गन्ना बनता जा रहा है भारत की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास की मज़बूत रीढ़

फल-सब्ज़ियां
16-06-2025 09:19 AM
गन्ना बनता जा रहा है भारत की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास की मज़बूत रीढ़

मेरठ में गन्ना केवल एक मीठा रस देने वाला पौधा नहीं है, बल्कि यह इस क्षेत्र की कृषि, संस्कृति और स्थानीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यहाँ की उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु गन्ने की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल न केवल हजारों किसानों की आजीविका का मुख्य आधार है, बल्कि मेरठ में फैले चीनी मिलों, इथेनॉल उत्पादन इकाइयों और ऊर्जा परियोजनाओं को भी गति देती है। गन्ने के चलते यहाँ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे यह फसल मेरठ की ग्रामीण और शहरी संरचना—दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गई है। विशेष रूप से उत्तर भारत के गन्ना बेल्ट — जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर — में यह फसल किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बन चुकी है।इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गन्ना एक नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में कैसे उभरा है। हम यह भी समझेंगे कि भारत में इसकी खेती किन-किन प्रमुख क्षेत्रों में होती है, और यह किन सामाजिक व आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करता है। इसके साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि गन्ने से कौन-कौन से उपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं—जैसे चीनी, गुड़, एथेनॉल, और बायोगैस। अंत में, हम भविष्य की दृष्टि से इस फसल से जुड़े संभावित अवसरों और सामने खड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा करेंगे।

1. नकदी फसल के रूप में गन्ना

गन्ने को भारत की प्रमुख नकदी फसलों में स्थान प्राप्त है क्योंकि यह सीधा आय प्रदान करता है और किसानों को स्थिर आर्थिक सुरक्षा देता है। गेहूं या धान जैसी पारंपरिक खाद्यान्न फसलों के मुकाबले गन्ने की बिक्री से किसान को अधिक नकद लाभ प्राप्त होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चीनी मिलें पास में स्थित हैं। मेरठ, बिजनौर, और बागपत जैसे जिलों में बड़ी संख्या में सहकारी और निजी चीनी मिलें हैं जो किसानों से सीधे गन्ना खरीदती हैं।

इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा घोषित राज्य परामर्श मूल्य (SAP) और केंद्र सरकार का उपयुक्त समर्थन मूल्य (FRP), किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे वे गन्ना उगाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। गन्ने की खेती लंबे समय तक खेत में रहती है, लेकिन एक बार रोपाई के बाद दो-तीन कटाइयों तक उपज दी जा सकती है, जिससे लागत घटती है और लाभ बढ़ता है।गन्ना उत्पादन की यह विशेषता ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आय और मौसमी श्रमिकों के लिए रोजगार सुनिश्चित करती है। यही कारण है कि लाखों किसान आज भी गन्ने को अपनी मुख्य फसल के रूप में चुनते हैं।

2. भारत में गन्ने की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत की जलवायु और मिट्टी गन्ने की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में विविध जलवायु में इसकी सफलतापूर्वक खेती की जाती है। नीचे कुछ प्रमुख राज्य दिए जा रहे हैं जहाँ गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है:

  • उत्तर प्रदेश: यह भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, जो देश की कुल गन्ना उपज का लगभग 40% हिस्सा प्रदान करता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश विशेष रूप से इस फसल के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ उन्नत किस्में जैसे को-0238 और को-0118 उगाई जाती हैं, जो अधिक उपज देती हैं और कीटों से लड़ने में सक्षम होती हैं।
  • महाराष्ट्र: यहाँ के कोल्हापुर, पुणे और सांगली जैसे जिलों में आधुनिक सिंचाई तकनीकों (जैसे ड्रिप) और सहकारी मिलों की दक्षता के कारण अत्यधिक उत्पादन होता है।
  • कर्नाटक: गन्ना उत्पादन में तीसरे स्थान पर आने वाला यह राज्य दक्षिण भारत का मुख्य उत्पादक है, जहाँ कृषकों द्वारा उच्च तकनीक आधारित कृषि अपनाई जाती है।
  • बिहार और हरियाणा: पारंपरिक रूप से गन्ने के लिए प्रसिद्ध ये राज्य अब भी गुड़ और चीनी उद्योग में प्रमुख स्थान रखते हैं।
  • पंजाब,  आंध्र प्रदेश, तेलंगाना: इन राज्यों में भी अब गन्ने की उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे उत्पादन क्षेत्र विस्तृत हो रहा है।

इन राज्यों की सरकारें किसानों को अनुदान, प्रशिक्षण और सिंचाई सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं, जिससे गन्ने की खेती की उत्पादकता और लाभप्रदता में निरंतर वृद्धि हो रही है।

3. गन्ने से बनने वाले उत्पाद

गन्ना एक ऐसी फसल है जिससे अनेक प्रकार के प्राथमिक और द्वितीयक उत्पाद बनाए जाते हैं। यह इसे बहु-उपयोगी और उद्योगोन्मुखी बनाता है।

  • चीनी (Sugar): गन्ने का सबसे अधिक मात्रा में निर्मित उत्पाद चीनी है, जिसका उपयोग घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक स्तर पर होता है। भारत में सैकड़ों चीनी मिलें सक्रिय हैं जो गन्ने से रिफाइंड शक्कर बनाती हैं।
  • गुड़ (Jaggery): ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से गुड़ बनाना आज भी एक प्रमुख ग्रामीण उद्योग है। यह स्वास्थ्यवर्धक, खनिजों से भरपूर और चीनी की तुलना में कम प्रसंस्कृत होता है।
  • इथेनॉल (Ethanol): गन्ने के रस और मोलासिस से इथेनॉल निकाला जाता है, जिसका उपयोग जैविक ईंधन (Bio fuel) के रूप में होता है। भारत सरकार ने इसे पेट्रोल में मिलाने की राष्ट्रीय योजना चलाई है जिससे विदेशों पर तेल निर्भरता कम हो सके।
  • मोलासिस (Molasses): यह गाढ़ा तरल गन्ना उद्योग का उप-उत्पाद है, जिसका उपयोग शराब, सिरका, और पशु चारे में होता है।
  • खोई (Bagasse): गन्ने के रस निकालने के बाद बचा रेशा जिसे ईंधन, बिजली उत्पादन और कागज निर्माण में प्रयोग किया जाता है। अनेक चीनी मिलें खोई से अपनी बिजली स्वयं उत्पन्न करती हैं।
  • बायोप्लास्टिक और कम्पोस्ट: आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी द्वारा अब गन्ने के अवशेषों से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और जैविक खाद बनाई जा रही है, जिससे यह फसल पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देती है।

इन उत्पादों की विविधता से स्पष्ट होता है कि गन्ना केवल भोजन का स्रोत नहीं, बल्कि ऊर्जा, पर्यावरण और उद्योग के लिए भी एक बहुपयोगी संसाधन है।

4. गन्ना उद्योग का भविष्य

गन्ना उद्योग का भविष्य भारत में न केवल सुरक्षित बल्कि अत्यंत समृद्ध और संभावनाओं से भरा हुआ है। आने वाले वर्षों में इसके विस्तार में कई कारक निर्णायक होंगे:

  1. इथेनॉल मिश्रण नीति: भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण किया जाए। यह नीति गन्ने की मांग में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित करेगी, जिससे किसानों को स्थायी बाजार मिलेगा।
  2. टिकाऊ खेती की ओर बढ़ता रुझान: जल संकट को देखते हुए ड्रिप सिंचाई, जल-प्रबंधन तकनीक और नई किस्में इस फसल को अधिक टिकाऊ बनाएंगी।
  3. उद्योग का आधुनिकीकरण: चीनी मिलों को अब मल्टी-प्रोडक्ट इकाइयों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां चीनी, बिजली, इथेनॉल और बायोगैस का उत्पादन एक साथ होता है।
  4. निर्यात संभावनाएं: भारत वैश्विक चीनी निर्यातक के रूप में उभर रहा है, खासकर ब्राजील के बाद।
  5. कृषि शिक्षा और तकनीक का विस्तार: किसानों को मोबाइल ऐप, प्रशिक्षण शिविरों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से नई तकनीक सिखाई जा रही है।

हालांकि, उद्योग को कई चुनौतियाँ भी झेलनी पड़ती हैं जैसे चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान न होना, पर्यावरणीय प्रभाव, और एक ही फसल पर अधिक निर्भरता। लेकिन यदि नीति, प्रौद्योगिकी और किसान सहभागिता को एकजुट किया जाए, तो गन्ना भारत की हरित क्रांति 2.0 का वाहक बन सकता है।

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