बढ़ते शहरीकरण के दौर में शहरी कृषि मॉडल ऐसे करेंगे शहरी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित

भूमि और मिट्टी के प्रकार : कृषि योग्य, बंजर, मैदान
01-04-2024 09:20 AM
Post Viewership from Post Date to 02- May-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
1805 158 0 1963
* Please see metrics definition on bottom of this page.
बढ़ते शहरीकरण के दौर में शहरी कृषि मॉडल ऐसे करेंगे शहरी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित

वर्तमान समय में विश्व में, विशेषकर हमारे देश भारत में शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। वर्ष 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखने वाले हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के शहर भी इसमें शामिल हैं। लेकिन, शहरीकरण के कारण कृषि प्रभावित हो रही है, जिससे देश में खाद्य उत्पादन और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। तो आइए, आज इस मुद्दे को समझते हैं, और शहरी कृषि मॉडलों के बारे में जानते हैं।
निस्संदेह ही शहरीकरण एक जटिल घटना है। यह इक्कीसवीं सदी के सबसे परिवर्तनकारी रुझानों में से एक है, जो शहरी आबादी की पूर्ण संख्या में निरंतर वृद्धि, निर्मित मानवी पर्यावरण के विस्तार और मानदंडों, संस्कृतियों और जीवन शैली में बदलाव से चिह्नित है। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि, शहरीकरण खाद्य सुरक्षा सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में काफी स्थिरता संबंधी चुनौतियां भी साथ लाता है। गरीबी पर्याप्त भोजन तक लोगों की पहुंच को खत्म कर देती है। और यह पाया गया है कि, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में गिरावट तेजी से होती है, जिससे शहरीकृत दुनिया में खाद्य असुरक्षा से निपटना कठिन हो जाता है। दूसरी ओर, पर्याप्त एवं स्वास्थ्यवर्धक भोजन शहरी गरीबों की पहुंच से बाहर है। साथ ही, शहरी गरीबों के लिए, भोजन अक्सर उनके कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा होता है। इसके अलावा, शहरी गरीबों के लिए सामाजिक पूंजी कम सुलभ है। लैंगिक दृष्टिकोण से भी, शहरीकरण के कारण रोजगार के प्रकारों में बदलाव, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, एक अन्य कारक है, जो असुरक्षित आहार के लिए जिम्मेदार है।
शहरों में भोजन की मांग को पूरा करने के लिए अधिक प्रयास करने पड़ते हैं। अब, शहरी क्षेत्र में 80% खाद्य भंडार ग्रामीण क्षेत्र और आयात से पूरा होता है। इसलिए, ‘शहरी कृषि विकास’ खाद्य उपलब्धता, खाद्य पहुंच में सुधार और खाद्य सुरक्षा का समर्थन करने की एक रणनीति है। कुछ मुख्य शहरी कृषि मॉडल जो कई देशों में लागू और विकसित हुए हैं, वे – मेट्रोपॉलिटन फूड क्लस्टर, छत उद्यान, सामुदायिक उद्यान और वर्टिकल फार्मिंग हैं।
शहरी कृषि शहरी सामुदायिक समृद्धि, पर्यावरणीय स्थिरता और स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बढ़ा सकती है। शहरी कृषि मॉडल जो कृषि प्रौद्योगिकी नवाचार के साथ एकीकृत हैं, खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति में तेजी लाने के लिए, एक लचीली शहरी खाद्य प्रणाली बनाने में सक्षम हैं।
कुछ प्रमुख शहरी कृषि मॉडल निम्नलिखित हैं। १.वर्टिकल फार्मिंग(Vertical farming) एक छोटा कृषि मॉडल है, जिसे अपने बगीचे में लागू किया जा सकता है। लेकिन, यह शहर के मुख्य भवन में लागू किया जाने वाला सबसे बड़ा मॉडल हो सकता है। यह खड़ी या लंबरूप परतों में फसल उगाने की प्रथा है। वर्टिकल फार्मिंग कृषि प्रौद्योगिकी का एक उन्नत स्तर है। २.सामुदायिक उद्यान(Community garden) रहने योग्य वातावरण बनाते हैं, सुंदरता को बढ़ावा देते हैं, और अपराध को कम करते हैं। इससे स्थानीय मूल्यों को भी बढ़ावा मिलता हैं, और समुदाय की छवि में सुधार होता हैं। बगीचे में फसल उगाने वाले लोग, अकेले काम करने के बजाय अपने विचारों, संसाधनों और अनुभवों को साझा करते हैं। सामुदायिक उद्यान उन प्रतिभागियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया जाता है, जो फल, सब्जियां, फूल, जड़ी-बूटियां और सजावटी पौधे उगाने के लिए आम जमीन पर एक साथ आते हैं।
३.इमारतों की छतों पर पौधे लगाने से शहरी जीवन अधिक आत्मनिर्भर हो सकता है, और शहरी लोगों के लिए ताज़ी सब्जियां अधिक सुलभ हो सकती हैं। ऐसे छत उद्यान(Rooftop garden) छत के संरचनात्मक डिजाइन पर निर्भर करते है। ४.मेट्रोपॉलिटन फूड क्लस्टर(Metropolitan food cluster) कृषि खाद्य उत्पादकों, प्रक्रमक और सेवा प्रदाताओं का एक शहरी नेटवर्क होता है। इसका उद्देश्य व्यापक सामाजिक, स्थानिक और संस्थागत ढांचे में संसाधन उपयोग दक्षता, बाज़ार संयोजकता और अंतर्निहितता को अनुकूलित करना होता है।
इसी प्रकार, भारतीय शहरों के संदर्भ में, मानव उपभोग के लिए सब्जियों, फलों और फूलों की खेती पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह अब वैश्विक स्तर पर शहरों में स्थानीय रूप से उत्पादित भोजन की ओर बढ़ने की बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा है। शहरी प्रशासन के अलावा, शहरी कृषि ने कई गैर-सरकारी संगठनों(NGO), सामुदायिक समूहों और नागरिकों का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया है। वैश्विक स्तर पर, खाद्य और कृषि संगठन का मानना है कि, खाद्य और पोषण सुरक्षा में शहरी और उप-शहरी कृषि की भूमिका है। शहरी खाद्य कार्यावली शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में सतत विकास, खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख पहल है। यह नागरिक समाज, शिक्षा जगत, अंतर्राष्ट्रीय और शहर संस्थाओं तथा निजी क्षेत्र जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करता है। भारत के संदर्भ में, यदि सभी शहरों को हरित क्षेत्र के लिए, शहर के 10% स्थान की अनुमति मिलती है, तो हमारे पास 22,268 वर्ग किलोमीटर खुला क्षेत्र बचता हैं। आज, ऐसे क्षेत्र का उपयोग सार्वजनिक हरित स्थान तैयार करने के लिए किया जाता है। भले ही इस क्षेत्र का आधा हिस्सा, यानी 11,134 वर्ग किमी, शहरी कृषि के लिए उपयोग किया जाता है, यह देश के सभी शहरी क्षेत्र का केवल 5% है, और कृषि के तहत भूमि का केवल 0.56% है। अतः भारत के संदर्भ में ऐसी कृषि में अधिक सुधार की आवश्यकता महसूस होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/297x7t84
https://tinyurl.com/35je8cpa
https://tinyurl.com/45perwxb

चित्र संदर्भ
1. छत पर हो रही टमाटरों की खेती को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. भूखे बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
3. वर्टिकल फार्मिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
4. सामुदायिक उद्यान को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
5. मेट्रोपॉलिटन फूड क्लस्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
6. भारतीय किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)