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जौनपुर के नागरिकों, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, खासकर उन लोगों में जो धूम्रपान करते हैं या प्रदूषित वातावरण में रहते हैं। यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक दीर्घकालिक बीमारी है, जो सांस लेने में परेशानी पैदा करती है और समय के साथ सांस लेने की क्षमता को कम कर देती है। इसके आम लक्षणों में लगातार खांसी, सांस फूलना, सीटी जैसी आवाज़ आना (Wheezing) और सीने में जकड़न शामिल हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से धूम्रपान, वायु प्रदूषण या लंबे समय तक हानिकारक धुएं के संपर्क में रहने से होती है।
हालांकि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) का पूरी तरह इलाज संभव नहीं है, लेकिन इन्हेलर (inhaler), दवाइयां, ऑक्सीजन थेरेपी और जीवनशैली में बदलाव से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। धूम्रपान से दूर रहकर और हवा को साफ़ रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
आज हम जानेंगे कि सी ओ पी डी क्या है। फिर हम इसके मुख्य लक्षणों के बारे में समझेंगे, जिससे इसे समय पर पहचाना और नियंत्रित किया जा सके। आखिर में, हम जानेंगे कि सी ओ पी डी का इलाज कैसे किया जाता है।
सी ओ पी डी क्या है?
सी ओ पी डी (COPD) यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ फेफड़ों की एक बीमारी है, जिसमें सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह तब होती है जब फेफड़ों की नलियाँ या अंदर के हिस्से खराब हो जाते हैं, जिससे सूजन आ जाती है और हवा का प्रवाह रुकने लगता है।
इस बीमारी का खतरा ज़्यादातर उन लोगों को होता है जो धूम्रपान करते हैं या ज़्यादा प्रदूषित हवा में रहते हैं। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ लक्षण गंभीर हो जाते हैं।
सी ओ पी डी में खांसी के साथ गाढ़ा बलगम (Mucus) निकलना, सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न और थकान होती है। जैसे-जैसे यह बढ़ता है, व्यक्ति के लिए चलना, खाना बनाना, और अपना ध्यान रखना भी मुश्किल हो सकता है।
अगर समय पर सही इलाज न किया जाए, तो यह समस्या और ज़्यादा बढ़ सकती है। इसलिए, अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को लंबे समय से सांस की परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ दो मुख्य बीमारियों से जुड़ी होती है— एम्फ़ाइज़िमा (Emphysema) और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic bronchitis)।
एम्फ़ाइज़िमा तब होता है जब फेफड़ों के अंदर मौजूद छोटी-छोटी हवा की थैलियों (air sacs) की दीवारें खराब हो जाती हैं। आमतौर पर, ये थैलियाँ लचीली होती हैं—जब हम सांस लेते हैं, तो ये फूल जाती हैं, और जब सांस छोड़ते हैं, तो सिकुड़कर हवा बाहर निकाल देती हैं। लेकिन एम्फ़ाइज़िमा में फेफड़ों से हवा बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है।
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस तब होता है जब सांस की नलियों की अंदरूनी परत में बार-बार सूजन और जलन होने लगती है। इससे गाढ़ा बलगम बनने लगता है, जो सांस लेना और भी मुश्किल बना देता है।
सी ओ पी डी के लक्षण
सी ओ पी डी के लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं हो जाता। समय के साथ ये लक्षण और गंभीर हो सकते हैं, खासकर अगर धूम्रपान या प्रदूषित हवा में रहना जारी रहता है। सी ओ पी डी के सामान्य लक्षण कुछ निम्नलिखित हैं:
लक्षणों का अचानक बिगड़ना (एक्सेसरबेशन):
कभी-कभी सी ओ पी डी के लक्षण सामान्य दिनों से ज्यादा खराब हो सकते हैं, इसे एक्सेसरबेशन कहते हैं। यह कुछ दिनों से लेकर हफ़्तों तक रह सकता है और तेज गंध, ठंडी हवा, वायु प्रदूषण, सर्दी या संक्रमण जैसी चीज़ो से हो सकता है।
इस दौरान लक्षण और भी ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं:
क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ का इलाज कैसे किया जाता है
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ का कोई इलाज नहीं है, लेकिन सही इलाज से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है और बीमारी को बिगड़ने से रोका जा सकता है। डॉक्टर इसके लिए कई तरह के इलाज सुझा सकते हैं
इस तरह के इलाज से सी ओ पी डी को नियंत्रित किया जा सकता है और मरीज की ज़िंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है।
संदर्भ
मुख्य चित्र में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित एक महिला का स्रोत : Wikimedia