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मेरठवासियों, जब भी हमारे आसपास के खेतों में हरियाली लहराती है और गन्ने की पंक्तियाँ दूर-दूर तक फैली दिखाई देती हैं, तो यह नज़ारा न सिर्फ उपज की बात करता है, बल्कि उस मेहनत और तकनीक की कहानी भी कहता है, जो किसान के साथ मिलकर फसल को सफल बनाते हैं। मेरठ और उसके आस-पास के क्षेत्र, जैसे बागपत, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर, उत्तर भारत के गन्ना उत्पादन में अग्रणी रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस ऊँचे और मीठे फसल की इस सफलता के पीछे कौन-कौन से आधुनिक उपकरण और तकनीकी नवाचार शामिल हैं? आज की इस चर्चा में हम जानेंगे कि किस तरह आधुनिक कृषि उपकरणों ने मेरठ क्षेत्र के गन्ना उत्पादन को नई ऊँचाई दी है।
इस लेख में हम जानने की कोशिश करेंगे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, खासकर मेरठ और उसके आसपास के क्षेत्रों में कृषि को किस तरह ऐतिहासिक और भौगोलिक विशेषताएँ लाभ पहुंचाती हैं। हम यह भी देखेंगे कि गन्ना उत्पादन में मेरठ की क्या खास भूमिका रही है और किस तरह आधुनिक कृषि उपकरणों ने इस खेती को और भी समृद्ध बनाया है। साथ ही, हम समझेंगे कि गन्ने की खेती में कौन-कौन से आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होता है और कैसे ये उपकरण किसानों की मेहनत को कम करके उनकी आय और उत्पादन क्षमता में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी करते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व
पश्चिमी उत्तर प्रदेश सदियों से भारत की कृषि समृद्धि का केंद्र रहा है। विशेष रूप से गंगा और यमुना के दोआब में स्थित मेरठ, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर जैसे ज़िलों की भूमि इतनी उपजाऊ है कि यहां दालों से लेकर तिलहन तक और गेहूं से लेकर गन्ना तक हर फसल भरपूर होती है। इस क्षेत्र में सिंचाई की समृद्ध व्यवस्था भी कृषि को सहयोग देती है। गंगा नहर प्रणाली और स्थानीय ट्यूबवेल सिस्टम (tube well system) इसके प्रमुख उदाहरण हैं। ब्रिटिश (British) काल से लेकर आज तक, मेरठ को एक प्रमुख कृषि मंडी के रूप में देखा गया है। राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर उर्वरक, बीज और बिजली की उपलब्धता को बेहतर बनाना भी कृषि की वृद्धि में सहायक रहा है। यहीं के किसान सबसे पहले हरित क्रांति की तकनीक को अपनाने वालों में थे, जिससे यह क्षेत्र उत्तर भारत के सबसे उन्नत कृषि क्षेत्र में बदल गया।
गन्ना उत्पादन में मेरठ और आस-पास के क्षेत्रों की विशेष भूमिका
गन्ना, मेरठ मंडल की पहचान बन चुका है। हालांकि बिजनौर और लखीमपुर खीरी जैसे ज़िले भी गन्ना उत्पादन में आगे हैं, परंतु मेरठ का योगदान कम नहीं आँका जा सकता। यहां की जलवायु, सिंचाई व्यवस्था और किसानों की मेहनत इस फसल को सफल बनाने में निर्णायक रही है। मेरठ और इसके आसपास लगभग हर गाँव में कोई न कोई किसान गन्ना जरूर उगाता है। राज्य की 119 चीनी मिलों में कई मेरठ मंडल में स्थित हैं, जो यहाँ की फसल को प्रोसेस (process) कर शक्कर, इथेनॉल (ethanol) और गुड़ में बदलती हैं। 2022-23 की फसल रिपोर्ट (Crop Report) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गन्ने की औसत उपज 70 टन प्रति हेक्टेयर (hectare) रही, जिसमें मेरठ क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ के किसानों ने मौसम की अनुकूलता के साथ-साथ वैज्ञानिक विधियों और उपकरणों के उपयोग से उत्पादन में निरंतर वृद्धि की है।
आधुनिक कृषि उपकरणों की परिभाषा और उनकी मूलभूत जरूरतें
आज की खेती बिना आधुनिक कृषि उपकरणों के अधूरी है। उपकरण जैसे ट्रैक्टर (Tractor), हार्वेस्टर (Harvester), सीड ड्रिल (Seed Drill), पावर टिलर (Power Tiller), स्प्रिंकलर (Sprinkler) आदि सिर्फ मेहनत कम नहीं करते, बल्कि उत्पादकता और समय दोनों की बचत करते हैं। परंपरागत तरीके जहाँ घंटों लगाते थे, वहीं आधुनिक मशीनें मिनटों में कार्य पूर्ण कर देती हैं। उदाहरण के लिए, जहां पहले खेत की जुताई बैल और हल से होती थी, आज वही कार्य ट्रैक्टर और कल्टीवेटर (cultivator) से कुछ घंटों में संभव है। बीज बोने के लिए ‘सीड ड्रिल’ जैसी मशीनें सटीक और एकसमान बोवाई करती हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार आता है। सिंचाई में पंप (pump) और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों ने पानी की बचत और फसल के पूर्ण पोषण को सुनिश्चित किया है। इस प्रकार, उपकरणों ने मेरठ के किसानों को आत्मनिर्भर और अधिक व्यावसायिक बनाया है।
गन्ना उत्पादन में प्रयुक्त प्रमुख उपकरण और तकनीकी नवाचार
गन्ना एक श्रम-प्रधान फसल है, जिसके लिए खेत की गहरी जुताई, सटीक बोवाई, समय पर सिंचाई और प्रभावशाली कटाई आवश्यक होती है। इन सभी कार्यों को करने के लिए अब आधुनिक उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है। गन्ने की कटाई के लिए 'सुगरकेन हार्वेस्टर' (sugarcane harvester) मशीनें बड़े पैमाने पर प्रयुक्त हो रही हैं। ये मशीनें एक ही बार में गन्ना काटने, पत्तियों को अलग करने और लोडिंग (loading) तक का कार्य करती हैं। बीजों की रोपाई के लिए 'प्लांटर' (planter) और मिट्टी तैयार करने के लिए 'रोटावेटर' (rotavator) जैसे उपकरण बहुत सहायक साबित हुए हैं। सिंचाई में 'ड्रिप इरिगेशन' (drip irrigation) प्रणाली ने जल संरक्षण के साथ-साथ गन्ने की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाया है। मेरठ के किसान इन तकनीकों को तेजी से अपना रहे हैं और प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से नए उपकरणों का उपयोग सीख रहे हैं। इससे खेती की रफ्तार और लाभ में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: लागत में कमी और किसानों की आय में वृद्धि
आधुनिक कृषि उपकरणों के आगमन से मेरठ के किसानों को जो सबसे बड़ा लाभ मिला है, वह है श्रम और समय में कमी और आय में बढ़ोतरी। पहले जो काम 10 मज़दूर करते थे, आज एक मशीन वही कार्य कुछ घंटों में कर देती है। इससे उत्पादन की लागत में भारी कटौती हुई है। साथ ही, गन्ने की अधिक उपज और गुणवत्ता के कारण किसान अब अपनी उपज बेहतर दाम पर बेच पा रहे हैं। सरकारी योजनाओं और अनुदान के चलते गरीब और मध्यम वर्ग के किसान भी इन उपकरणों को किराए पर लेकर उपयोग में ला पा रहे हैं। इससे सामाजिक स्तर पर भी एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। किसान तकनीक से जुड़कर नई सोच और नवाचार की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे युवा वर्ग भी खेती को रोजगार का विकल्प मानने लगा है।
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