विश्व में प्राचीन काल से है, श्री गणेश की छवियों, प्रतीकों व मूर्तियों की उपस्थिति

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
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विश्व में प्राचीन काल से  है, श्री गणेश की छवियों, प्रतीकों व मूर्तियों की उपस्थिति
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ।।
जौनपुर वासियों, क्या आप जानते हैं कि, ‘नंदीपद’ एक प्राचीन भारतीय प्रतीक है। इसे टॉरीन प्रतीक(Taurine symbol) भी कहा जाता है, जो ज़मीन में, बैल के खुर या पैर द्वारा छोड़े गए निशान का, प्रतिनिधित्व करता है। नंदीपद और ज़ेबू बैल, आमतौर पर, हिंदू धर्म में, शिव के बैल – नंदी से जुड़े हैं। नंदीपद प्रतीक भी, ब्राह्मी अक्षर “मा” के समान होता है। अतः, आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर, आइए, प्राचीन भारतीय प्रतिमाओं के बारे में बात करते हैं। हम, भगवान गणेश की छवियों, प्रतीकों और मूर्तियों की उत्पत्ति और प्रारंभिक उपस्थिति के बारे में भी चर्चा करेंगे। हम, 531 ईस्वी की भगवान गणेश की, सबसे पुरानी दर्ज प्रतिमा के बारे में भी बात करेंगे। यह मूर्ति, चीन के कुंग-सिन प्रांत में, एक बुद्ध मंदिर में मिली थी। इसके अलावा, हम गार्डेज़ गणेश(Gardez Ganesha) के बारे में जानेंगे, जो अफ़गानिस्तान में, भगवान गणेश की एक प्राचीन मूर्ति है। अंत में, हम उदयगिरि गुफ़ाओं में पाई गई एक गणेश मूर्ति के बारे में बात करेंगे। कई पुरातत्वविदों का दावा है कि, यह गुप्ता काल के दौरान, 5वीं शताब्दी ईस्वी की, दुनिया की सबसे पुरानी गणेश मूर्ति है। चलिए, पढ़ते हैं।
श्री गणेश की, सबसे पुरानी टेराकोटा छवियां(Terracotta images), पहली शताब्दी ईस्वी की हैं। ये छवियां, टेर, पाल, वेरापुरम और चंद्रकेतुगढ़ में पाई गई हैं। ये आकृतियां छोटी हैं, जिनमें, एक हाथी का सिर, दो भुजाएं और गोल-मटोल शरीर के गणेश जी, दर्शाए गए हैं। जबकि, पत्थर के सबसे पुराने गणेश चिह्न, कुषाण काल (दूसरी-तीसरी शताब्दी ईस्वी) के दौरान, मथुरा में बनाए गए थे।
चौथी से पांचवीं शताब्दी के बीच, गणेश, अपने शास्रीय रूप में, एक स्पष्ट और पहचाने जाने योग्य देवता के रूप में, परिभाषित प्रतीकात्मक विशेषताओं के साथ प्रकट हुए। सबसे पहले ज्ञात गणेश चित्रों में , पूर्वी अफ़गानिस्तान में पाए गए, दो चित्र शामिल हैं। पहला चित्र, सूर्य और शिव की छवि के साथ, काबुल(Kabul) के उत्तर में, खंडहरों में खोजा गया था। यह चौथी शताब्दी का है। गार्डेज़(Gardez) में पाई गई, दूसरी छवि – गार्डेज़ गणेश, में, गणेश मूर्तितल पर, एक शिलालेख है। उस शिलालेख पर, इसे पांचवीं शताब्दी में स्थापित करने का ज़िक्र है।
चित्रों के अतिरिक्त, भगवान गणेश की सबसे पुरानी मूर्ति, चीन में है। सबसे पुरानी गणेश प्रतिमा की उत्पत्ति की खोज, हमें एक अप्रत्याशित गंतव्य पर ले जाती है। यह स्थान, चीन में, कुंग-सिन प्रांत(Kung-sin province) है। यहां, एक बुद्ध मंदिर में, भगवान गणेश की एक प्राचीन मूर्ति पाई गई है । दिलचस्प बात ये है कि, इसके अभिलेखीय साक्ष्य है। उसके अनुसार, ‘531 ईसा पूर्व’ में, मूर्ति का निर्माण हुआ था।
531 ईसा पूर्व का यह शिलालेख, इस मूर्ति की प्राचीनता का एक प्रमाण है, जो उस युग के दौरान, इसके निर्माण की पुष्टि करता है। इस साक्ष्य के साथ, कुंग-सिन प्रांत की मूर्ति ने, दुनिया की सबसे पुरानी गणेश मूर्तियों में से एक होने का गौरव अर्जित किया है।
गार्डेज़ गणेश, की छवि के अलावा, उनकी एक मूर्ति भी प्रसिद्ध है। गार्डेज़ गणेश(Gardez Ganesha), हिंदुओं द्वारा ज्ञान और समृद्धि के देवता के रूप में पूजनीय हैं । यह, उस समय की एक मार्मिक याद दिलाती है, जब विविध संस्कृतियां उस क्षेत्र में पनपती थीं, जिसे अब अफ़गानिस्तान के रूप में जाना जाता है।
इतिहासकारों का मानना है कि, गार्डेज़ गणेश की नक्काशी, एक सहस्राब्दी से भी पहले, छठी या सातवीं शताब्दी ईस्वी के दौरान, की गई थी। इस मूर्ति के नीचे मौजूद, एक संक्षिप्त शिलालेख में कहा गया है कि, ‘महाविनायक की छवि, महाराजाधिराज साही खिंगाला द्वारा, अपने आठवें शासनकाल में स्थापित की गई थी।’ ‘खिंगाला’, संभवतः, कश्मीर के हुन शासक – नरेंद्रादित्य खिंगाला (597-633 ईसा पूर्व) थे। वे, गोकर्ण के पुत्र और प्रवरसेन के पोते थे। उनके शासनकाल के बारे में, ज़्यादा जानकारी नहीं है। परंतु, अन्य हुन राजाओं की तरह, वे भी, शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे ।
यह मूर्ति, अपने आप में, कला का एक उत्तम नमूना है | इसे पत्थर के एक ही खंड से, सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। ये गणेश जी, शांति और ज्ञान की आभा बिखेरते हुए, ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। उनकी चार भुजाओं में, प्रतीकात्मक वस्तुएं हैं, जिनमें से प्रत्येक जीवन और ज्ञान के एक अलग पहलू का प्रतिनिधित्व करती है ।
दूसरी तरफ, हमारे देश भारत में, गणेश जी की सबसे पुरानी, संभावित मूर्ति, एक गुफ़ा की गहराई में पाई गई है। यह गुफ़ा, विदिशा में उदयगिरि में, एक पहाड़ी पर स्थित है। पुरातत्वविदों के अनुसार, यह मूर्ति, 5वीं शताब्दी ईस्वी से, गुप्ता युग की है। उनका मानना है कि, यह हाथी देवता – गणेश का, सबसे पुराना दिनांकित प्रतिनिधित्व हो सकता है।
उदयगिरि गुफ़ाएं, गुप्ता काल की, लगभग बीस हिंदू और जैन गुफ़ाओं का एक परिसर हैं। गुफ़ाओं के इस परिसर में, छवियों की एक शानदार श्रृंखला है। इसमें वराह या सूअर अवतार में विष्णु, भूदेवी को उठाए हुए हैं। लेकिन, गुफ़ा क्रमांक 6 में, मातृदेवियों के साथ, हम गणेश जी की एक छवि देख सकते हैं। यह प्रसिद्ध उदयगिरि गणेश, देश में इस हाथी देवता का, सबसे पुराना प्रतिनिधित्व माना जाता हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/4e86yf8d
https://tinyurl.com/3rm5648v
https://tinyurl.com/hrmcwekm
https://tinyurl.com/4jyy8y8d

चित्र संदर्भ

1. अफ़ग़ानिस्तान में स्थित गार्डेज़ गणेश को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कर्नाटक में 13वीं शताब्दी की होयसला गणेश प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गार्डेज़ गणेश की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. विदिशा शहर के उदयगिरि में, एक पहाड़ी पर स्थित गणेश जी की सबसे प्राचीन ज्ञात प्रतिमाओं में से एक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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