समय - सीमा 269
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1038
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
आपने अभी तक मां काली को रौद्ररूप में ही देखा होगा परंतु जौनपुर के केराकत नगर में स्थित माता काली के मंदिर में उपस्थित उनकी मूर्ति अन्य मंदिरों में स्थित मूर्तियों से भिन्न है। यहां आपको मां काली की शांत व सौम्य रूप की प्रतिमा देखने को मिलेगी। इस मूर्ति में मां का सौम्य रूप झलकता है।
मां दुर्गा की पूजा के लिए प्रत्येक दिन और प्रतिक्षण शुभ माना जाता है परंतु नवरात्री के नौ दिन देवी मां की उपासना के लिए विशेष महत्व रखते हैं। ये नौ दिन देवी मां के द्वारा राक्षसों को मारने या बुराई पर विजय प्राप्त करने के संकेत के रूप में प्रतिवर्ष दो बार मनाये जाते हैं। हम सभी जानते है कि संसार के कल्याण के लिए मां आदि शक्ति नौ अलग अलग रूपों में प्रकट हुई थी, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्री का समय मां दुर्गा के इन्ही नौ रूपों की उपासना का समय होता है, जिसमें प्रत्येक दिन देवी के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है।
नवरात्रि पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान मनुष्य अपने नकारात्मक गुणों पर भी विजय प्राप्त कर लेता है। ये नौ दिन देवी के तीन रूपों को समर्पित हैं:- नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा (पराक्रम की देवी), अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) और अंतिम तीन दिन देवी सरस्वती (ज्ञान की देवी) को समर्पित हैं।
मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक रूप मां काली का भी है। माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों की विजय सुनिश्चित करने के लिए अरावन ने "मां काली" को अपना बलिदान देने का निश्चय किया, जिस कारण मां ने युद्ध में विजय के लिए पांडवों को आशीर्वाद दिया था।
पुराने समय में केराकत नगर में स्थित माता काली के मंदिर में नवरात्री के दौरान रोज पशुबलि दी जाती थी लेकिन दो या तीन दशकों से यह प्रथा बंद कर दी गई है। मां काली मंदिर का इतिहास कई साल पुराना है परंतु आज भी यहां नवरात्री में भक्तों की बहुत भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के दौरान इस प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन-पूजन हेतु क्षेत्र के आस-पास के अलावा दूर-दराज से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि मां के दर्शन मात्र से जीवन सुखद, और शांत हो जाता है तथा ज्ञान, भक्ति, शांति, आनंद, संमृद्धि तथा करूणा का विस्तार होता है। सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है। इस मंदिर में मां के चरणविंदों में त्रैलोक्य की अपार शांति, शक्ति और सम्पदा समाई है।
संदर्भ:
1. https://www.commonfloor.com/guide/navratri-celebration-begins-6376.html