वेदों में मौजूद हैं विज्ञान के कई सिद्धांत

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
11-11-2018 10:30 AM
वेदों में मौजूद हैं विज्ञान के कई सिद्धांत

वेदों को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्रतम ग्रंथो में गिना जाता है। वेद हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं जिनमें ईश्वर, जीव और प्रकृती का ज्ञान विद्यमान है। आज भी हमारे घरों में पूजा के दौरान वेदों में लिखें मंत्रो का ही जाप किया जाता है और जब तक सृष्टि में जीवन रहेगा श्लोकों और मंत्रों को पढ़ा जायेगा। इन श्लोकों में इतनी शक्ति मानी जाती हैं कि इनके जाप मात्र से ही व्यक्ति के सारे कष्ट और उनको सहने की शक्ति मिल जाती है। जैसा की हम सभी जानते हैं वेद केवल अध्यात्म मात्र के बारे में ही जानकारी उपलब्ध नहीं कराते हैं बल्कि वेदों के श्लोकों में विज्ञान का भी जिक्र मिलता है। आज हम आपको वेदों का विज्ञान के साथ क्या रिश्ता है उस बारे में बताने जा रहे हैं।

पृथ्वी की गति

अहस्ता यदपदी वर्धत कषाः शचीभिर्वेद्यानाम। 
शुष्णं परि परदक्षिणिद विश्वायवे नि शिश्नथः।।
ऋग वेद 10.22.14

ऋग वेद का यह श्लोक है। पृथ्वी की सूर्य के चारों तरफ की प्रक्रिमा के बारे में बताता है।
कषा: = पृथ्वी
अहस्ता= बिना हाथ
यदपदी= बिना पैर
वर्धत= आगे की तरफ गतिमान
शुष्णं परि= सूर्य के चारों तरफ
पदक्षिणिद= घूमना

ऋग वेद 10.149.1

सविता यन्त्रैः पर्थिवीमरम्णादस्कम्भने सविता दयामद्रंहत। 
अश्वमिवाधुक्षद धुनिमन्तरिक्षमतूर्तेबद्धं सविता समुद्रम।।

सविता = सूर्य
यन्त्रैः = रीन्स के माध्यम से
पर्थिवीम = पृथ्वी
रम्णाद = संबंध
दयामद्रंहत = आकाश के अन्य ग्रह भी
अश्वमिवाधुक्षद = घोड़े जैसे

गुरुत्वाकर्षण बल

यदा ते हर्यता हरी वाव्र्धाते दिवे-दिवे। 
आदित ते विश्वा भुवनानि येमिरे।।

ऋग वेद का श्लोक 8.12.28 कणों के बीच कार्य करने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में बताता है।

हनुमान चालीसा

हिन्दू धर्म से तालुख रखने वाले हर किसी व्यक्ति नें हनुमान चालीसा तो अवश्य ही पढ़ी होती है लेकिन हमें संस्कृत में लिखे श्लोकों के बारे में नहीं पता होता है। आज हनुमान चालीसा के उस अंश के बारे में बताएँगे जिसमें धरती से सूर्य की दूरी के बारे में ज्ञात होता है।

“युग सहस्र योजन पर भानु, 
लील्यो ताहि मधुर फल जानू”

युग =12000 साल
सहस्र युग=12000000 साल
योजन= 8 मील

अतः “युग सहस्र योजन” पहले के इन तीन शब्दों का अर्थ 12000*12000000*8= 96000000 मील और 153,600,000 किलोमीटर है। धरती से सूर्य की पायी गयी दूरी 152,000,000 किलोमीटर के करीब है और हनुमान चालीसा में जिस दूरी का वर्णन किया है उस में केवल 1 प्रतिशत की त्रुटि मिलती है।

संदर्भ:
1.https://research.mum.edu/modern-science-and-vedic-science-journal/modern-science-and-vedic-science-an-introduction/
2.https://www.quora.com/Which-Veda-tell-us-about-science.
3.https://www.quora.com/What-do-the-Vedas-and-astronomical-texts-have-to-say-about-the-planets-and-their-environment
4.https://vedkabhed.wordpress.com/2013/12/20/response-to-science-in-vedas-2/
5.https://www.mensxp.com/special-features/today/28424-10-facts-that-prove-how-incredibly-advanced-ancient-indian-science-was.html