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जब आप किसी शांत पेड़ के नीचे खड़े होते हैं और ऊपर से आती हल्की चहचहाहट सुनते हैं — तो क्या आपने कभी सोचा है कि इन आवाज़ों के बीच कहीं कोई परिंदा अपना घर बना रहा होगा? घोंसला — पक्षियों के जीवन का वो हिस्सा है जो देखने में जितना छोटा लगता है, उतना ही जटिल, मेहनतभरा और रचनात्मक होता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में, खेतों, बागों, जंगलों और यहां तक कि शहरों के बीच भी, पक्षी टहनियों, घास और मिट्टी से अपने नन्हे घर बनाते नजर आते हैं। इन घोंसलों की खास बात यह है कि हर प्रजाति का घोंसला अलग होता है — न आकार में, न बनावट में, और न ही शैली में कोई समानता होती है। यह विविधता ही उन्हें खास बनाती है।
पहले वीडियो में हम अलग-अलग पक्षियों द्वारा बनाए गए कुछ बेहद खूबसूरत घोंसलों को देखेंगे।
नीचे दिए गए वीडियो में हम पक्षियों द्वारा बनाए गए कुछ अनोखे और दिलचस्प घोंसलों को देखेंगे।
कैसे बनता है एक घोंसला?
घोंसला बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कभी-कभी काफी अस्त-व्यस्त होती है। पक्षी पहले इधर-उधर से सूखी टहनियाँ और घास इकट्ठा करते हैं और चुने हुए पेड़ या जगह पर उन्हें छोड़ते हैं। इनमें से कुछ टहनियाँ शाखाओं में अटक जाती हैं और धीरे-धीरे एक रूपरेखा बनने लगती है। इसके बाद पक्षी अपनी चोंच से इन टहनियों और रेशों को बुनते हैं, और उसे मजबूत करने के लिए मकड़ी के जाले, मिट्टी या कभी-कभी अपनी लार तक का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया से एक ढीली टहनियों की ढेर, एक ठोस और संरक्षित घोंसले में बदल जाती है — जो कुछ ही दिनों में जीवन की नई शुरुआत का केंद्र बन जाता है। जिस तरह हर इंसान की घर की परिकल्पना अलग होती है, वैसे ही पक्षी भी अपने घोंसलों को अपनी जरूरत और आदत के हिसाब से बनाते हैं।
आइए, नीचे दिए गए वीडियो लिंक के ज़रिए देखें बया पक्षी की घोंसला बनाने की अनोखी कला।
पक्षियों का घोंसला केवल पत्तियों और तिनकों का ढेर नहीं होता, बल्कि वह ममता, आश्रय और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक होता है। ये घोंसले हमें सिखाते हैं कि जीवन के लिए बड़ी चीज़ों की ज़रूरत नहीं — थोड़ी सी मेहनत, थोड़ी सी समझ और बहुत सारा प्रेम ही काफी है। तो अगली बार जब आप किसी पेड़ के नीचे ठहरें या कोई पक्षी शाखाओं में हलचल करे — एक पल ठहरिए, और सोचिए: शायद कोई नन्हा परिंदा अपना घर बसाने की कोशिश कर रहा है।
संदर्भ-