 
                                            समय - सीमा 268
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                                            शिराज़-ए-हिंद के नाम से प्रसिद्ध जौनपुर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जिसका अपना एक विशिष्टि ऐतिहासिक और धार्मिक अस्तिबत्वल है। एक समय ऐसा भी था जब यह तट तपस्वी, ऋषियों एवं महाऋषियों के चिन्तीन व मनन का एक प्रमुख स्थदल हुआ करता था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं। जिनमें से एक प्रमुख ऐतिहासिक गोमतेश्वर महादेव मंदिर केराकत के प्रांगण में स्थित है।
केराकत, जौनपुर जिले से 25 कि.मी. पूर्व में और वाराणसी से 45 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। यह जौनपुर और औंरिहर से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है। यहां की एक प्रमुख विशेषता यह है कि गोमती नदी यहाँ यू(U)-आकार में बहती है जो कि मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। यहां गोमतेश्वणर महादेव मन्दिर (सिहौली) के साथ-साथ काली माता मन्दिर और देवेश्वर महादेव मन्दिर (हुरूहुरी) भी स्थित है।
गोमेतेश्वर महादेव मंदिर का अर्थ है ‘गोमती नदी का महान देवता’। यह भगवान शिव को समर्पित मध्यकालीन मंदिरों के समूह में सबसे बड़ा और सबसे अलंकृत हिंदू मंदिर है। इसे भारत में मध्यकालीन काल के संरक्षित मंदिरों के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक माना जाता है। महादेव के इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर की महिमा को लेकर तमाम बातें प्रचलित हैं। कथा कहानियों पर विश्वास करें तो, यह मंदिर हर्षवर्धन काल में बनाया गया था। परंतु इस शिवलिंग को हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। बाद में करीब 1990 में कुछ ग्रामीणों को यहां शिवलिंग पुनः प्राप्त हुआ और इस मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया। श्रद्धालुओं की मानें तो उनका कहना है कि सावन माह में भगवान शिव पार्वती संग मृत्यु लोक में विचरण करते हैं। इस माह में सच्चे मन से की गई भोलेनाथ की पूजा का मनवांछित फल अवश्य मिलता है।
यह मंदिर अब लोगों की आस्था का प्रतीक बन चुका है। यहां प्रत्येक दिन सुबह-शाम आरती के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सावन के महीने में तो जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों की भीड़ सी लग जाती है। मंदिर में सावन के महिने में प्रत्येक दिन रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है और शाम को शिव महिमा के भजनों को गाया जाता है।
गोमती नदि में आपको गोमतीचक्र भी मिलते हैं। गोमती नदी में मिलने वाला ये गोमती चक्र एक ऐसा नाम है जो अधिकतम हिन्दुओं में प्रसिद्ध है। वास्तव में गोमती चक्र टर्बिनिडे (Turbinidae) कुल के एक दुर्लभ समुद्री घोंघे का कवच है। इसमें ‘चक्र’ शब्द संस्कृत से लिया गया है। गोमती चक्र का उपयोग आभूषणों में भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल प्राचीन सेल्टिक और यूनानियों द्वारा भी किया जाता था। इसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह बच्चों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। इससे धन, समृद्धि, सुख, स्वास्थ्य, व्यवसाय विकास, मन की शांति, समाज में प्रतिष्ठाह और सफलता मिलती है। गोमती चक्र के एक ओर से खोल जैसा होता है, जबकि दूसरी तरफ वृत्ताकार डिजाइन के साथ चक्कर की तरह दिखता है और चपटा होता है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Gomateshwar_Mahadev_Temple,Kerakat
2.https://www.jagran.com/uttar-pradesh/jaunpur-11515496.html
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Kerakat
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Gomti_Chakra
5.http://hindi.webdunia.com/astrology-articles/gomati-chakra-totke-116111400055_1.html
6.https://www.youtube.com/watch?v=GXJCQS2pxBY
 
                                         
                                         
                                         
                                        