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आज लोगों के मध्य खासकर को युवाओं में अपने शारीरिक फिटनेस को लेकर उत्साह बढ़ता दिख रहा है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है विभिन्न छोटे-बड़े हिस्सों में व्यायामशाला (Gym) की बढ़ती संख्या। इसका कारण है लोगों के मन में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ना। शारीरिक फिटनेस के प्रति लोगों का उत्साह आज से नहीं वरन् सदियों पुराना है। भारत में पहले अखाड़ों में इस प्रकार की कसरत देखने को मिलती थी, किंतु आज युवा वर्ग अखाड़ों से ज्यादा व्यायामशाला जाना पसंद करते हैं। इन दोंनों क्षेत्र में शारीरिक फिटनेस पर विशेष ध्यान दिया जाता है किंतु दोनों की कसरत प्रणाली में कुछ भिन्नताएं देखने को मिलती है।
शारीरिक फिटनेस के लिए लोग अनेक प्रयास करते हैं कुछ खेलना पसंद करते हैं (28%), कुछ सामुहिक फिटनेस क्लास (12%) में जाते हैं, कुछ स्वास्थ्य वर्धक खाना (48%) खाते हैं कुछ घर पर व्यायाम (39%) करते हैं और कुछ लोग व्यायामशाला के सदस्य (45%) बन जाते हैं। आज विश्व में कसरत या योगा करने के अनेकों तरीके उपलब्ध हैं।
कुस्ती का स्वरूप आज भले बदल रहा हो किंतु भारतीय अखाड़ों में तैयार पहलवान आज भी आधुनिक व्यायामशाला में तैयार पहलवान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भारत में प्राचीन समय में सेना के जवान तथा कुस्ती के पहलवान अखाड़ों में ही तैयार किये जाते थे तथा कुस्ती का आयोजन सामान्यतः त्यौहारों और सार्वजनिक उत्सवों में किया जाता था। भारतीय अखाड़े ने अनेक ऐतिहासिक और आधुनिक पहलवानों को तैयार किया है। 1925 में स्थापित गुरू हनुमान अखाड़ा (दिल्ली) नें दारा सिंह, गुरु सतपाल, सुशील कुमार और योगेंद्र कुमार जैसे पहलवान तैयार किये। भारत के अन्य प्रमुख अखाड़ों में से एक है दिल्ली का छत्रसाल अखाड़ा(नॉर्थ दिल्ली) जहां भारत के प्रसिद्ध कुश्ती शिक्षक सतपाल सिंह जी का मूल स्थान रह चूका है। तथा अन्य अखाड़ों में श्री लक्ष्मीनारायण व्याम शाला (मुंबई ) जो आज 500 युवाओं को कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहा है, पुणे में स्थित देवलची तालीम (महाराष्ट्र में अखाड़ों को तालीम भी कहा जाता है) यह प्राचीन अखाड़ों में से एक है तथा यह भारत के पारंपरिक पहलवानों का घर रह चूका है। ऐसे अनेक अखाड़े आज भी भारत में पारंपरिक तरीके से पहलवान तैयार कर रहे हैं।
व्यायामशाला में तैयार पहलवानों का प्रशिक्षण अधिकांशतः आधुनिक है साथ ही इनके द्वारा उपयोग किये जाने वाले उपकरण भी पूर्णतः आधुनिक हैं। आज के अधिकांश लोग विशेषकर 20-40 वर्ष की आयु वर्ग वाले, व्यायामशाला कुस्ती लड़ने के उद्देश्य से नहीं वरन् स्वस्थ रहने, अच्छा दिखने और आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से करते हैं। भारतीय बाजारों खासकर फैशन जगत में भी फिटनेस की मांग बढ़ती जा रही है, इसको हम पिछले वर्ष (2017) के आंकड़ों से देख सकते हैं भारत में फिटनेस से संबधित गतिविधियों पर बाजार का खुदरा मूल्य 7,000 करोड़ था जिसकी वृद्धि दर अन्य वर्ष की तुलना में 16-17% थी जिसमें खुदरा बजार द्वारा 28% तक बढ़ने की उम्मीद दर्शायी जा रही है। आज अधिकांश होटलों, (बी.पी.ओ) BPOs तथा (के.पी.ओ) KPOs, स्वास्थ्य क्लब (fitness club) में लोगों को व्यायामशाला की सुविधाऐं प्रदान की जा रही हैं। पहले ज्यादातर पुरूष समुदाय में ही इसके प्रति उत्साह दिखता था किंतु आज 45% महिलाएं भी इस क्षेत्र में रूचि दिखाती नजर आ रही हैं। शहरी लोगों में व्यायामशाला के प्रति प्रतिस्पर्धा भी साफ झलक रही है साथ ही नियमित कसरत लगभग 13 प्रकार के केंसरों और विभिन्न शारीरिक समस्याओं जैसे – तनाव, हृदय रोग, शुगर, उच्च रक्तचाप (high BP), मोटापा आदि से छुटकारा दिलाने में भी सहायक होता है। इस कारण आज फिटनेस उद्योग तीव्रता से आगे बढ़ रहे हैं।
संदर्भ :
1. https://economictimes.indiatimes.com/magazines/panache/the-pursuit-of-fitness-retail-market-for-fitness-in-india-expected-to-touch-rs-7000cr-by-2017-end/articleshow/60476309.cms