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जौनपुरवासियों, आज हमारी ज़िंदगी जितनी तेज़, जुड़ी हुई और सुविधाजनक नज़र आती है, उसमें एक अनदेखा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण योगदान है लिथियम-आयन बैटरियों (Lithium-Ion batteries) का। सुबह उठते ही जब आप मोबाइल फ़ोन (mobile phone) का अलार्म (alarm) बंद करते हैं, बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस (online classes) और पढ़ाई के लिए लैपटॉप (laptop) या टैबलेट (tablet) चलाते हैं, या फिर परिवार के साथ बैठकर टीवी (T.V.) व इंटरनेट (internet) का आनंद लेते हैं - इन सबके पीछे यही बैटरियाँ चुपचाप अपनी भूमिका निभाती हैं। जौनपुर की गलियों और चौक-चौराहों पर दौड़ते ई-रिक्शा (e-rickshaw), दुकानों और घरों में लगे इनवर्टर (inverter), युवाओं के हाथों में चमकते स्मार्टफ़ोन (smartphone) और कैमरे - ये सब लिथियम-आयन बैटरियों की शक्ति से ही संभव हो पाते हैं। इन बैटरियों की खासियत यह है कि ये हल्की होती हैं, बार-बार चार्ज करने के बाद भी लंबे समय तक टिकती हैं और कम जगह में ज़्यादा ऊर्जा संग्रहित कर लेती हैं। यही वजह है कि ये आधुनिक जीवनशैली का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं। आने वाले समय में जब इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) का प्रयोग और बढ़ेगा तथा हर घर और कारोबार और अधिक स्मार्ट तकनीक से जुड़ जाएगा, तब यह बैटरियाँ सिर्फ़ हमारे उपकरणों को नहीं, बल्कि हमारे पूरे शहर और देश की प्रगति को भी नई दिशा देंगी।
इस लेख में हम जानेंगे कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लिथियम-आयन बैटरियों का महत्व क्यों बढ़ गया है और यह हमारे आधुनिक जीवन की रीढ़ कैसे बनी हैं। आगे देखेंगे कि बैटरियों में पाए जाने वाले तत्व और पर्यावरणीय चुनौतियाँ क्या हैं और उनका गलत निस्तारण हमारी धरती और स्वास्थ्य के लिए किस तरह का ख़तरा पैदा करता है। हम विस्तार से समझेंगे कि लिथियम-आयन बैटरियों की संरचना में ऐनोड (anode) और कैथोड (cathode) सामग्रियों की क्या भूमिका है, और किस वजह से इनकी लागत और क्षमता प्रभावित होती है। अंत में जानेंगे कि भारत में नए लिथियम भंडार की खोज और विदेशी निर्भरता कम करने के प्रयास किस प्रकार भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा को दिशा दे सकते हैं।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लिथियम-आयन बैटरियों का महत्व
लिथियम-आयन बैटरियाँ आज लगभग हर आधुनिक उपकरण का सबसे अहम ऊर्जा स्रोत बन चुकी हैं। मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, टैबलेट, कैमरा जैसे छोटे गैजेट्स (gadgets) से लेकर बड़े पैमाने पर चलने वाले इनवर्टर, ई-रिक्शा और इलेक्ट्रिक वाहनों तक, इनका उपयोग हर जगह देखा जा सकता है। इन बैटरियों की सबसे बड़ी विशेषता है कि इन्हें बार-बार चार्ज करने के बाद भी लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है और यह हल्की होते हुए भी बहुत अधिक ऊर्जा संग्रह करने में सक्षम होती हैं। इस वजह से आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में ये सबसे भरोसेमंद और उपयोगी तकनीक बन चुकी हैं। इनसे न केवल सफ़र आसान और सस्ता हुआ है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प भी साबित हो रही हैं।
बैटरियों में पाए जाने वाले तत्व और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
जहाँ लिथियम-आयन बैटरियाँ हमारी ज़िंदगी को आसान बनाती हैं, वहीं इनमें पाए जाने वाले कुछ तत्व पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर ख़तरे भी लेकर आते हैं। बैटरियों में कैडमियम (Cadmium), सीसा (Lead), ज़िंक (Zinc), मैंगनीज़ (Manganese), निकल (Nickel), चाँदी (Silver), पारा (Mercury) और लिथियम जैसे रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं। अगर पुरानी बैटरियों का सही तरीक़े से निस्तारण न हो, तो यही धातुएँ मिट्टी और जलस्रोतों को प्रदूषित कर देती हैं। विशेष रूप से पारा और कैडमियम जैसे धातु हवा में मिलकर साँस के रास्ते शरीर में पहुँच जाते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। कैडमियम और पारा से तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी और कैंसर (cancer) का ख़तरा बढ़ सकता है, जबकि सीसा बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर डालता है। इसीलिए बैटरियों का सुरक्षित निपटान और रीसाइक्लिंग (recycling) आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है, ताकि इन ज़हरीले धातुओं का दुष्प्रभाव मानव और पर्यावरण दोनों पर न पड़े।
लिथियम-आयन बैटरियों की संरचना : ऐनोड और कैथोड सामग्रियाँ
लिथियम-आयन बैटरियों का प्रदर्शन और टिकाऊपन उनकी संरचना पर आधारित होता है। इनमें ऐनोड और कैथोड सबसे महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं। कैथोड प्रायः धातु ऑक्साइड से बनाए जाते हैं, जैसे लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड (Lithium Cobalt Oxide - LiCoO₂), लिथियम मैंगनीज़ ऑक्साइड (Lithium Manganese Oxide - LiMn₂O₄), लिथियम आयरन फॉस्फेट (Lithium Iron Phosphate - LiFePO₄) और लिथियम निकल मैंगनीज़ कोबाल्ट ऑक्साइड (Lithium Nickel Manganese Cobalt Oxide - NMC)। इनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व है - कहीं अधिक ऊर्जा क्षमता मिलती है, तो कहीं ताप सहनशीलता और सुरक्षा बेहतर होती है। दूसरी ओर, ऐनोड ज़्यादातर कार्बन आधारित होते हैं, जिनमें ग्रैफ़ाइट (Graphite) सबसे सामान्य और भरोसेमंद विकल्प है। ग्रैफ़ाइट सस्ता, मज़बूत और बिजली का अच्छा संवाहक होता है। कभी-कभी सिलिकॉन (Silicon) का प्रयोग भी ऐनोड में किया जाता है, क्योंकि यह अधिक ऊर्जा संग्रहण कर सकता है, लेकिन बार-बार चार्जिंग से इसका आकार बदलने लगता है, जिससे बैटरी जल्दी ख़राब हो सकती है। इसी कारण कई बार ग्रैफ़ाइट और सिलिकॉन का मिश्रण भी उपयोग किया जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बैटरी सेल (Battery Cell) की कुल लागत का लगभग 30–40% कैथोड सामग्री पर और 10–15% ऐनोड सामग्री पर निर्भर करता है।
दुनिया के चार सबसे बड़े लिथियम भंडार
लिथियम को लेकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा तेज़ी से बढ़ रही है, क्योंकि यह धातु आधुनिक ऊर्जा प्रणालियों के लिए रणनीतिक संसाधन बन चुकी है। चिली (Chile) में लगभग 9.3 मिलियन मेट्रिक टन (million metric tons) भंडार पाया जाता है और यहाँ का सालार डी अटकामा क्षेत्र विश्व के 33% लिथियम भंडार का केंद्र है। 2023 में चिली दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक देश था। ऑस्ट्रेलिया में लगभग 4.8 मिलियन मेट्रिक टन भंडार है, जो कठोर चट्टानों में स्पोड्यूमीन (Spodumene) खनिज के रूप में पाया जाता है। उत्पादन के मामले में 2023 में यह दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक रहा। अर्जेंटीना (Argentina) में 3.6 मिलियन मेट्रिक टन भंडार है, और इसे "लिथियम ट्रायंगल" (Lithium Triangle) का अहम हिस्सा माना जाता है। यहाँ 50 से अधिक उन्नत खनन परियोजनाएँ सक्रिय रूप से चल रही हैं। चीन में लगभग 3 मिलियन मेट्रिक टन भंडार है और यह देश न केवल इलेक्ट्रॉनिक्स (electronics) बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों का भी सबसे बड़ा निर्माता और उपभोक्ता है। इन आँकड़ों से साफ़ होता है कि लिथियम केवल एक धातु न होकर आज वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक अहम रणनीतिक संसाधन बन चुका है।
भारत में लिथियम आयात और विदेशी निर्भरता
भारत में ऊर्जा की माँग लगातार बढ़ रही है और इसी कारण लिथियम का आयात भी तेज़ी से बढ़ा है। मार्च 2023 से फ़रवरी 2024 तक भारत ने कुल 54,402 शिपमेंट् (shipments) आयात किए, जिसमें सालाना 19% की वृद्धि दर्ज हुई। अकेले फ़रवरी 2024 में ही 4,758 शिपमेंट् आए, जो पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुने थे। भारत लिथियम आयात के लिए मुख्य रूप से चीन, जापान और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर है। आँकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम आयातक देश है, जबकि अमेरिका और वियतनाम (Vietnam) क्रमशः इसके बाद आते हैं। यह स्थिति हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है और हमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में गंभीर रूप से सोचने पर मजबूर करती है।
भारत में नए लिथियम भंडार की खोज
विदेशी निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने हाल के वर्षों में बड़ी सफलता प्राप्त की है। भूतत्व सर्वेक्षण संस्था (GSI) ने पहली बार जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले में 5.9 मिलियन टन लिथियम संसाधनों की खोज की। इसके कुछ समय बाद राजस्थान के नागौर ज़िले के डेगाना क्षेत्र में और भी बड़े लिथियम भंडार का अनुमान लगाया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि डेगाना क्षेत्र का यह भंडार देश की कुल लिथियम आवश्यकता का लगभग 80% पूरा करने की क्षमता रखता है। यह खोज भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसके ज़रिए भारत न केवल विदेशी निर्भरता कम कर सकेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में भी एक नए और मज़बूत खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।
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