मेरठ में ई-पढ़ाई का बढ़ता चलन और डिजिटल पुस्तकों की बदलती दुनिया

संचार एवं संचार यन्त्र
28-07-2025 09:30 AM
मेरठ में ई-पढ़ाई का बढ़ता चलन और डिजिटल पुस्तकों की बदलती दुनिया

मेरठवासियों, क्या आपने कभी देर रात किसी ई-बुक के पन्ने पलटते-पलटते खुद को किसी नई कल्पनाओं की दुनिया में खोया हुआ पाया है? यह अनुभव अब सिर्फ एक या दो लोगों तक सीमित नहीं रहा। हमारा मेरठ, जो अब तक स्वतंत्रता संग्राम, खेल प्रतिभाओं और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध था, अब एक और बदलाव की ओर अग्रसर है – डिजिटल पढ़ाई और ई-बुक संस्कृति की ओर। बीते कुछ वर्षों में मेरठ के कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और पुस्तक प्रेमी समुदायों ने पारंपरिक किताबों के साथ-साथ ई-पुस्तकों की ओर भी तेज़ी से कदम बढ़ाया है। डिजिटल लाइब्रेरीज़, मुफ्त ऑनलाइन पाठ्य सामग्री, और मोबाइल एप्स के ज़रिए अब विद्यार्थी और पाठक कहीं भी, कभी भी, अपनी पसंद की सामग्री पढ़ सकते हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से लेकर छोटे-छोटे कोचिंग सेंटरों तक, हर जगह डिजिटल कंटेंट को अपनाया जा रहा है।

मेरठ के चौड़ा बाज़ार, बच्चा पार्क या सूरजकुंड के युवा अब अपने स्मार्टफोन पर केवल सोशल मीडिया नहीं, बल्कि साहित्य, प्रतियोगी परीक्षा सामग्री और इतिहास की किताबें भी पढ़ रहे हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे किंडल, गूगल बुक्स और ऑडिबल (Audible) जैसे ऑडियोबुक ऐप्स की लोकप्रियता यहाँ भी तेज़ी से बढ़ रही है। कई स्थानीय शिक्षकों ने खुद के ई-पुस्तक संस्करण जारी किए हैं, जिनमें से कुछ का वितरण हज़ारों में हो चुका है। इस बदलते माहौल में अब घरों में किताबों की अलमारी के साथ-साथ "ई-बुक फोल्डर" भी बन चुके हैं। पारंपरिक पुस्तकालय जहाँ एक शांत अध्ययन का प्रतीक हुआ करते थे, वहीं अब डिजिटल लाइब्रेरी ने 24x7 पढ़ाई की सुविधा दी है। यह खासकर उन विद्यार्थियों के लिए बेहद मददगार है जो सीमित संसाधनों के कारण भौतिक पुस्तकें नहीं खरीद पाते थे।

इस लेख में हम देखेंगे कि मेरठ में डिजिटल पढ़ाई की प्रवृत्ति कैसे बढ़ी है और इसमें पुस्तक मेलों जैसे आयोजनों की क्या भूमिका रही है। हम भारत के ई-पुस्तक बाज़ार की मौजूदा स्थिति और उसकी संभावनाओं पर भी नजर डालेंगे। आगे, हम भौतिक और डिजिटल पुस्तकों की तुलना करते हुए जानेंगे कि पाठकों की प्राथमिकताएं कैसे बदल रही हैं। फिर, हम उन विभिन्न प्रकार की ई-पुस्तकों को समझेंगे जो आजकल लोकप्रिय हो रही हैं। अंत में, भारत के प्रमुख डिजिटल पुस्तकालयों की भूमिका पर रोशनी डालेंगे जो इस बदलाव को और भी सुलभ बना रहे हैं।

मेरठ में डिजिटल पढ़ाई की बढ़ती लहर 

मेरठ में शैक्षिक संस्थानों की बड़ी संख्या और छात्रों की पढ़ाई के प्रति रुचि, इस शहर को डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार बनाती है। यहां के नागरिक विशेष रूप से छात्र और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा, अब मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप पर पढ़ाई को प्राथमिकता देने लगे हैं। मेरठ के कई कॉलेजों और पुस्तक प्रेमियों ने ई-बुक्स के प्रचार में भाग लिया और स्थानीय पुस्तकालयों में भी डिजिटल संसाधनों को शामिल किया गया। डिजिटल पुस्तकें यहां के युवाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित हो रही हैं, क्योंकि इन्हें कहीं भी, कभी भी पढ़ा जा सकता है। साथ ही, डिजिटल पुस्तक मेलों और ऑनलाइन गाइड बुक्स ने मेरठ के छात्रों को कठिन विषयों में भी सरलता से मार्गदर्शन देना शुरू कर दिया है।

भारत का ई-पुस्तक बाज़ार: आँकड़े, संभावनाएँ और विकास दर

भारत का ई-पुस्तक बाज़ार दिन-ब-दिन विस्तृत होता जा रहा है। स्टैटिस्टा (Statista) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक इस बाज़ार का राजस्व लगभग 255.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। 2027 तक यह 279.80 मिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 4.67% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। 2027 तक अनुमानित उपयोगकर्ताओं की संख्या 133.3 मिलियन तक पहुंच सकती है। प्रति उपयोगकर्ता औसत आय लगभग 2.16 डॉलर मानी जा रही है। जबकि अमेरिका जैसे देशों में यह संख्या बहुत अधिक है, लेकिन भारत में इसकी तेजी से वृद्धि स्पष्ट करती है कि यहां डिजिटल पढ़ाई का भविष्य उज्ज्वल है। मेरठ जैसे शिक्षित शहर इस क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जहां युवा अब टेक्नोलॉजी के साथ सीखना अधिक पसंद कर रहे हैं।

डिजिटल बनाम भौतिक पुस्तकें: पढ़ने के तरीके में बदलती प्राथमिकताएं

जहां पहले पुस्तकालय जाकर किताबें पढ़ना एकमात्र विकल्प होता था, वहीं अब डिजिटल पुस्तकें हमें कहीं भी, कभी भी पढ़ने की आज़ादी देती हैं। मेरठ के छात्रों को अब किसी किताब के न मिलने की चिंता नहीं रहती, क्योंकि ई-पुस्तकों की असीमित आपूर्ति उपलब्ध है। विशेष रूप से दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ई-पुस्तकें एक वरदान बनकर उभरी हैं। स्क्रीन रीडर टेक्नोलॉजी और ऑडियो बुक्स ने पढ़ाई को समावेशी बना दिया है। इसके अतिरिक्त, ई-पुस्तकों में हाइलाइटिंग, नोट्स, और शेयरिंग जैसी सुविधाएं हैं, जो भौतिक पुस्तकों में संभव नहीं होतीं। हालांकि, इन्हें पढ़ने के लिए उपकरण और इंटरनेट की आवश्यकता होती है, लेकिन यह लागत अब भी भौतिक पुस्तकों की तुलना में काफी कम है।

ई-पुस्तकों के लोकप्रिय प्रकार: मार्गदर्शिका से लेकर दैनिक आदतों तक

आज के दौर की ई-पुस्तकें सिर्फ उपन्यास नहीं हैं। मेरठ के कई छात्र अब "गाइड बुक्स" का उपयोग कर परीक्षा की तैयारी करते हैं। इसके अलावा "टिप्स बुक्स" जैसे – ’पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने की 20 युक्तियाँ’ या ‘इंटरव्यू में सफलता के 15 तरीके’ भी लोकप्रिय हो रही हैं। "सूची बुक्स" (List books), "दैनिक आदतों वाली किताबें" (Daily Ritual Books), और "प्रश्नोत्तर आधारित ई-पुस्तकें" (Q&A format books) अब स्मार्ट स्टडी का हिस्सा बन गई हैं। मेरठ में डिजिटल पब्लिशिंग से जुड़े कुछ युवाओं ने स्वयं इन प्रारूपों में पुस्तकें लिखनी शुरू की हैं, जिससे स्थानीय कंटेंट भी विकसित हो रहा है।

भारत के प्रमुख डिजिटल पुस्तकालय और उनकी विशेषताएँ

डिजिटल पढ़ाई की दुनिया को विस्तार देने में राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (NDLI) ने अहम भूमिका निभाई है। मेरठ के कई स्कूल और कॉलेज अब इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं। जेस्टोर (JSTOR) जैसे वैश्विक मंच अब यहां के शोध छात्रों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी - विकिपीडिया
 (Indian Science Academy) और ओपन लाइब्रेरी (Open Library) जैसे प्लेटफॉर्म विज्ञान, समाजशास्त्र, गणित और साहित्य से संबंधित सामग्री को उपलब्ध कराते हैं। इनमें हिंदी और अन्य भाषाओं की सामग्री भी उपलब्ध है, जिससे मेरठ जैसे हिंदी-भाषी क्षेत्र के छात्रों को भी आसानी होती है। ये पुस्तकालय न केवल पढ़ाई को सुलभ बनाते हैं, बल्कि ज्ञान को लोकतांत्रिक रूप में हर विद्यार्थी तक पहुंचाते हैं।

 

संदर्भ-

https://tinyurl.com/33tpkezc 

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.