता है। इनके कान, लंबे होने के कारण,लटकते रहते हैं। इस नस्ल का विशिष्ट चरित्र, एक उत्तल नाक रेखा की उपस्थिति है, जिसे 'रोमन नाक(Roman nose)' कहा जाता है। इस राजसी बकरी नस्ल का वज़न, नरों के मामले में 60-85 किलोग्राम और मादाओं के मामले में 45-60 किलोग्राम है। जमुनापरी बकरियों की दूध उपज, प्रति दिन 2.25 से 2.75 किलोग्राम है।
2.ब्लैक बंगाल:
यह नस्ल, भारत के पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है। काली या ब्लैक बंगाल नस्ल के पैर छोटे हैं, और उनका शरीर सुगठित है। इनका रंग काला होता है,जो उनके नाम से ही समझा जा सकता है। नर बकरी का औसत वजन 15 किलोग्राम होता है, और मादा बकरी का औसत वज़न 12 किलोग्राम होता है। यह नस्ल,एक समय में 2 से 4 बच्चों को जन्म दे सकती है। 90 से 120 दिनों की दुग्दपान अवधि के लिए, इनकी औसत दूध उपज 53 किलोग्राम है।
3.जखराना:
जखराना, भारत में डेयरी बकरी की आम नस्ल है, जो राजस्थान के जखराना गांव में पाई जाती है। वे बीटल बकरियों के समान दिखती हैं, हालांकि वे थोड़ी लंबी होती है। इनका शरीर, मुख्य रूप से काले रंग का होता है, और उनकी त्वचा पर छोटे और चमकदार बाल होते हैं। जखराना नस्ल के सींग, छोटे,स्थूल और ऊपर की ओर मुड़े होते हैं। नरों का औसत वज़न 55 किलोग्राम है, और मादाओं का वज़न 45 किलोग्राम है। 60% प्रजनन में,एकल बच्चे पैदा होते है, और 40% मामलों में जुड़वा बच्चेपैदा होते हैं। इनकी स्तनपान अवधि 180-200 दिन है। इनकेस्तन, बड़े एवं शंक्वाकारहोते हैं। जखराना नस्ल की औसत दैनिक दूध उत्पादन क्षमता 2-3 किलो है।
संदर्भ
मुख्य चित्र में नर बकरी (कैप्रा एगेग्रस हिरकस) का स्रोत : Wikimedia
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.