उपभोक्ता व्यवहार को समझकर अपनी दुकानदारी बढ़ाएं और बनारस के ग्राहकों को भी जौनपुर लाएं !

संचार एवं संचार यन्त्र
05-06-2025 09:22 AM
उपभोक्ता व्यवहार को समझकर अपनी दुकानदारी बढ़ाएं और बनारस के ग्राहकों को भी जौनपुर लाएं !

जौनपुर की पुरानी गलियों में घूमिए, तो ज़री-ज़रदोज़ी की कारीगरी और इत्र की ख़ुशबू आज भी आपको खींच लेगी। हालांकि इन पारंपरिक बाज़ारों की रौनक आज भी बरकरार है, लेकिन यहाँ खरीदारी करने वाले ग्राहकों का मिज़ाज अब पहले जैसा नहीं रहा। वो दिन लद गए जब लोग सिर्फ़ अपनी जानी-पहचानी दुकान पर ही भरोसा करते थे। आज के ग्राहक स्मार्ट हो गए हैं! वे अलग-अलग ब्रांड्स को परखते हैं, मोल-भाव करते हैं, और ऑनलाइन दुनिया में भी बेहतरीन डील्स खोजते हैं। ये  रुझान बताता है कि जौनपुर के लोगों में अब नई चीज़ें आज़माने और सोच-समझकर खर्च करने की आदत बढ़ रही है।

असल में,  उपभोक्ता व्यवहार (Consumer Behaviour)' यही समझने का खेल है कि हम और आप जैसे लोग अपनी ज़रूरतों और शौक़ को पूरा करने के लिए चीज़ों का चुनाव कैसे करते हैं, उन्हें खरीदते कैसे हैं, या फिर उनका इस्तेमाल कैसे करते हैं। आज के ज़माने में हर कंपनी आपका ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती है! विज्ञापन पहले से कहीं ज़्यादा ताकतवर हो गए हैं। ऐसे में जो ब्रांड ये समझ लेता है कि उसके ग्राहक क्या चाहते हैं और क्यों चाहते हैं, वो ऐसे विज्ञापन बना सकता है, जो उसकी और सैकड़ों या हज़ारों नहीं बल्कि लाखों ग्राहकों को खींच सकता है।

इसलिए आज के इस लेख में हम उपभोक्ता व्यवहार के विभिन्न प्रकारों की गहराई से पड़ताल करें। साथ ही हम सांस्कृतिक, व्यक्तिगत, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को भी समझेंगे, जो इन व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। इसके बाद हम यह भी देखेंगे कि विज्ञापन किस तरह उपभोक्ताओं की धारणाएं बनाता है, उत्पादों की पहचान को बढ़ाता है और उनके खरीद निर्णयों को प्रेरित करता है। अंत में, हम कुछ भरोसेमंद मार्केटिंग रणनीतियों का विश्लेषण करेंगे, जो ब्रांड्स को उपभोक्ताओं के साथ और भी अधिक असरदार और अर्थपूर्ण जुड़ाव बनाने में मदद करती हैं।

बाज़ार में कोई भी सामान खरीदते समय, हम सभी का खरीदारी करने का तरीका अलग-अलग होता है। यह तरीका कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि हम क्या खरीद रहे हैं, किस दाम में खरीद रहे हैं या फिर वह हमारे लिए कितना ज़रूरी है?

चित्र स्रोत : Pexels 

आइए अब आपको बताते हैं, अलग-अलग स्थति में कैसे उपभोक्ता या खरीदार का व्यवहार भी अलग-अलग होता है! 

  • सोच-समझकर खरीदारी: जब एक व्यक्ति कोई महंगी चीज़ जैसे कि घर या गाड़ी खरीदता है, तो वह कई बार सोचता है। ऐसे में वह बहुत ध्यान से काम लेता है। कई चीज़ें जीवन में केवल एक बार खरीदी जाती हैं, इसलिए ग्राहक बहुत सोच समझकर खरीदारी करते हैं। वह पैसा लगाने से पहले हर तरह की जानकारी जुटाता है। जब किसी चीज़ को खरीदने में ज़्यादा खतरा लगता है, तो ग्राहक अपने दोस्तों, परिवार और जानकारों से सलाह लेता है।
  • पछतावे से बचने वाली खरीदारी: कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई चीज़ महंगी होती है और उसे बार-बार नहीं खरीदा जाता! लेकिन हमारे पास ज़्यादा विकल्प भी नहीं होते। विभिन्न ब्रांडों में भी कोई खास अंतर दिखाई नहीं देता। ऐसे में ग्राहक वही खरीद लेता है जो आसानी से मिल जाए, ताकि बाद में उसे पछतावा न हो कि कहीं  बेहतरीन चीज़ तो नहीं छोड़ दी।
  • आदतन खरीदारी: कुछ चीज़ों  जैसे कि चाय या नमक का इस्तेमाल हम हर रोज़ करते हैं। इन्हें खरीदते समय हम ज़्यादा नहीं सोचते। हमें ब्रांडों में कोई खास  फ़र्क नज़र नहीं आता। हम या तो अपना पसंदीदा ब्रांड लेते हैं या जो दुकान में दिख जाए और सस्ता हो उसे खरीद लेते हैं। यह हमारी आदत बन जाती है।
  • बदलाव की चाहत वाली खरीदारी: कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अलग-अलग चीज़ें आज़माना अच्छा लगता है। भले ही उन्हें पिछला उत्पाद पसंद आया हो, लेकिन वे सिर्फ़ नयापन देखने के लिए दूसरा ब्रांड खरीद लेते हैं। इसमें नुकसान ज़्यादा नहीं होता, इसलिए लोग शौक के तौर पर ऐसा करते हैं। ऐसा वे पिछले उत्पाद में आई किसी कमी के कारण नहीं, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें कुछ नया चाहिए होता है।
बनारसी साड़ी खरीदती महिलाएँ | चित्र स्रोत : Wikimedia 

 किसी भी वस्तु या सेवा को खारीदते समय, कई बातें हमारे फ़ैसले पर असर डालती हैं। आइए इन महत्वपूर्ण बातों को आसान भाषा में समझते हैं।

  1. सांस्कृतिक प्रभाव: सबसे पहले, हमारी संस्कृति का हम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम जिस समाज और समुदाय में पलते-बढ़ते हैं, उसकी परंपराएं, मूल्य और मान्यताएं हमारी पसंद-नापसंद को आकार देती हैं। सोचिए, जैसे भारत में त्योहारों के समय विशेष तरह के कपड़े या मिठाइयां खरीदने का चलन है। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, और हमारी खरीदारी के फ़ैसले को प्रभावित करता है।
  2. व्यक्तिगत कारक: दूसरा महत्वपूर्ण पहलू व्यक्तिगत कारक हैं। हर व्यक्ति की अपनी उम्र, पसंद, नापसंद, शौक और जीवनशैली होती है। आप कैसा जीवन जीना पसंद करते हैं, आपकी रुचियां क्या हैं, और आपका व्यक्तित्व कैसा है, इससे तय होता है कि आप कौन से उत्पाद या ब्रांड चुनेंगे। इसीलिए कंपनियां अक्सर लोगों की जीवनशैली के आधार पर विज्ञापन बनाती हैं, ताकि वे सही ग्राहकों तक पहुंच सकें।
  3. आर्थिक स्थिति: आपके पास कितने पैसे हैं और आपकी आर्थिक स्थिति कितनी स्थिर है, इससे भी आपकी खरीदने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। अगर आपकी आय अच्छी है, तो आप शायद महंगी चीज़ें खरीदने में सक्षम होंगे। वहीं, आर्थिक तंगी के समय लोग सोच-समझकर और जरूरत की चीज़ें ही खरीदते हैं। इसलिए, देश की अर्थव्यवस्था भी लोगों की खरीदारी की आदतों को प्रभावित करती है।
  4. पर्यावरण संबंधी चिंताएं: आजकल के ग्राहक पर्यावरण के प्रति भी जागरूक हो गए हैं! लोग अब यह सोचने लगे हैं कि उनके द्वारा खरीदी गई वस्तु का हमारे पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा। आज लोग ऐसे उत्पाद और ब्रांड पसंद करते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल हों और नैतिक तरीके से बनाए गए हों। जो कंपनियां  पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उत्पाद बनाती हैं, वे अक्सर पर्यावरण के प्रति जागरूक ग्राहकों को आकर्षित करती हैं।
  5. खरीदने के बाद का अनुभव: अंत में, खरीदारी करने के बाद का अनुभव भी बहुत मायने रखता है। कई बार ऐसा होता है कि खरीदने के बाद लोगों को लगता है कि उन्होंने सही फ़ैसला नहीं लिया या उन्हें कुछ असुविधा महसूस होती है। कंपनियां इस समस्या को दूर करने के लिए ग्राहकों को खरीदारी के बाद भी सहायता प्रदान करती हैं और उनकी संतुष्टि और विश्वास को बढ़ाने की कोशिश करती हैं। इससे ग्राहक दोबारा उसी ब्रांड से खरीदारी करने के लिए प्रेरित होते हैं।
चित्र स्रोत : pexels

उपभोक्ता जागरूकता, यानी हम ग्राहकों का किसी चीज़ के बारे में जानना, हमारे खरीदने के तरीकों का एक बहुत ज़रूरी हिस्सा है। और विज्ञापन, यह जागरूकता बढ़ाने का एक दमदार तरीका है। ज़रा सोचिए, विज्ञापन क्या-क्या करते हैं? वे सिर्फ़ हमें किसी कंपनी या चीज़ के नाम, उसके निशान (लोगो) और उसके कहे जाने वाले खास शब्दों (नारों) से ही नहीं पहचान कराते, बल्कि और भी बहुत कुछ करते हैं।

विज्ञापनों के ज़रिए, हमें बाज़ार में आने वाली नई-नई चीज़ों के बारे में पता चलता है। जैसे, अगर कोई नया साबुन आया है या कोई नई तरह की चाय बाज़ार में आई है, तो विज्ञापन हमें इसकी जानकारी देते हैं। इससे हम जान पाते हैं कि बाज़ार में क्या नया है और हमारी ज़रूरत की कौन सी चीज़ है।

इतना ही नहीं, कई बार विज्ञापन हमें एक मुश्किल दिखाते हैं और फिर बताते हैं कि कौन सा उत्पाद उस मुश्किल को आसान कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपको घर के काम में ज़्यादा समय लगता है, तो एक विज्ञापन आपको दिखा सकता है कि एक खास तरह की मशीन कैसे आपका समय बचा सकती है। इस तरह, विज्ञापन हमें यह समझने में मदद करते हैं कि हमारी क्या ज़रूरतें हैं और कौन सी चीज़ हमारी उन ज़रूरतों को पूरा कर सकती है। यह जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है ताकि हम सोच-समझकर खरीदारी कर सकें। विज्ञापन हमें जागरूक बनाते हैं और सही चुनाव करने में हमारी मदद करते हैं।

अभी तक हमने पढ़ा कि लोग कई बातों को ध्यान में रखकर ही खरीदारी करते हैं? खरीदारी करने का हर किसी का तरीका अलग होता है। 

चित्र स्रोत : wikimedia

आइए अब समझने की कोशिश करते हैं कि अलग-अलग ग्राहक कैसे सोचते हैं और उन तक पहुंचने के सबसे कारगर मार्केटिंग तरीके कौन से हो सकते हैं?

1. जब ग्राहक बहुत सोच-समझकर खरीदे: महंगी या ज़रूरी चीज़ें (जैसे गाड़ी या घर) खरीदते वक़्त, लोग  काफ़ी  अध्ययन करते हैं और गहराई से सोचते हैं। इसमें उनका पैसा और वक़्त दोनों लगते हैं। 

ऐसे ग्राहकों का दिल जीतने के जीतने के लिए:

  • पूरी जानकारी दें: फ़ैसला लेने से पहले वे सब कुछ जानना चाहते हैं। अपने उत्पाद  की खासियतें,  फ़ाएदे बताएं और हो सके तो दूसरे प्रोडक्ट्स से तुलना भी करें। इससे उन्हें सही फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी।
  • पैसे की सही कीमत समझाएं: ग्राहकों को बताएं कि आपका उत्पाद  क्यों खास है और इसमें मिलने वाले फायदे कैसे ज़्यादा कीमत को जायज़ ठहराते हैं।
  • भरोसा जीतें: संतुष्ट ग्राहकों के अनुभव या उनकी कहानियां शेयर करें। जब नए ग्राहक देखेंगे कि दूसरे ग्राहक भी आपके प्रोडक्ट से खुश हैं, तो उनका भरोसा बढ़ेगा।

2. जब ग्राहक खरीदने के बाद दुविधा में हो: कभी-कभी, खासकर महंगी चीज़ खरीदने के बाद, लोगों को शक होता है कि कहीं फ़ैसला गलत तो नहीं हो गया। वे दुविधा में पड़ जाते हैं। 

ऐसे ग्राहकों को शांत करने और उनका शक दूर करने के लिए:

  • भरोसा दिलाएं: उन्हें यकीन दिलाएं कि उन्होंने बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है। उन्हें बताएं कि आपका ब्रांड क्यों बेहतर है ।
  • गारंटी/आसान रिटर्न दें: खरीदने के बाद की चिंता घटाने के लिए संतुष्टि गारंटी, 'पसंद न आए तो पैसे वापस' पॉलिसी,  फ़्री ट्रायल या आसान रिटर्न पॉलिसी दें। इससे  ग्राहक बेफ़िक्र होकर खरीदारी करते हैं  ।

3. जब ग्राहक आदत से खरीदारी करे: रोज़ की कई चीज़ें (जैसे दूध, ब्रेड, साबुन) हम ज़्यादा सोचे बिना, बस आदत की वजह से खरीदते हैं। इनमें ज़्यादा पैसा नहीं लगता और हम अक्सर ब्रांड बदलने का नहीं सोचते। 

ऐसे ग्राहकों के लिए ये तरीके काम करते हैं:

  • ब्रांड को सबकी नज़र में रखें: ज़रूरी है कि आपका ब्रांड आसानी से दिखे और याद रहे। इसके लिए अपनी पैकेजिंग, विज्ञापन और  मेसेजिंग एक जैसी रखें। दुकान में आपका सामान तुरंत दिखना चाहिए।
  •  वफ़ादार ग्राहकों को  इनाम दें: जो ग्राहक बार-बार आपका ही सामान लेते हैं, वे अपने आप में कीमती होते हैं। उन्हें अपने साथ बनाए रखने के लिए लॉयल्टी प्रोग्राम (जैसे छूट, पॉइंट्स या खास इनाम) चलाएं। इससे वे आपके ब्रांड से जुड़े रहेंगे।

4. जब ग्राहक कुछ नया आज़माना चाहे:  कुछ ग्राहक हमेशा नई चीज़ें ट्राई करना पसंद करते हैं। वे एक ही चीज़ से बोर हो जाते हैं और बाज़ार में कुछ नया खोजते हैं। वे सिर्फ़ वैरायटी के लिए अलग-अलग ब्रांड आज़माते हैं।
ऐसे ग्राहकों को अपनी ओर खींचने के लिए:

  • खूब वैरायटी दें: उन्हें लुभाने के लिए प्रोडक्ट्स में वैरायटी लाएं। अलग-अलग  फ़्लेवर , रंग, साइज़ या नए ऑप्शन दें ताकि उनकी नई चीज़ें ट्राई करने की इच्छा पूरी हो।
  • उत्साह और नयापन लाएं: लिमिटेड टाइम ऑफर, खास मौकों पर प्रमोशन या नए उत्पाद  लॉन्च करके ग्राहकों में उत्साह  पैदा करें। जब उन्हें लगेगा कि कुछ नया और दिलचस्प आ रहा है, तो वे ज़रूर ट्राई करना चाहेंगे।

इन तरीकों को आज़माकर आप समझ पाएंगे कि अलग-अलग ग्राहक कैसे सोचते हैं, और अपनी मार्केटिंग को ज़्यादा कामयाब बना सकेंगे।

 

सन्दर्भ 

https://tinyurl.com/23wmetz9

https://tinyurl.com/28ltrf4n

https://tinyurl.com/23d4d7k3

https://tinyurl.com/23wmetz9

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia; Attribution: © Jorge Royan; CC BY-SA 3.0

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