तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, दुनिया की सबसे दुर्लभ मीठे पानी की सिंधु नदी डॉल्फ़िन की

स्तनधारी
30-05-2025 09:22 AM
तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, दुनिया की सबसे दुर्लभ मीठे पानी की सिंधु नदी डॉल्फ़िन की

मेरठ के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि सिंधु नदी डॉल्फ़िन (Indus River Dolphin) दुनिया की सबसे दुर्लभ मीठे पानी की डॉल्फ़िन में से एक है, जो मुख्य रूप से भारत में सिंधु नदी और ब्यास नदी के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। ये डॉल्फ़िन लगभग अंधी होती हैं और ध्वनि के माध्यम से दिशा और शिकार का पता लगाती हैं, इनकी यह विशेषता उन्हें वास्तव में अद्वितीय बनाती है। लेकिन अफ़सोस की बात है कि प्रदूषण, मछली पकड़ने के जाल और प्राकृतिक निवास स्थान के नुकसान के कारण इनकी संख्या बहुत तेज़ी से कम हो रही है। उन्हें अब लुप्तप्राय माना जाता है जिसके कारण तत्काल प्रभावी रूप से उनके संरक्षण की आवश्यकता है। संरक्षण प्रयासों,  नदियों के पानी को स्वच्छ करके और जागरूकता बढ़ाकर इस विशेष प्रजाति को बचाया जा सकता है। तो आइए, आज सिंधु नदी डॉल्फ़िन के बारे में जानते हुए, इसकी जैविक विशेषताओं, आहार व्यवहार और प्रजनन पैटर्न पर प्रकाश डालते हैं। इसके साथ ही, हम इसके अस्तित्व के लिए प्रमुख खतरों पर चर्चा करेंगे। अंत में, हम इसके संरक्षण की स्थिति और इस उल्लेखनीय प्रजाति की रक्षा और पुनर्जीवित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों और पहलों पर गौर करेंगे।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

सिंधु नदी डॉल्फ़िन का परिचय:

सिंधु नदी डॉल्फ़िन जिसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा माइनर (Platanista minor) है, मीठे पानी की डॉल्फ़िन की एक प्रजाति है। 1970 से 1998 के बीच, गंगा नदी डॉल्फ़िन और सिंधु डॉल्फ़िन को अलग प्रजाति माना जाता था; हालाँकि, 1998 में, उनका वर्गीकरण दो अलग-अलग प्रजातियों से बदलकर एक ही प्रजाति की उप-प्रजाति में कर दिया गया। माना जाता है कि सिंधु नदी डॉल्फ़िन की उत्पत्ति प्राचीन टेथिस सागर में हुई थी। जब लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले समुद्र सूख गया, तो डॉल्फ़िन को अपने एकमात्र शेष निवास स्थान 'नदियों' के अनुकूल होने के लिए मज़बूर होना पड़ा। आज, वे केवल पाकिस्तान में सिंधु नदी के निचले हिस्सों और भारत के पंजाब में सिंधु नदी की सहायक ब्यास नदी में पाई जा सकती हैं। पाकिस्तान में, सिंचाई प्रणाली के निर्माण के बाद उनकी संख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, और अधिकांश डॉल्फ़िन नदी के 750 मील के दायरे तक ही सीमित हैं और छह बैराजों द्वारा अलग-अलग आबादी में विभाजित हैं। वे कीचड़ भरी नदी में जीवन जीने के लिए अनुकूलित हो गई हैं। वे झींगा, कैटफ़िश और कार्प जैसे अपने शिकार को ढूंढने, संचार करने और शिकार करने के लिए प्रतिध्वनिनिर्धारण का उपयोग करती हैं।

सिंधु नदी डॉल्फ़िन की भौतिक विशेषताएं:

सिंधु नदी डॉल्फ़िन की चोंच लम्बी एवं नुकीली और आंखें छोटी होती हैं जो उनके लिए नदी के कीचड़ भरे गंदे पानी में नेविगेट (navigate) करने के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त हैं। प्रतिध्वनिनिर्धारण के कारण वे नदी के प्रदूषित वातावरण में यात्रा करने और शिकार करने में सक्षम होती हैं।

एक औसत मानव और गंगा और सिंधु नदी डॉल्फिन (प्लैटैनिस्टा गैंगेटिका) के आकार की तुलना। | चित्र स्रोत : Wikimedia ; Attribution: Chris Huh

आहार व्यवहार:

मछलियाँ और कड़े खोल वाले जीव सिंधु नदी डॉल्फ़िन के आहार का मूल हिस्सा हैं। नदी की गहराई में शिकार का पता लगाने के लिए उनका प्रतिध्वनिनिर्धारण कौशल आवश्यक है।

प्रजनन पैटर्न:

सिंधु नदी डॉल्फ़िन की प्रजनन दर आमतौर पर कम होती है। मादाएं लगभग 9 से 10 महीने की गर्भधारण अवधि के बाद एक शिशु को जन्म देती हैं। शिशु सर्दियों के अंत या शुरुआती वसंत में पैदा होते हैं। इस दौरान आम तौर पर एकांतवासी सिंधु नदी डॉल्फ़िन को कभी-कभी अस्थायी समूहों में देखा जा सकता है। वे सतर्क और शर्मीले होने के लिए जानी जाती हैं। इन डॉल्फ़िनों के प्रजनन पैटर्न को समझना संरक्षण पहल के लिए महत्वपूर्ण है। उनका जीवनकाल और उनकी दीर्घायु को प्रभावित करने वाले कारक उनके निरंतर अस्तित्व के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

इस खोपड़ी के ढांचे में सिंधु नदी डॉल्फिन के लंबे जबड़े और गहरे मस्तिष्क की आकृति दिखाई देती है। | चित्र स्रोत : Wikimedia ; Childrens' Museum of Indianapolis

सिंधु नदी की डॉल्फ़िन के लिए ख़तरा:

इस प्रजाति को 1986 से 'प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ' (International Union for Conservation of Nature (IUCN) द्वारा लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। दुनिया में 2000 से भी कम परिपक्व डॉल्फ़िन के बचे होने के साथ, सिंधु नदी डॉल्फ़िन की आबादी गंभीर रूप से ख़तरे में है और परिपक्व आबादी में निरंतर गिरावट आ रही है, जिससे संरक्षण के प्रयास महत्वपूर्ण हो गए हैं। सिंधु नदी डॉल्फ़िन को कई प्रमुख खतरों का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. पर्यावास का क्षरण: बांध निर्माण और जल मोड़ परियोजनाओं के कारण सिंधु नदी के प्रवाह और गुणवत्ता में परिवर्तन आया है, जिससे डॉल्फ़िन के प्राकृतिक आवास पर असर पड़ा है।
  2. जल प्रदूषण: औद्योगिक, कृषि और घरेलू प्रदूषण के कारण पानी की गुणवत्ता खराब हो गई है, जिससे डॉल्फ़िन के स्वास्थ्य और भोजन स्रोत प्रभावित हो रहे हैं।
  3. जाल में फंसना: डॉल्फ़िन अनजाने में मछली पकड़ने की प्रथाओं का शिकार बन जाती हैं और गिलनेट एवं मछली पकड़ने के अन्य जाल में फंस जाती हैं।
  4. जलवायु परिवर्तन: बदलते मौसम और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण डॉल्फ़िन के लिए शिकार की उपलब्धता और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
  5. मानवीय गतिविधियाँ: नाव यातायात और आवास विनाश सहित मानवीय हस्तक्षेप से डॉल्फ़िन के मूल व्यवहार में बाधा आती है।
  6. अवैध शिकार: डॉल्फ़िन का उनके मांस और चर्बी के लिए अवैध शिकार किया जाता है, और मछली पकड़ने के चारे के रूप में उपयोग करने के लिए तेल निकाला जाता है। 
  7. भौतिकी: उनकी ख़राब दृष्टि और धीमी तैराकी गति के कारण नदी डॉल्फ़िन विशेष रूप से नावों और अन्य बाधाओं से टकराने के लिए प्रवण होती हैं। इसके साथ ही उनका धीमा प्रजनन चक्र भी एक बाधा है।
फ्रेडरिक स्पेच द्वारा निर्मित सिंधु नदी डॉल्फ़िन का चित्रण | चित्र स्रोत : Wikimedia 

संरक्षण की स्थिति: 

  • सिंधु नदी डॉल्फ़िन को 'भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972' की अनुसूची I में, 'वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन' (CITES) के परिशिष्ट I में, प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) के परिशिष्ट II में शामिल किया गया है।
  • सिंधु नदी डॉल्फ़िन को 2019 में पंजाब का राज्य जलीय जीव घोषित किया गया था। राज्य स्तर पर पंजाब सरकार ने डॉल्फ़िन और उनके आवास के संरक्षण के लिए पहल की है। 
  • मीठे पानी की डॉल्फ़िन की गणना केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी परियोजना 'प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन' के तहत की जा रही है, जिसे संरक्षण प्रयास की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
  • यह एक बहु-आयामी रणनीति पर केंद्रित है, जिसमें आवास प्रबंधन, अनुसंधान, निगरानी, वकालत और पर्यावरण शिक्षा शामिल है। इसके तहत समर्पित व्यक्तियों के एक समूह को विकसित करने के लिए विस्तार कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिन्हें ब्यास नदी के 'ब्यास-डॉल्फ़िन मित्र' [मित्र और संरक्षक] कहा जाता है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/58deeap4

https://tinyurl.com/n956zvan

https://tinyurl.com/2j7cpbkf

https://tinyurl.com/yzdsymd7

https://tinyurl.com/3jrr488u

https://tinyurl.com/2kemx6pc

मृत सिंधु नदी की डॉल्फ़िन का स्रोत : Wikimedia 

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