संसार के सबसे प्रसिद्ध घाट, जौनपुर के निकट!

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
30-03-2024 09:01 AM
Post Viewership from Post Date to 30- Apr-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2039 130 0 2169
* Please see metrics definition on bottom of this page.
 संसार के  सबसे प्रसिद्ध घाट, जौनपुर के निकट!

गोमती नदी के तट पर बसे होने के कारण हमारे जौनपुर शहर के निवासियों को कई आध्यात्मिक और भौगोलिक लाभ मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर हमारे जौनपुर का बलुआ घाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके अलावा जौनपुर के निकटतम बसे शहरों क घाटों को संसार के सबसे पवित्र घाट होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। विभिन्न अवसरों पर देश भर के श्रद्धालु, धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने और स्नान हेतु पवित्र नदियों के किनारे बसे इन प्रसिद्ध स्थानों पर ही एकत्र होते हैं।
पवित्र नदियों के किनारों पर स्थित घाट, धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में कार्य करते हैं। यहां पर, पूजा, पिंड दान और आरती इत्यादि धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त तीर्थयात्री घाटों में ही पवित्र नदियों के जल में डुबकी लगाकर आध्यात्मिक शांति और पापों से मुक्ति प्राप्त कर ते हैं। जौनपुर के निकट स्थित प्रयागराज को "सभी तीर्थों के राजा" की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त है। कभी-कभी इसे "तीर्थराज प्रयाग" कहकर भी संबोधित किया जाता है। गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पौराणिक नदियों के तट पर बसे होने के कारण प्रयागराज को हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक शहरों में से एक माना जाता है। हर दिन, हजारों तीर्थयात्री स्नान करके अपने शरीर और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए प्रयागराज में इन्हीं तीन नदियों के पवित्र, संगम पर आते हैं।
पवित्र स्नान के बाद, भक्त जन प्रयाग में त्रिवेणी संगम के किनारे रहने वाले पुजारियों और पंडितों को दान देकर विभिन्न कार्यों में संलग्न होते हैं। वेदों के अनुसार, दिवंगत आत्माओं की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना एक शुभ और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर मृतकों का अस्थि विसर्जन, के लिए इस संगम को काशी (वाराणसी) के बाद दूसरा सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। इस कारण, कई लोग इस अनुष्ठान को काशी और प्रयागराज दोनों जगह करना पसंद करते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु प्रतिदिन अस्थि विसर्जन और अन्य वैदिक अनुष्ठान करने के लिए प्रयागराज ही आते हैं।
ऐतिहासिक रूप से, त्रिवेणी संगम कुंभ मेले की मेजबानी के लिए प्रसिद्ध है, जो हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक भव्य धार्मिक आयोजन है। कुंभ मेले के दौरान, दुनिया के विभिन्न कोनों से लाखों हिंदू लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए यहां एकत्रित होते हैं। इस समय, प्रयागराज विश्व स्तर पर सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत निकला, तो उस अमृत के लिए राक्षसों और देवताओं के बीच लड़ाई हुई और उस लड़ाई के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर भी गिर गईं। प्रयागराज को उन चार स्थानों में से एक माना जाता है, जहां पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। इसीलिए प्रयाग को सभी तीर्थों का राजा भी कहा जाता है और यह भारत में पिंडदान के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। प्रयाग में पिंडदान आमतौर पर गंगा या यमुना नदी के तट पर या संगम स्थल पर ही किया जाता है। प्रयागराज संगम की पवित्रता के कारण इसे दिवंगत आत्माओं के लिए प्रार्थना करने के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। भारत के अधिकांश पवित्र घाटों पर, दिन की शुरुआत जल्दी हो जाती है। भक्त नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए सीढ़ियों से उतरते हैं। माना जाता है कि प्रातः काल जल्दी उठाकर पवित्र नदियों में स्नान करने से पिछले जन्म के भी सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। स्नान के पश्चात सभी भक्त अपने धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ, फूलों और तेल के दीपकों से घाटों को सजाकर प्रार्थना करते हैं। इस दौरान पुजारी भी मंत्रोच्चारण के साथ अपने दैनिक अनुष्ठान करते हैं।
प्रयागराज में संगम के साथ-साथ यमुना नदी के तट पर स्थित "सरस्वती घाट" को भी आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह घाट विभिन्न हिंदू अनुष्ठानों और समारोहों के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है। कुंभ और अर्ध कुंभ मेले (हर 6 साल में मनाया जाता है।) के दौरान, सरस्वती घाट श्रद्धालुओं की भीड़ से जीवंत हो उठता है। श्रद्धालु यहां पवित्र स्नान और अनुष्ठानों के लिए एकत्र होते हैं। इसके अतिरिक्त, मकर संक्रांति, महा शिवरात्रि, और नवरात्रि जैसे त्योहारों पर भी प्रयागराज के घाट आध्यात्मिक शांति चाहने वाले तीर्थयात्रियों से सराबोर रहते हैं।
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम और सरस्वती घाट जैसे धार्मिक स्थानों पर आने वाले पर्यटकों को विशेष तौर पर निम्नलिखित बातों का ख़याल रखना चाहिए:
- साधारण और शालीन पोशाक पहनें।
- स्थानीय रीति-रिवाजों को समझें और स्थान की पवित्रता बनाए रखें।
- जल को प्रदूषित करने से बचें।
- घाट पर भीड़ भाड़ होने के कारण अपने सामान के साथ सावधानी बरतें।
- अधिक शांतिपूर्ण अनुभव के लिए त्योहारों के बाद में यात्रा करने पर विचार करें।


संदर्भ

https://tinyurl.com/48eab8sx
https://tinyurl.com/3jrybdrv
https://tinyurl.com/bdemjtyj
https://tinyurl.com/53wnmuup

चित्र संदर्भ
1. प्रयागराज में 2001 के कुम्भ मेले के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. साँझ के समय प्रयागराज के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (pixahive)
3. पिंडदान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रयागराज में कुम्भ मेले के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. त्रिवेणी संगम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्रयागराज में यमुना नदी के तट पर स्थित "सरस्वती घाट" को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)