 
                                            समय - सीमा 268
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                                            शराब भारत में पीया जाने वाला एक अत्यंत ही तेज़ी से फैला हुआ व्यसन है। इस व्यसन के चलते कितने की सेठों के घर बार तक बिक गए और कितने ही मौत की गहरी नींद में सो गए। वर्तमान काल में भारत में शराब पीने वालों की संख्या में बाधी बढ़त देखने को मिली है। आइये इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं शराब से हो रही समस्या, अस्पतालों और उनके हालातों के बारे में। भारत में शराब के खपत और उसकी बिक्री में हुयी तेज़ी पर एक रिपोर्ट सन 2009 में सामने आई जिसका नाम था अल्कोहल यूज़ ऑन द राइज इन इंडिया यह लेख रायका प्रसाद ने लिखा था तथा इसे थे लांसेट नामक शोध पत्र में छापा गया था।
 
इस लेख के आने के बाद भारत में हो रहे शराब के खपत पर एक बड़ा खुलासा सामने आया। इस शोध से यह तथ्य पता चलता है की पिछले कुछ वर्षों में भारत के शहरों में नाईट क्लबों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। नाईट क्लबों की बढती हुयी संख्या को देखकर यह कहा जा सकता है की शराब की व्यसन की तरफ ज्यादा संख्या में लोगों का झुकाव हुआ है। यह तथ्य 2009 में आई रिपोर्ट के आधार पर है जिसमे यह कहा गया था की पिछले 3 वर्षों में शराब बिक्री में 8 प्रतिशत की वृद्धि आई थी। यह आंकड़ा आने के बाद भी भारत अभी भी दुनिया के कई देशों से कम शराब के उपभोक्ता वाला देश है।
 
सरकारी आंकड़ो पर यदि नजर डाले तो पता चलता है की भारत के 21 प्रतिशत वयश्क पुरुष और लगभग 2 प्रतिशत महिलायें शराब पीते हैं। विशेषज्ञों का मानना है की भारत में शराब के इस्तेमाल में बड़ा बदलाव आया है। यहाँ के लोगों में यह भी परिवर्तन आया है की लोग छोटी उम्र में ही शराब पीना शुरू कर रहे हैं। अल्कोहल एंड ड्रग्स इनफार्मेशन सेंटर इंडिया जो की गैर सरकारी संगठन है के अध्ययन के अनुसार केरल में 21 वर्ष से कम आयु के शराब पीने वालों की संख्या में बेतरतीब बढ़त देखने को मिली है जो की पहले मात्र 2 प्रतिशत थी वह अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गयी है जो की एक चिंताजनक विषय है।
 
सरकारी दलीलों के अनुसार कई कंपनिया और विज्ञापन युवाओं को शराब के लुभावने तरीके से प्रेरित कर के अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। जैसा की भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है और यह एक बड़ा और बहुत बड़ा शराब बाजार बन सकता है तो ऐसे में यह एक सोच का विषय है।
 
 
यद्यपि अब देखा जाए तो शराब के विज्ञापन पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है परन्तु सिगरेट के विज्ञापन अब भी भरे पड़े हैं। फिल्मों का भी एक बड़ा असर युवाओं पर पड़ता है जहाँ पर शराब का महिमामंडन किया जाता है। पिछले कुछ दशकों में भारतीय महिलाओं में भी शराब पीने की संख्या में भी बड़ी वृद्धि देखि गयी है। कर्नाटक में हालिया किये गए अध्ययन से इस बात की पुष्टि हो जाती है।
 
शराब की बढती हुयी लत के कारण शराब की काला बाजारी भी अत्यधिक हो गयी है अतः कई लोग जहरीली शराब के सेवन से मारे जाते हैं। रोजाना अस्पतालों में ऐसे मरीज पहुँच रहे हैं। घरेलु हिंसा में भी शराब की एक बड़ी भूमिका है और 2004 के WHO के रिपोर्ट से यह पता चला है की एक तिहाई हिंसक पति शराब का सेवन करते हैं। जैसा की भारत में स्वास्थ सेवायें अत्यधिक शुचारु रूप से नहीं चल रही हैं और 1000 रोगियों पर 1 से भी कम डोक्टर की उपलब्धता है तो ऐसे में शराब के सेवन से बढ़ रही बिमारी भी अचूक होती जा रही है।

 
                                         
                                         
                                         
                                        