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पूरे इतिहास, लोककथाओं और साहित्य में अनेकों प्रसिद्ध घोड़ों का उल्लेख मिलता है। लेकिन
खच्चर एक ऐसा जीव है, जिसका जिक्र इन सभी में कम ही प्राप्त होता है। मुहर्रम के दिन जो
एक विशेष चीज मुहर्रम की शोभायात्रा में दिखाई देती है, वह है सफ़ेद रंग का चमकदार घोड़ा।
यह घोड़ा वास्तव में ‘दुलदुल’ की प्रतिकृति है। माना जाता है कि दुलदुल,पैगंबर मुहम्मद से
संबंधित उनका पसंदीदा सफेद खच्चर था। हो सकता है कि उनके पास कई खच्चर रहे हों,
लेकिन जिस खच्चर का सबसे अधिक उल्लेख किया जाता है, वह दुलदुल और फिदाह हैं।
दुलदुल ऐसा पहला खच्चर है, जिसका जिक्र इस्लाम धर्म में प्राप्त होता है।
माना जाता है, कि
दुलदुल सफेद या ग्रे रंग (Grey) का चमकदार खच्चर था।फ़िदाह की कोई अपनी कहानी नहीं
है,हालांकि दिलचस्प बात यह है कि इसका नाम पैगंबर के कवच के साथ एक नाम साझा करता
है जिसका प्रतीकात्मक अर्थ हो सकता है। पैगंबर मुहम्मद के खच्चर दुलदुल का नाम मुख्य रूप
से ज़ुल्जाना था। दुलदुल कई अलग-अलग संस्करणों में मौजूद है। उदाहरण के लिए, हालांकि
ऐतिहासिक वृत्तांतों से लगता है कि वह वास्तव में एक खच्चर था, किंतु जब लोककथाओं को
देखते हैं, तो दुलदुल को एक घोड़े के रूप में संदर्भित किया जाता है। इतना ही नहीं उसे एक
पंखों वाले घोड़े के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
पैगंबर ने दुलदुल का उपयोग कई लड़ाइयों में किया। हुनायन(Hunayn) के युद्ध, जो मुहम्मद
साहब और उनके अनुयायियों का हवाज़ीन (Hawazin) की बेडोविन (Bedouin)आदिवासी जाति
के मध्य हुआ था, में मुहम्मद साहब ने दुलदुल को मैदान में बैठने का हुकुम दिया और उसके
बाद उन्होंने मुट्ठी भर रेत उठाकर दुश्मनों के चेहरे पर फेंकी और लड़ाई जीत ली। दुलदुल को
मादा के रूप में संदर्भित किया जाता है, तथा माना जाता है कि जब उसकी मौत हुई तब वह
"इतनी बूढ़ी और दांतहीन हो चुकी थी कि उसे खिलाने के लिए जौ उसके मुंह में डालना पड़ा।
पैगम्बर मुहम्मद को दुलदुल और फ़िदाह, अलेक्जेंड्रिया (Alexandria) के शासक अल-मुकावकिस
(al-Muqawqis) की ओर से उपहार में प्राप्त हुए थे। उनके साथ याफर नाम का एक गधा भी
था,जो उस गधे का वंशज था जिस पर यीशु सवार होकर यरूशलेम गए थे। याफर,मिस्र (Egypt)
का गधा था और इसलिए वह बहुत सुंदर भी था। उसके पास बोलने की एक विलक्षण शक्ति
थी। बाद में दुलदुल को अली को सौंप दिया गया था।
यह बहुत दिलचस्प बात है कि, महान विश्व धर्मों में से एक की शुरुआत में एक खच्चर का
नाम आज भी संरक्षित है।हर साल विभिन्न स्थानों पर मुहर्रम के लिए एक घोड़े को अच्छी तरह
से सजाया जाता है और फिर उसे दुलदुल के रूप में सार्वजनिक शोक जुलूस(अल-मवाकिब अल-
हुसैनिया)में शामिल किया जाता है।
यह परंपरा हमारे शहर लखनऊ में भी प्रचलित है, जिसमें एक चमकदार सफेद घोड़े को शोक
जुलूस में शामिल किया जाता है।यूं तो हर स्थान की शोभायात्रा में दुलदुल की प्रतिकृति के रूप
में एक सफेद घोड़े को अवश्य शामिल किया जाता है,किंतु लखनऊ स्थित इमामबाड़ा के घोड़े की
बात ही कुछ अलग है। ऐसा इसलिए है, क्यों कि इसे दुलदुल की जीवित प्रतिकृति के रूप में
चुना गया है तथा मुख्य रूप से केवल शोभायात्रा के उद्देश्य के लिए ही रखा गया है।
इस घोड़े की देख-रेख का भुगतान हुसैनाबाद और सम्बंधित ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसे
1838 में अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह द्वारा स्थापित किया गया था।ट्रस्ट में जो भी पैसा
जुटाया जाता है, उसका उपयोग धार्मिक समारोहों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है।यह
घोड़ा जब मात्र 11 महीने का था तब इसे खरीदा गया था।मुहर्रम के जुलूस में शामिल करने के
अलावा इस घोड़े का कोई दूसरा उपयोग नहीं किया जाता है।घोड़े को स्वस्थ रखने के पूर्ण प्रयास
किए जाते हैं, तथा समय-समय पर चिकित्सकीय जांच भी की जाती है।
वर्तमान समय में पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैली हुई है, तथा हर पर्व की तरह मुहर्रम को
भी कोरोना महामारी ने नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।सदियों पुराने इस अनुष्ठान को
आयोजित करने के तरीके को महामारी ने अब बदल दिया है।उदाहरण के लिए सीतापुर के
महमूदाबाद किले में मुहर्रम के आयोजन का लाइव प्रसारण किया जाएगा, ताकि कोरोना गाइड
लाइनों का पालन किया जा सके। कोरोना महामारी से पूर्व किले में यह आयोजन बहुत धूमधाम
से किया जाता था, किंतु इस वर्ष महामारी को देखते हुए आयोजन को ऑनलाइन रूप दिया गया
है।लोग सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजन को देख पाने में सक्षम होंगे।इस वर्ष कोई जुलूस
नहीं निकलेगा, तथा बाहर के लोगों की भी कोई भागीदारी आयोजन में नहीं होगी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3m7EYBp
https://bit.ly/3jTEmfQ
https://bit.ly/3snipJT
https://bit.ly/2m2rABm
चित्र संदर्भ
1. पैगम्बर मोहम्मद की सफ़ेद मादा खच्चर दुलदुल का एक चित्रण (Publicdomainpictures)
2. अच्छी तरह से सजाया हुआ घोड़ा (दुलदुल) इमाम का घोडे का एक चित्रण (flickr)
3. जुल्जनाह के लघुचित्र (Miniature का एक चित्रण (wikimedia)