लखनऊ के मूल्यवान ग्राहकों को लुभाने में क्या भूमिका निभाती हैं, विज्ञापन एजेंसियाँ ?
संचार एवं संचार यन्त्र
05-06-2025 09:16 AM
अपनी तहज़ीब और नवाबी अंदाज़ के लिए मशहूर "लखनऊ" आज भारत के सबसे रचनात्मक विज्ञापन केंद्रों में से एक बन गया है! आजकल बड़े शहरों में विज्ञापन केवल प्रचार का माध्यम ही नहीं रहे, बल्कि लखनऊ में तो यह स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और लोगों की सोच को ज़ाहिर करने का दमदार ज़रिया बन गया है। लखनऊ की " ओरिजिन्स एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड" (Origins Advertising Pvt Ltd) जैसी कंपनियों की कामयाबी इसी बात का सबूत है!
महज़ चार लोगों की एक छोटी टीम के साथ 24 मार्च 2000 को शुरू हुई यह कंपनी, आज 150 से ज़्यादा पेशेवरों के साथ 400 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कारोबार कर रही है। यह दिखाता है कि जब विज्ञापन हमारी भावनाओं और संस्कृति से जुड़ते हैं, तो वे सीधे दिल पर असर करते हैं।
लखनऊ की विज्ञापन एजेंसियाँ अब महज़ विज्ञापन नहीं बनातीं। वे बाज़ार की नब्ज़ पकड़ती हैं, ग्राहकों की सोच, ज़रूरतें और उम्मीदें समझती हैं। इसी समझ से जन्म लेते हैं ऐसे लाजवाब विज्ञापन जो लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं और ब्रांड और ग्राहक के बीच भरोसे का रिश्ता बनाते हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ये एजेंसियाँ व्यवसायों की मार्केटिंग योजनाओं को कैसे बनाती हैं, उन्हें कैसे लागू करती हैं और पूरे कैंपेन को असरदार तरीके से कैसे चलाती हैं। इसके बाद हम भारत में अलग-अलग तरह की एजेंसियों पर भी नज़र डालेंगे। साथ ही, हम ओगिल्वी इंडिया (Ogilvy India), मैककेन एरिक्सन इंडिया (McCann Erickson India) और ग्रुपएम (GroupM) जैसी देश की टॉप एजेंसियों की सफलता की कहानियाँ भी जानेंगे, जिन्होंने भारत के विज्ञापन जगत को एक नई दिशा दी है। आखिर में, हम यह भी समझेंगे कि किसी भी बिज़नेस के लिए सही विज्ञापन एजेंसी चुनते वक़्त किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।
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एक विज्ञापन एजेंसी करती क्या है ?
जब कोई कंपनी अपना सामान या सर्विस आम लोगों तक पहुँचाना चाहती है, तो वो एक बढ़िया विज्ञापन एजेंसी की मदद लेती है। लेकिन ये एजेंसियां केवल विज्ञापन नहीं बनाती बल्कि एक ब्रांड को बुलंदियों तक पहुँचा सकती हैं।
आइये जानते हैं कैसे:
सबसे पहले, सही जानकारी जुटाना: कोई भी विज्ञापन बनाने से पहले, एजेंसी ये पता लगाती है कि विज्ञापन किसके लिए बन रहा है। यानी, उनके ग्राहक कौन हैं? वे कहाँ रहते हैं, उन्हें क्या पसंद है, और वे ऑनलाइन कहाँ सबसे ज़्यादा एक्टिव रहते हैं? साथ ही, मार्केट में उनके मुकाबले कौन खड़ा है? बाज़ार के ताज़ा हालात क्या हैं? और भविष्य में क्या चीज़ें बदल सकती हैं? इन सभी सवालों की गहराई से पड़ताल की जाती है। यही सारी जानकारी आगे चलकर विज्ञापन का पूरा प्लान बनाने में मदद करती है।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल: आज का ज़माना सोशल मीडिया का है। लोग फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर काफ़ी समय बिताते हैं। इसलिए, विज्ञापन एजेंसी अपने क्लाइंट के सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी संभालती है। वे तय करते हैं कि कब और किस तरह की पोस्ट डाली जाए, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग उसे देखें और ब्रांड से जुड़ें।
क्लाइंट्स से रिश्ते बनाना और निभाना: एजेंसी के लिए नए क्लाइंट्स लाना और पुराने क्लाइंट्स के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। आख़िरकार, सारा काम क्लाइंट्स पर ही टिका होता है। इसलिए, एजेंसी अपनी स्किल और अनुभव से क्लाइंट्स का भरोसा जीतती है और उन्हें यकीन दिलाती है कि उनका ब्रांड सही हाथों में है।
सबका ध्यान खींचने वाला जनसंपर्क (PR): अच्छा पब्लिक रिलेशन (PR) भी एक अहम ज़िम्मेदारी है। इसका मुख्य काम कंपनी या ब्रांड की एक अच्छी और भरोसेमंद पहचान बनाना होता है। जब लोग किसी ब्रांड के बारे में अच्छा सुनते हैं, तो उसे ज़्यादा पसंद करते हैं और उस पर भरोसा भी करते हैं। एक विज्ञापन एजेंसी इसी भरोसे को बनाने और बनाए रखने में माहिर होती है।
पूरी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ना: एक सफल विज्ञापन बिना सोची-समझी योजना के नहीं बनता। एजेंसी ये तय करती है कि कौन-सा विज्ञापन कहाँ और कैसे दिखाया जाएगा। वे देखती हैं कि कौन-सा टीवी चैनल, अख़बार या सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स उनके क्लाइंट के लिए सबसे सही रहेगा। पहले जुटाई गई जानकारी के आधार पर एजेंसी पूरी रणनीति बनाती है, ताकि विज्ञापन सही लोगों तक पहुँचे और अपना असर दिखाए।
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विज्ञापन एजेंसियां कई प्रकार की होती हैं, आइए अब कुछ खास तरह की एजेंसियों के बारे में जानते हैं:
1. फ़ुल -सर्विस एजेंसियां (Full Service Agencies): ये आमतौर पर सबसे बड़ी और सबसे अनुभवी एड एजेंसियां होती हैं। जैसा कि इनके नाम से ही पता चलता है, ये विज्ञापन से जुड़ा सारा काम संभाल लेती हैं। इनके पास हर काम के माहिर लोग होते हैं! रिसर्च करने वाले, रचनात्मक विचार सोचने वाले, और मीडिया में ऐड लगाने वाले, सबकी अपनी-अपनी टीमें होती हैं। इनका काम डेटा जुटाने से लेकर बिलिंग तक सब कुछ कवर करता है। ये भले ही एक बड़ा और उलझा हुआ काम हो, पर ये एजेंसियां इसे बड़े आराम से मैनेज कर लेती हैं।
2. इंटरैक्टिव एजेंसियां (Interactive Agencies) : डिजिटल दुनिया ने विज्ञापन के तरीके पूरी तरह से बदल दिए हैं! इंटरैक्टिव एजेंसियां इसी नई लहर पर सवार हैं। ये ऑनलाइन ऐड्स, मोबाइल मेसेजिंग जैसे नए ज़माने की तकनीक इस्तेमाल करती हैं! ये ऐसे दिलचस्प विज्ञापन बनाती हैं जो लोगों को न सिर्फ़ खींचे, बल्कि उनसे कनेक्ट भी करें। ये नए विचार लाने और उन्हें असरदार ढंग से लोगों तक पहुँचाने में एक्सपर्ट होती हैं।
3. क्रिएटिव बुटीक (Creative Boutique): इनका सारा ज़ोर सिर्फ़ और सिर्फ़ विज्ञापन बनाने की कला पर होता है। इनका एक ही मकसद होता है - "ऐसे विज्ञापन तैयार करना जो एकदम हटके, रचनात्मक और नए हों।" इनमें आमतौर पर छोटी टीमें होती हैं, जिनमें बेहतरीन कॉपीराइटर, डायरेक्टर और दूसरे रचनात्मक दिमाग वाले लोग शामिल होते हैं। ये बस कमाल के विज्ञापन बनाने पर ही अपना पूरा ध्यान लगाते हैं और इसमें अपना सब कुछ झोंक देते हैं।
4. मीडिया बाइंग एजेंसियां (Media Buying Agencies): इन एजेंसियों का मुख्य काम होता है:- "विज्ञापन दिखाने के लिए सही जगह (मीडिया स्पेस) खरीदना।" ये तय करती हैं कि ऐड कहाँ (जैसे टीवी चैनल, रेडियो स्टेशन) और कितनी देर के लिए दिखेगा। ये मीडिया स्लॉट्स बुक करती हैं और पक्का करती हैं कि विज्ञापन सही वक़्त और सही जगह पर चले, ताकि वो ठीक लोगों तक पहुँच सके।
5. इन-हाउस एजेंसियां (In-House Agencies) : जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, ये ऐसी विज्ञापन एजेंसियां होती हैं जिन्हें कुछ बड़ी कंपनियां खुद ही चलाती हैं। ये सिर्फ़ अपनी ही कंपनी के लिए काम करती हैं। क्योंकि ये कंपनी का ही हिस्सा होती हैं, इसलिए ये कंपनी की सोच, कल्चर और ज़रूरतों को किसी भी बाहरी एजेंसी से बेहतर समझती हैं और उसी हिसाब से काम करती हैं।
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इसलिए, अपनी कंपनी के लिए सही तरह की विज्ञापन एजेंसी चुनना बहुत अहम् होता है।
अगर आप भी एक अच्छी एजेंसी ढूंढ रहे हैं, तो इन पाँच ज़रूरी बातों पर गौर ज़रूर करें:
उनका पिछला काम परखें: किसी भी एजेंसी को फ़ाइनल करने से पहले, उनका पोर्टफ़ोलियो देखना बेहद ज़रूरी है। इससे आपको उनकी काबिलियत, क्लाइंट लिस्ट और काम करने के अंदाज़ का पता चलेगा, क्या वे आपकी सोच से मेल खाते हैं? उनका काम देखकर ही आप समझ पाएँगे कि वे आपके लिए सही फिट हैं या नहीं।
टीम को पहचानें: पता करें कि एजेंसी में काम करने वाले लोग कितने अनुभवी हैं और उन्होंने पहले कैसे प्रोजेक्ट्स संभाले हैं। याद रखें, आप अपनी कंपनी की साख और पैसा उनके हाथों में दे रहे हैं। इसलिए, यह जानना अहम है कि आपकी कंपनी की तरक्की के लिए वहाँ कितने हुनरमंद लोग मौजूद हैं।
बजट पर पैनी नज़र रखें: मार्केटिंग में पैसों का सही तालमेल बहुत मायने रखता है। अपने बजट और एजेंसी की फीस की तुलना करें। पहले से तय कर लें कि आप कितना खर्च करने को तैयार हैं और यह भी समझें कि आपके निवेश पर आपको कितना फायदा मिलने की उम्मीद है। सोच-समझकर ही फ़ैसला लें।
सेवाओं की पूरी जानकारी लें: आदर्श रूप से एजेंसी को आपकी सारी विज्ञापन संबंधी ज़रूरतें पूरी करनी चाहिए। जैसा कि हमने जाना, बाज़ार में अलग-अलग तरह की एजेंसियां हैं। इसलिए पहले अपनी ज़रूरतों को समझें, फिर उसी के मुताबिक सही आकार (छोटी, मध्यम या बड़ी) की एजेंसी चुनें।
नज़दीकी लोकेशन भी फ़ायदेमंद है: हो सके तो ऐसी एजेंसी चुनें जो आपके ऑफ़िस के पास हो। पास होने से मिलना-जुलना, बातचीत करना, फॉलो-अप लेना और काम पर नज़र रखना आसान हो जाता है। साथ ही, नज़दीकी से एजेंसी का आपकी कंपनी के साथ जुड़ाव भी बेहतर महसूस होता है।
इन बातों का ध्यान रखकर आप अपनी कंपनी के लिए वह सही विज्ञापन एजेंसी चुन पाएँगे, जो आपके बिज़नेस को आगे बढ़ाने में सच्ची साथी बनेगी।
आइए, भारत की कुछ सबसे जानी-मानी एडवरटाइजिंग कंपनियों पर एक नज़र डालते हैं:
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ओग्लिवी इंडिया (Ogilvy India): जब बात नए और अनोखे विज्ञापनों की होती है, तो ओग्लिवी इंडिया का नाम सबसे पहले आता है। ये न सिर्फ़ मज़बूत रणनीतियाँ बनाती है, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी अपने असरदार विज्ञापनों से छाई रहती है। अपने विज्ञापनों को और ज़्यादा लुभावना बनाने के लिए ये आँकड़ों का भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं। ये हमेशा बाज़ार की नब्ज़ टटोलते रहते हैं और समझते हैं कि लोग क्या देखना चाहते हैं, ताकि इनके विज्ञापन हमेशा ताज़गी भरे और दिलचस्प लगें।
इनके कुछ क्लाइंट्स: आई बी एम (IBM), डव (Dove), नैस्कार (NASCAR), कैडबरी (Cadbury), नेशनवाइड टिफ़नी एंड कंपनी (Nationwide Tiffany & Co.), सेवलॉन (Savlon), अमेरिकन एक्सप्रेस (American Express), आइकिया (IKEA), यू पी एस (UPS), फ़िलिप्स (Philips), कोक ज़ीरो (Coke Zero)।
मैककैन एरिक्सन इंडिया (McCann Erickson India): मैककैन एरिक्सन इंडिया सीधे लोगों के दिलों में उतरने वाले विज्ञापन बनांते हैं। इसके लिए ये बाज़ार को गहराई से समझते हैं और ग्राहकों की सोच को पकड़ते हैं। ब्रांड को एक अलग पहचान देना, असरदार डिजिटल मार्केटिंग करना और विज्ञापन के लिए सही मीडिया चुनना इनकी ताक़त है। ये सुनिश्चित करते हैं कि इनका हर कैंपेन न सिर्फ़ असरदार हो, बल्कि पूरी तरह कामयाब भी हो।
इनके कुछ क्लाइंट्स: एयर इंडिया (Air India), ज्ञान डायरी (Gyan Dairy), माइक्रोसॉफ़्ट (Microsoft), लोरियाल ( L'Oréal ), कोका-कोला (Coca-Cola), मेबेलिन (Maybelline), स्प्राइट (Sprite), मास्टर कार्ड (Master Card), और कई अन्य।
मुलेन लो लिंटास ग्रुप (MullenLowe Lintas Group): यह ग्रुप इस बात पर ज़ोर देता है कि ग्राहकों का व्यवहार कैसा है और बाज़ार किस तरफ़ जा रहा है। इसी गहरी समझ के साथ ये ऐसे विज्ञापन बनाते हैं जो टीवी, प्रिंट और ऑनलाइन, हर जगह अपना असर दिखाते हैं। ये सिर्फ़ विज्ञापन बनाते ही नहीं, बल्कि उनकी पूरी प्लानिंग से लेकर उन्हें सही तरीके से लागू करने तक की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। ये पक्का करते हैं कि विज्ञापन सही प्लैटफ़ॉर्म पर दिखें और बिल्कुल सही लोगों तक पहुँचें।
इनके कुछ क्लाइंट्स: एक्सिस बैंक (Axis Bank), बजाज (Bajaj), ब्रिटानिया (Britannia), हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever), हैवेल्स (Havells), जॉनसन बेबी (Johnson Baby), मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki), माइक्रोमैक्स (Micromax), टाटा टी (Tata Tea) आदि।
ग्रुप एम मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (GroupM Media India Pvt. Ltd.): ग्रुप एम मीडिया इंडिया विज्ञापन जगत का एक जाना-माना पावरहाउस है, जिसके बैनर तले माइंडशेयर (Mindshare), मीडियाकॉम (MediaCom), वेवमेकर (Wavemaker) और एसेंस (Essence) जैसी दुनिया की टॉप मीडिया एजेंसियाँ आती हैं। भारत में विज्ञापन से जुड़ी हर ज़रूरत को पूरा करने वाली ये एक बेहतरीन कंपनी है। सालों के अनुभव और ढेरों सफलताओं के दम पर, ये भारत में विज्ञापन के लिए एक शानदार विकल्प बन गए हैं।
इनके कुछ क्लाइंट्स: गूगल (Google), फ़ोर्ड (Ford), नेस्ले (Nestlé), कोका-कोला (Coca-Cola), यूनिलीवर (Unilever) और भी बहुत।
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