हम अपने पैर से मनुष्य व किताबों आदि को क्यूँ नहीं छूते?

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
01-04-2018 09:22 AM
हम अपने पैर से मनुष्य व किताबों आदि को क्यूँ नहीं छूते?

भारतीयों के लिए, ज्ञान पवित्र और दिव्य है। इसलिए इसे हर वक़्त सम्मान देना चाहिए। आजकल हम अलग-अलग विषयों को पवित्र और धर्मनिरपेक्ष मानते हैं। लेकिन प्राचीन भारत में हर विषय - शैक्षणिक या आध्यात्मिक, को दिव्य माना जाता था और गुरु द्वारा गुरुकुल में सिखाया जाता था। शैक्षिक उपकरणों व किताबों पर कदम न रखने की प्रथा भारतीय संस्कृति में ज्ञान के सम्मान और इसकी उच्चतम स्थिति की याद दिलाती है। शैशव काल से ही हमारी श्रद्धा पुस्तकों से जुड़ी होती है, यही कारण है कि हम पुस्तकों की पूजा करते हैं। यही कारण है कि सरस्वती पूजा या आयुध पूजा के दिन प्रत्येक वर्ष किताबों आदि की पूजा की जाती है।

इस दौरान निम्नलिखित प्रार्थना की जाती है:

सरस्वती नमस्तुभ्यं
वरदे काम रूपनी
विद्यारम्भम करीश्य्यामी
सिधिरभवतु मे सदा

अर्थात :
हे देवी सरस्वती दात्री
शुभकामनाओं को पूर्ण करने की जननी
मैं तुम्हें पहले नमस्कार करता हूँ
मेरी पढ़ाई की शुरुवात है ये
आप हमेशा मेरी आकांक्षाओं की पूर्ती करें

इंसान को भगवान के सबसे सुंदर जीवित श्वास मंदिर के रूप में माना जाता है इसलिए पैर के साथ दूसरे को छूना उसके भीतर ईश्वर का अपमान करने जैसा है। यह एक तत्काल क्षमायाचना की मांग करता है, जिसे श्रद्धा और विनम्रता के साथ पेश किया जाना चाहिए।

1. हिन्दू रिचुअल्स