फफूंद हो सकती है फसल के लिए बहुत हानिकारक

फफूंदी और मशरूम
04-09-2019 11:56 AM
फफूंद हो सकती है फसल के लिए बहुत हानिकारक

फंफूद से उत्पन्न रोग मनुष्य ही नहीं बल्कि पौधों को भी बड़ी संख्या में बर्बाद कर देते हैं। अक्सर खेतों में हम देखते हैं कि एक ही पौधे में करीब 2-3 प्रकार के पत्ते उपलब्ध हैं जिनमें कुछ कटे हुए हैं, कुछ पर सफ़ेद गुठलियाँ निकल आई हैं और कुछ एक स्वस्थ पत्ती की तरह दिख रहे हैं।

ये फंफूद किसानों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण सोच का विषय है। जैसा कि जौनपुर एक कृषक जिला है तो यहाँ पर खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहाँ पर ये फंफूद बोये हुए पौधों को बड़ी संख्या में नुकसान पहुँचाने का कार्य करती है जिस कारण से फसल की बर्बादी हो जाती है। आइये जानते हैं कि फंफूद का रोग आखिर होता क्या है और यह विभिन्न प्रकार की फसलों पर कैसे असर पहुचाते हैं?

सर्वप्रथम हम सब्ज़ियों की बात करते हैं- कवक या फंफूद पौधों पर बहुत बड़ी संख्या में रोगजनकों का निर्माण करते हैं जिनसे कई बड़ी बीमारियाँ पौधों को लग जाती हैं। फंफूद पौधों की कोशिकाओं को मारकर उनको नुकसान पहुंचाता है। फंफूद दूषित मिटटी, हवा, दूषित पानी, जानवरों आदि के ज़रिये और मशीनों (Machines) आदि से फैलता है। अब यह मशीनों आदि से कैसे फैलता है यह सोचना आवश्यक है।

जब किसी भी पौधे की छटाई या उसकी कटाई हो रही होती है, ऐसे समय में पौधों के तनों पर घाव का निर्माण अनजाने में हो जाता है जो फंफूद को एक स्थान दे देता है। ऐसे ही फंफूद द्वारा हुए रोगों को यदि उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो गाजर में लीफ ब्लाईट (Leaf Blight) और फलियों में रेड रूट कॉम्प्लेक्स (Red Root Complex) की समस्या आ जाती है।

जैसा कि जौनपुर में आलू के उत्पाद की संख्या अत्यंत ही अधिक है तो आइये देखते हैं कि फंफूद से आलू को किस प्रकार की समस्या होती है। आलू की फसल पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ता है इसपर आने वाले फफूंद का। यह फंफूद आलू के पौधों को ख़त्म कर देती है। आलू में फफूंद के मुख्य कारणों की बात की जाए तो यह मुख्य रूप से दूषित बीज से या दूषित मिटटी से होती है। कई बार यही फफूंद आलू के नज़दीक मौजूद अन्य फसलों में भी जीवित रहते हैं जैसे काली मिर्च और टमाटर की फसल में। सब्ज़ियों में रोग फैलाने वाले फंफूदों को कैसे पहचाना जा सकता है-

कई बार हम गेहूं के खेत में देखते हैं कि गेहूं के पौधों पर पीली चकत्तियां दिखाई देती हैं, अब ये चकत्तियां आखिर हैं क्या? इसे वीट येलो रस्ट (Wheat Yellow Rust) के नाम से जाना जाता है, यह अलग नाम में वीट स्ट्राइप रस्ट (Wheat Stripe Rust) के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग बढ़ती हुयी गेहूं की फसलों में लगता है तथा यह ठंडे मौसम में बढ़ता है। इसके होने पर गेहूं के पौधों में पीले रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं। इससे गेहूं की उपज में बड़ी गिरावट देखने को मिलती है।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2kgY5LQ
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Wheat_yellow_rust
3. https://bit.ly/2lyjnEP