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मेरठ में गन्ना केवल एक मीठा रस देने वाला पौधा नहीं है, बल्कि यह इस क्षेत्र की कृषि, संस्कृति और स्थानीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यहाँ की उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु गन्ने की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल न केवल हजारों किसानों की आजीविका का मुख्य आधार है, बल्कि मेरठ में फैले चीनी मिलों, इथेनॉल उत्पादन इकाइयों और ऊर्जा परियोजनाओं को भी गति देती है। गन्ने के चलते यहाँ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे यह फसल मेरठ की ग्रामीण और शहरी संरचना—दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गई है। विशेष रूप से उत्तर भारत के गन्ना बेल्ट — जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर — में यह फसल किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बन चुकी है।इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गन्ना एक नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में कैसे उभरा है। हम यह भी समझेंगे कि भारत में इसकी खेती किन-किन प्रमुख क्षेत्रों में होती है, और यह किन सामाजिक व आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करता है। इसके साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि गन्ने से कौन-कौन से उपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं—जैसे चीनी, गुड़, एथेनॉल, और बायोगैस। अंत में, हम भविष्य की दृष्टि से इस फसल से जुड़े संभावित अवसरों और सामने खड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा करेंगे।
1. नकदी फसल के रूप में गन्ना
गन्ने को भारत की प्रमुख नकदी फसलों में स्थान प्राप्त है क्योंकि यह सीधा आय प्रदान करता है और किसानों को स्थिर आर्थिक सुरक्षा देता है। गेहूं या धान जैसी पारंपरिक खाद्यान्न फसलों के मुकाबले गन्ने की बिक्री से किसान को अधिक नकद लाभ प्राप्त होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चीनी मिलें पास में स्थित हैं। मेरठ, बिजनौर, और बागपत जैसे जिलों में बड़ी संख्या में सहकारी और निजी चीनी मिलें हैं जो किसानों से सीधे गन्ना खरीदती हैं।
इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा घोषित राज्य परामर्श मूल्य (SAP) और केंद्र सरकार का उपयुक्त समर्थन मूल्य (FRP), किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे वे गन्ना उगाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। गन्ने की खेती लंबे समय तक खेत में रहती है, लेकिन एक बार रोपाई के बाद दो-तीन कटाइयों तक उपज दी जा सकती है, जिससे लागत घटती है और लाभ बढ़ता है।गन्ना उत्पादन की यह विशेषता ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आय और मौसमी श्रमिकों के लिए रोजगार सुनिश्चित करती है। यही कारण है कि लाखों किसान आज भी गन्ने को अपनी मुख्य फसल के रूप में चुनते हैं।
2. भारत में गन्ने की खेती करने वाले प्रमुख राज्य
भारत की जलवायु और मिट्टी गन्ने की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में विविध जलवायु में इसकी सफलतापूर्वक खेती की जाती है। नीचे कुछ प्रमुख राज्य दिए जा रहे हैं जहाँ गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है:
इन राज्यों की सरकारें किसानों को अनुदान, प्रशिक्षण और सिंचाई सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं, जिससे गन्ने की खेती की उत्पादकता और लाभप्रदता में निरंतर वृद्धि हो रही है।
3. गन्ने से बनने वाले उत्पाद
गन्ना एक ऐसी फसल है जिससे अनेक प्रकार के प्राथमिक और द्वितीयक उत्पाद बनाए जाते हैं। यह इसे बहु-उपयोगी और उद्योगोन्मुखी बनाता है।
इन उत्पादों की विविधता से स्पष्ट होता है कि गन्ना केवल भोजन का स्रोत नहीं, बल्कि ऊर्जा, पर्यावरण और उद्योग के लिए भी एक बहुपयोगी संसाधन है।
4. गन्ना उद्योग का भविष्य
गन्ना उद्योग का भविष्य भारत में न केवल सुरक्षित बल्कि अत्यंत समृद्ध और संभावनाओं से भरा हुआ है। आने वाले वर्षों में इसके विस्तार में कई कारक निर्णायक होंगे:
हालांकि, उद्योग को कई चुनौतियाँ भी झेलनी पड़ती हैं जैसे चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान न होना, पर्यावरणीय प्रभाव, और एक ही फसल पर अधिक निर्भरता। लेकिन यदि नीति, प्रौद्योगिकी और किसान सहभागिता को एकजुट किया जाए, तो गन्ना भारत की हरित क्रांति 2.0 का वाहक बन सकता है।
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