वायरलेस चार्जिंग है मेरठवासियों के लिए आधुनिक युग का एक सुविधाजनक आविष्कार

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
28-05-2025 09:27 AM
वायरलेस चार्जिंग है मेरठवासियों के लिए आधुनिक युग का एक सुविधाजनक आविष्कार

मेरठ वासियों, आज के दौर में वायरलेस चार्जिंग (Wireless charging) हमारे दैनिक जीवन का एक आम हिस्सा बनती जा रही है, जिससे अव्यवस्थित केबलों के बिना बिजली उपकरणों की चार्जिंग, आसान हो जाती है। स्मार्टफ़ोन तथा स्मार्टवॉच के लिए अब कई लोग घरों और कार्यालयों में वायरलेस चार्जर्स का उपयोग कर रहे हैं। हमारे शहर के कुछ शॉपिंग मॉल और कैफ़े भी वायरलेस चार्जिंग स्पॉट की सुविधा देने लगे हैं, जिससे ग्राहकों को बाहर रहते हुए भी, अपने उपकरणों को आसानी से चार्ज करने की सुविधा मिलती है। यह तकनीक, ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए विद्युत चुंबकीय शक्ति का उपयोग करती है। इससे चार्जिंग पोर्ट (charging port)  अधिक टिकाऊ बनते हैं और जल्दी खराब नहीं होते हैं। पोर्ट्रोनिक्स(Portronics), एम्ब्रेन(Ambrane), और पी ट्रॉन(PTron) जैसे भारतीय ब्रांडों ने, देश में वायरलेस चार्जिंग समाधानों के विकास में योगदान दिया है। पोर्ट्रोनिक्स और एम्ब्रेन अपनी सामर्थ्य और तेज़ चार्जिंग क्षमताओं के लिए प्रख्यात, वायरलेस चार्जर्स की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।

आज, हम यह पता लगाएंगे कि, वायरलेस चार्जिंग कैसे काम करती है, तथा इसके पीछे क्या तकनीक इस्तेमाल होती है। फिर, हम विभिन्न प्रकार की वायरलेस चार्जिंग विधियों पर चर्चा करेंगे। अंत में, हम वायरलेस चार्जिंग के फ़ायदों व नुकसानों पर चर्चा करेंगे।

वायरलेस चार्जर पर स्मार्टफोन लगाता व्यक्ति | चित्र स्रोत : Wikimedia 

वायरलेस चार्जिंग कैसे काम करती है?

वायरलेस चार्जर, विद्युत चुंबकीय इंडक्शन(Electromagnetic induction) के माध्यम से, किसी वायर या केबल का उपयोग किए बिना, ऊर्जा को प्रसारित करने के लिए एक चार्जिंग पैड(Charging pad) का उपयोग करता है। यह इस प्रकार काम कर सकता है, क्योंकि वायरलेस इंडक्टिव चार्जिंग स्टेशन, वायु तरंगों के माध्यम से विद्युत प्रवाह को प्रसारित करने के लिए, चार्जर और उपकरण के बीच एक विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बनाता है।

इन तरंगों को आपके फ़ोन जैसे किसी भी उपकरण के पीछे स्थित, एक रिसीवर कॉइल(Receiver coil) या तार द्वारा प्राप्त किया जाता है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों को उपयोग करने योग्य बिजली/ऊर्जा में बदल देता है। इस विद्युत प्रवाह का उपयोग, स्मार्टफ़ोन को चार्ज करने और फ़ोन की बैटरी में इसे स्टोर करने के लिए किया जाता है।

चुंकि, चुंबकीय क्षेत्र सीमित होता है, इसलिए फ़ोन को वायरलेस चार्जिंग स्टैंड के करीब रखा जाना चाहिए। अर्थात, चार्जिंग पैड पर ही उपकरण को रखा जाना चाहिए। चार्जिंग पैड पर आम तौर पर एक वृत्त या अन्य मार्कर होता है, जो इसके केंद्र को इंगित करता है। जब आप अपने उपकरण को एक वायरलेस चार्जिंग पैड या मैग्नेटिक पावर बैंक(Magnetic power bank) पर रखते हैं, तो आपका उपकरण प्रदर्शित करेगा कि, वह चार्ज हो रहा है। 

 चित्र स्रोत : Wikimedia 

वायरलेस चार्जिंग के प्रकार-

•इंडक्टिव वायरलेस चार्जिंग(Inductive Wireless Charging)

यह विधि, समीपता वाली वायरलेस चार्जिंग विधियों में से एक है। यह विद्युत चुंबकीय इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करती है, जिसमें चार्जर इंसुलेटेड तांबा वायर कॉइल(Insulated copper wire coil) का उपयोग करके, वैकल्पिक ध्रुवीयता के साथ, विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बनाता है। एक समान कॉइल को उपकरण के अंदर रखा जाता है, जो बैटरी को चार्ज करने हेतु विद्युत चुंबकीय क्षेत्र को विद्युत प्रवाह में परिवर्तित करता है। 

इंडक्शन (बाएं चित्र) से चार्ज करने पर केबल (दाएं चित्र) की तुलना में अधिक अपशिष्ट ऊष्मा उत्पन्न होती है। |  चित्र स्रोत : Wikimedia 

उदाहरण: एम पी 3 प्लेयर(MP3 players), इलेक्ट्रिक टूथब्रश(Electric toothbrush), वाटरप्रूफ़ वाइब्रेटिंग रेज़र्स(Waterproof Vibrating Razors), पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट(Personal digital assistants), आदि।

•रेज़ोनेंस चार्जिंग(Resonance Charging)

इस प्रकार का वायरलेस चार्जर, "प्रति लहर" की घटना पर काम करता है, जो किसी निश्चित आवृत्ति की ऊर्जा प्राप्त होने पर किसी चीज़ में कंपन उत्पन्न करता है। इसमें, दो तांबे के कॉइल का उपयोग किया जाता है, जिनमें से एक ट्रांसमीटर (Transmitter) और दूसरा रिसीवर(Receiver) से जुड़ा होता है। दोनों कॉइल एक ही विद्युत चुंबकीय आवृत्ति के लिए व्यवस्थित किए जाते हैं। जब हम इन कॉइल्स (Coils) को एक दूसरे के पास रखते हैं, तो बिजली स्थानांतरित होती है और उपकरण चार्ज हो जाता है।

उदाहरण: रोबोट(Robot), कंप्यूटर, वैक्यूम क्लीनर(Vaccum cleaner), आदि।

पार्किंग के दौरान वायरलेस चार्ज |  चित्र स्रोत : Wikimedia 

वायरलेस चार्जिंग के फ़ायदे-

•वायरलेस चार्जिंग, दैनिक गतिविधियों में हमारे उपकरणों को चार्ज करने हेतु, सहज समन्वय की अनुमति देता है, क्योंकि आप अपने उपकरण को चार्जिंग पैड पर रख सकते हैं, और जब आप कहीं जाने के लिए तैयार होते हैं, तो इसे उठा सकते हैं। 

•यह केबलों से निपटने की परेशानी और उनके बार-बार उपयोग से जुड़ी खराबी को समाप्त करता है। 

•वायरलेस चार्जिंग स्टेशन भी, आज सार्वजनिक स्थानों पर अधिक आम हो रहे हैं, जिससे चलते-फिरते हुए उपकरणों को चार्ज करना आसान हो जाता है। 

•इसके अतिरिक्त, कुछ वायरलेस चार्जिंग तकनीकों की सार्वभौमिक प्रकृति का मतलब है कि, आप कई उपकरणों के लिए एक ही चार्जर का उपयोग कर सकते हैं। इससे आप अव्यवस्था को कम कर सकते हैं, और कई केबलों की आवश्यकता को कम कर सकते हैं। 

•यह तकनीक एक साफ़ वातावरण को भी बढ़ावा देती है, और स्मार्ट, अधिक एकीकृत घर और कार्यालय स्थानों के विकास का समर्थन करती है।

वायरलेस चार्जर | चित्र स्रोत : Wikimedia 

वायरलेस चार्जिंग के नुकसान-

•यह आमतौर पर वायर चार्जिंग विधियों की तुलना में, धीमी चार्जिंग प्रदान करता है। यह उन उपयोगकर्ताओं के लिए असुविधाजनक हो सकता है, जिन्हें अपने उपकरणों को जल्दी से चार्ज करने की आवश्यकता होती है। 

•वायरलेस चार्जिंग पैड को सटीक संरेखण की आवश्यकता होती है। एक मामूली गलत संरेखण के परिणामस्वरूप, अक्षम चार्जिंग या शून्य चार्जिंग भी हो सकती है। 

•उष्णता उत्पादन की चिंता भी इसमें है। वायरलेस चार्जिंग, अधिक गर्मी का उत्पादन कर सकती है, जो समय के साथ बैटरी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। 

•इसके अलावा, सभी उपकरण वायरलेस चार्जिंग के अनुकूल नहीं होते हैं। अतः यह चार्जिंग विधि, कुछ उपभोक्ताओं के लिए इसकी उपयोगिता को सीमित करती हैं। 

•वायरलेस चार्जर, अतिरिक्त बिजली का उपभोग करते हैं, और अक्सर गैर-पुनरावर्तनीय सामग्रियों से बने होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक कचरे में योगदान करते हैं। 

उपरोक्त कारक, वायरलेस चार्जिंग तकनीक को अपनाने के लिए उपभोक्ताओं के निर्णय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/yc4jp8pr

https://tinyurl.com/32zn8dxy

https://tinyurl.com/5n7366dk

मुख्य चित्र में चार्ज होते आईफ़ोन का स्रोत : pexels 

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