जैन और हिंदू धर्म में माँ अंबिका का अनुसरण

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
04-10-2021 03:48 PM
जैन और हिंदू धर्म में माँ अंबिका का अनुसरण

यदि हम गौर से अवलोकन करें तो पाएंगे की, ईश्वर के हर अवतार ने धरती पर मात्र किसी दानव अथवा कुप्रथा का अंत करने के लिए जन्म नहीं लिया! बल्कि ईश्वर के प्रत्येक रूप के अवतरित होने के पीछे, कोई न कोई सांकेतिक शिक्षा जरूर रहती है। इस तथ्य को हम आदिशक्ति के "अंबिका" रूप से बेहतर समझ सकते हैं। जिन्होंने न केवल अन्याय का पर्याय बन चुके, शुंभ और निशुंभ जैसे दानवों का अंत किया, बल्कि सांकेतिक रूप से यह संदेश भी दिया की, यदि कोई स्त्री एक माँ के रूप अपने बच्चों पर प्रेम और करुणा बरसा सकती हैं तो, दूसरी तरफ उन बच्चों पर पड़ने वाले किसी भी संकट को मूल से ही नष्ट करने में भी पूरी तरह सक्षम है।
माँ अंबिका को आदि शक्ति या दुर्गा, के रूप में भी पूजा जाता है। उन्हें समस्त ब्रह्माण्ड सहित धरती पर सभी प्राणी मात्र की माता भी माना जाता है।
अंबिका का वर्णन हिंदू ग्रन्थ स्कंद पुराण में मिलता है, जिसके अनुसार वह पार्वती के शरीर से प्रकट हुईं, और राक्षसों शुंभ और निशुंभ का वध किया। उनकी पहचान अम्बा, दुर्गा, भगवती, ललिताम्बिका, भवानी, अम्बे माँ, शेरावाली, माता रानी आदि के रूप में भी की जाती है। उनकी छवि को आठ भुजाएँ और सभी हाथों में अनेक शस्त्र धारण किए हुए दर्शाया जाता है। उन्हें भगवती या चंडी के नाम से भी जाना जाता है। श्रीमद देवी भागवतम में, अंबिका को सभी देवी-देवताओं की पूर्वज माना गया हैं। उन्हें कई रूपों और नामों के साथ एक के रूप में पूजा जाता है। उसका रूप या अवतार उसकी मनोदशा पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए:
1. माता सती के रूप में अंबिका भगवान शिव की पहली पत्नी हैं, जिन्होंने शिव अवहेलना से क्रोधित होकर आत्मदाह कर लिया था। इन्हें दक्षिणायिनी के नाम से भी जाना जाता है।
2. माँ भद्रकाली, अंबिका के उग्र रूपों में से एक है।
3. माँ पार्वती को अंबिका का पूर्ण अवतार माना गया हैं, वह भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जिनके इस रूप को गौरी और उमा के नाम से भी जाना जाता है।
3. माँ दुर्गा को माता पार्वती के रूप में दानव संहारक माना गया है। साथ ही कुछ अन्य ग्रंथों के अनुसार, अत्याचारी दानव दुर्गामासुर को मारने के लिए माँ लक्ष्मी ने दुर्गा का रूप धारण किया था।
4. माँ काली को पार्वती के प्रचंड रूप में पूजा जाता है, वे अत्याचारियों के प्रति निर्दयी है, जो समय और परिवर्तन की देवी के रूप में भी पूजित हैं।
5. चंडी दुर्गा का प्रतीक है, जिसे अंबिका की शक्ति भी माना जाता है; उनका रंग पूरी तरह काला है और उन्हें महिषासुर राक्षस के वध करने वाले सिंह पर सवार चित्रित किया जाता है।
6. 52 शक्ति पीठों से यह संकेत मिलता है की, सभी देवी-देवता आदिशक्ति के ही विभिन्न अवतार हैं।
हिंदू धर्म के साथ ही जैन धर्म में भी, अंबिका माँ को 22 वे जैन तीर्थंकर, नेमिनाथ की "समर्पित परिचारक देवता" या आसन देवी "रक्षक देवी" के रूप में माना जाता हैं। उन्हें अंबाई, अंबा, कुष्मांडिनी और आमरा कूष्मांडिनी के नाम से भी जाना जाता है।
उनके जैन चित्रों में उन्हें अक्सर एक या अधिक बच्चों के साथ और अक्सर एक पेड़ के नीचे दिखाया जाता है। जैन पाठ के अनुसार, अंबिका, अग्निला एक साधारण महिला थी, जो देवी बन गई। वह अपने पति सोमसरमन और अपने दो बच्चों शुभनाकर और प्रभाकर के साथ गिरिनगर में रहती थी। एक दिन, सोमसरमन को ब्राह्मणों द्वारा श्राद्ध (अंत्येष्टि समारोह) करने के लिए आमंत्रित किया, और वह अग्निला को घर पर छोड़कर जाने लगे। उस दिन जैन तीर्थकर नेमिनाथ के प्रमुख शिष्य वरदत्त, उनके घर के पास से गुजर रहे थे, और उन्होंने अपने महीने भर के उपवास को समाप्त करने के लिए अग्निला से भोजन मांगा। यह देखकर सोमसरमन और ब्राह्मण उस पर क्रोधित हो गए, क्योंकि उनके अनुसार वह भोजन अब अशुद्ध हो गया था। सोमासरमन ने उसे उसके बच्चों समेत घर से निकाल दिया; वह एक पहाड़ी पर गई और उसके पुण्य इतने महान थे, की वह जिस पेड़ के नीचे बैठी थी, वह कल्पवृक्ष अर्थात इच्छा पूर्ति करने वाला वृक्ष बन गया। दूसरी तरफ अंगिला के साथ हुए व्यवहार से देवता नाराज हो गए और उन्होंने उसके घर को छोड़कर उसके गांव में सब कुछ डुबाने का फैसला किया। यह देखने के बाद सोमासरमन और ब्राह्मण उससे क्षमा माँगने गए। अपने पति को सजा से डरते हुए देख अंगिला ने चट्टान से कूदकर आत्महत्या कर ली, लेकिन तुरंत देवी अंबिका के रूप में पुनर्जन्म हो गया।
हमारे मेरठ शहर के निकट दिगंबर जैन मंदिर की निकट वाली नहर से माता अम्बिका की एक प्राचीन मूर्ती तथा देवी के सिर पर सोमिनाथ की खुदी हुई छवि भी प्राप्त हुई है। पूरे भारत में अंबिका या किमाणी को समर्पित कई मंदिर और चित्र उनकी लोकप्रियता को प्रदर्शित करते हैं। गुजरात, श्वेतांबर जैन धर्म का गढ़, और कर्नाटक में श्रवण बेलगोला, दिगंबर जैनियों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।

संदर्भ
https://bit.ly/3mihwj7
https://bit.ly/3ouAx4S
https://bit.ly/3ire98k
https://en.wikipedia.org/wiki/Ambika_(goddess)
https://en.wikipedia.org/wiki/Ambika_(Jainism)

चित्र संदर्भ

1. देवी अंबिका दाहिनी भुजा में सिंह और बाई भुजा में अपने पुत्र के साथ आम के पेड़ की शाखा पर बैठी हैं, रॉयल ओंटारियो संग्रहालय (Royal Ontario Museum) में 8वीं-9वीं शताब्दी का एक चित्रण (istock)
2. देवी अंबिका (दुर्गा) माँ का एक चित्रण (wikimedia)
3. अंबिका देवी कलुगुमलाई जैन वेदों की नक्काशी, 8वीं शताब्दी का एक चित्रण (wikimedia)
4. दिगमबर जैन मंदिर का एक चित्रण (wikimedia)