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ध्वनि हमारे चारों ओर मौजूद वह अदृश्य ऊर्जा है, जो हमारे जीवन को लगातार प्रभावित करती रहती है। यह केवल सुनाई देने वाली तरंगें नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो हमारे मनोभाव, स्वास्थ्य और पूरे पर्यावरण पर असर डालती है। एक ओर, यह हमें आनंद और सुकून देती है - जैसे पक्षियों की चहचहाहट, बहती नदी की कलकल या संगीत की मधुर धुनें। वहीं दूसरी ओर, जब यही ध्वनि असंतुलित और अत्यधिक हो जाती है, तो यह शोर का रूप ले लेती है और असहनीय प्रतीत होती है, जैसे महानगरों का यातायात, औद्योगिक मशीनों की गड़गड़ाहट या लगातार बजते हुए लाउडस्पीकर (Loudspeaker)। यही कारण है कि ध्वनि का सही ढंग से मापन करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। वैज्ञानिक और इंजीनियर (engineer) इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करते हैं। ध्वनि का मापन हमें यह समझने में मदद करता है कि कौन-सा स्तर हमारे स्वास्थ्य और श्रवण शक्ति के लिए सुरक्षित है और कौन-सा स्तर प्रदूषण तथा हानिकारक स्थिति की ओर इशारा करता है। ध्वनि स्तर मीटर जैसे उपकरण ध्वनि की तीव्रता को संख्याओं और पैमानों में बदलकर उसका सटीक विश्लेषण करने में सक्षम बनाते हैं। इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम न केवल पर्यावरणीय शोर नियंत्रण कर सकते हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, कार्यस्थलों की सुरक्षा और यहां तक कि विमानन जैसे क्षेत्रों में भी बेहतर मानक स्थापित कर सकते हैं।
इस लेख में हम ध्वनि मापन की प्रक्रिया को चरणबद्ध ढंग से समझेंगे। सबसे पहले, हम ध्वनि स्तर मीटर के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि यह उपकरण ध्वनि को मापने में क्यों उपयोगी है। इसके बाद, हम ध्वनि दबाव स्तर (Sound Pressure Level - SPL) को सरल भाषा में समझेंगे और जानेंगे कि वैज्ञानिक किस प्रकार इसे डेसिबल (Decibel - dB) पैमाने पर मापते हैं। फिर हम ध्वनि स्तर मापने की तकनीकें और डेसिबल पैमाना पर चर्चा करेंगे और देखेंगे कि हमारे दैनिक जीवन और औद्योगिक क्षेत्रों में इनका कितना महत्व है। अंत में, हम मैक संख्या (Mach Number) और डेसीबल (dB) तथा डेसीबल(ए) (dB(A)) के अंतर को विस्तार से जानेंगे, जिससे यह स्पष्ट होगा कि ध्वनि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
ध्वनि स्तर मीटर (Sound Level Meter) और इसका महत्व
ध्वनि स्तर मीटर (SLM) एक विशेष प्रकार का उपकरण है जिसका उपयोग वातावरण में उपस्थित ध्वनि की तीव्रता मापने के लिए किया जाता है। यह बैटरी (battery) से संचालित एक पोर्टेबल (portable) यंत्र होता है, जिसे आसानी से किसी भी स्थान पर लेकर जाया जा सकता है। इसके अंदर मौजूद संवेदनशील माइक्रोफ़ोन (microphone) ध्वनि तरंगों को पकड़कर उन्हें विद्युत संकेतों में बदल देता है, जिन्हें बाद में ध्वनि दबाव स्तर (Sound Pressure Level - SPL) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इस उपकरण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें आवृत्ति भार नेटवर्क (Frequency Weighting Network) मौजूद होता है। यह नेटवर्क विभिन्न आवृत्तियों की ध्वनियों को मानव कान की संवेदनशीलता के अनुसार अलग-अलग महत्व देता है। उदाहरण के लिए, कोई तीखी और तेज़ ध्वनि कानों को तुरंत परेशान कर सकती है, जबकि उसी स्तर की कम आवृत्ति वाली ध्वनि उतनी असहज महसूस नहीं होती। ध्वनि स्तर मीटर इन सूक्ष्म भिन्नताओं को पकड़ने में सक्षम होता है। यही कारण है कि पर्यावरण अध्ययन, औद्योगिक क्षेत्र और शहरी नियोजन में यह उपकरण ध्वनि प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण का एक प्रभावी साधन माना जाता है।
ध्वनि दबाव स्तर (Sound Pressure Level - SPL)
ध्वनि वास्तव में किसी माध्यम, जैसे कि वायु, में उत्पन्न होने वाला दाब का उतार-चढ़ाव है। इस दाब को पास्कल (Pascal - Pa) में मापा जा सकता है। लेकिन ध्वनि दबाव की सीमा इतनी बड़ी होती है - 20 माइक्रोपास्कल (mircopascal) से लेकर 200 पास्कल तक - कि इसे सीधे मापना और समझना कठिन हो जाता है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने एसपीएल (SPL) की अवधारणा विकसित की।
SPL की गणना के लिए एक मानक सूत्र का उपयोग किया जाता है:
SPL = 20 × log₁₀ ( P / Pref )
जहाँ:
यह 20 μPa न्यूनतम ध्वनि दबाव है जिसे मानव कान सुन सकता है। इस सूत्र की मदद से विभिन्न ध्वनियों की तीव्रता को डेसिबल (dB) पैमाने पर मापा जाता है।
उदाहरण:
ध्वनि स्तर मापने की तकनीकें और उपकरण
ध्वनि स्तर मापने के लिए दो प्रमुख उपकरण सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं। पहला है ध्वनि स्तर मीटर (Sound Level Meter - SLM), जो किसी स्थान और समय पर ध्वनि की तीव्रता मापने के लिए उपयुक्त है। यह उपकरण पर्यावरणीय सर्वेक्षण, यातायात निगरानी और भवनों के ध्वनिक डिज़ाइन (Acoustic Design) में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। दूसरा है शोर डोसीमीटर (Noise Dosimeter), जिसे किसी व्यक्ति के साथ पहनाया जाता है। यह पूरे दिन में उस व्यक्ति द्वारा अनुभव किए गए ध्वनि स्तर का औसत रिकॉर्ड करता है। यह विशेष रूप से औद्योगिक वातावरण में उपयोगी है, जहाँ मजदूर लंबे समय तक मशीनों के तेज़ शोर में काम करते हैं। ध्वनि मापन तकनीकें न केवल वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सड़क यातायात नियंत्रण, एयरपोर्ट्स (airports) पर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी, अस्पतालों के शांत वातावरण को बनाए रखना और कार्यस्थलों पर कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना - ये सभी उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि ध्वनि मापन सीधे हमारी जीवन-गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
डेसिबल (dB): परिभाषा और पैमाना
ध्वनि की तीव्रता मापने की सबसे सामान्य इकाई है डेसिबल (dB)। यह एक लघुगणकीय (Logarithmic) पैमाना है। इसका अर्थ है कि डेसिबल में हर 10 इकाई की वृद्धि ध्वनि की तीव्रता में लगभग दस गुना वृद्धि को दर्शाती है। इस वजह से डेसिबल पैमाना मानव कान की विशाल श्रवण सीमा को सरल और समझने योग्य बना देता है। मानव कान सामान्यतः 0 डेसिबल (सबसे हल्की फुसफुसाहट) से लेकर 120–130 डेसिबल (जेट इंजन या रॉक कॉन्सर्ट जैसी तीव्र ध्वनियाँ) तक सुन सकता है। 85 डेसिबल से अधिक का शोर लंबे समय तक सुनने पर श्रवण शक्ति को नुकसान पहुँचा सकता है। यही कारण है कि कार्यस्थलों और औद्योगिक क्षेत्रों में शोर स्तर के लिए कड़े नियम बनाए जाते हैं। इसके अलावा दूरी का भी शोर स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है - जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, ध्वनि कमजोर होती जाती है।
मैक संख्या (Mach Number) और ध्वनि की गति
ध्वनि से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययनों में मैक संख्या का विशेष महत्व है। यह अवधारणा प्रसिद्ध वैज्ञानिक अर्नेस्ट मैक (अर्नेस्ट मैक) ने प्रस्तुत की थी। मैक संख्या किसी वस्तु की गति और ध्वनि की गति के अनुपात को दर्शाती है। इसका सूत्र है:
M = v / c
जहाँ,
मैक संख्या के आधार पर प्रवाह को विभिन्न श्रेणियों में बाँटा जाता है:
विमानन, रॉकेट प्रौद्योगिकी और द्रव गतिकी (Fluid Dynamics) में मैक संख्या का अत्यंत महत्वपूर्ण उपयोग होता है। यह न केवल विमान की डिज़ाइन को प्रभावित करती है, बल्कि अंतरिक्ष यान और सुपरसोनिक मिसाइलों के संचालन में भी निर्णायक भूमिका निभाती है।
डेसीबल और डेसीबल(ए) का अंतर
ध्वनि मापन में सामान्यतः डेसीबल और डेसीबल(ए) दोनों इकाइयों का उपयोग किया जाता है। डेसीबल ध्वनि दबाव स्तर का सामान्य मापन है, जो किसी ध्वनि की कुल तीव्रता को दर्शाता है। लेकिन मानव कान सभी आवृत्तियों को समान रूप से नहीं सुनता। उच्च और मध्यम आवृत्तियों के प्रति कान अधिक संवेदनशील होते हैं, जबकि बहुत कम या बहुत अधिक आवृत्तियों को उतनी तीव्रता से महसूस नहीं करता। इसी वजह से डेसीबल(ए) पैमाना विकसित किया गया। इसमें एक विशेष फ़िल्टर लगाया जाता है जो मानव कान की संवेदनशीलता के अनुसार ध्वनि स्तर को संशोधित करता है। उदाहरण के लिए, कोई मशीन 90 डेसीबल शोर पैदा कर रही है, लेकिन डेसीबल(ए) में यह मान थोड़ा कम हो सकता है क्योंकि मशीन का अधिकतर शोर कम आवृत्ति का है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/m3m8m9s8
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