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कुछ पुरातात्विक खोजों से यह पता चला कि प्राचीन मिस्र के लोग करीब 600 ई. पू. मे ही बिजली के उत्पादन कि तकनिकी को जानते थे। 1930 मे खुदाई मे मिली सामग्रीयों मे एक घड़े के अन्दर ताम्बे के चद्दर मिले जिन्हें पूरातत्वविद व वैज्ञानिकों ने प्राचीन बैटरी का दर्जा दिया। बगदाद के पास कि गयी एक अन्य खुदाई मे वैसे ही मिलती जुलती सामग्रियां प्राप्त हुईं, जिससे यह अंदाजा लगाया गया कि फारस के लोग भी बैटरी का इस्तेमाल करते होंगे।  परन्तु विश्व स्तर पर व आधुनिक परिपेक्ष मे देखा जाये तो इसका श्रेय बेंजामिन फ्रेंक्लिन को ही जाता है। 
भारत मे सर्वप्रथम बिजली कोलकाता मे 24 जुलाई सन 1879 मे आई थी तथा मुंबई मे सन 1882 को क्रावफोर्ड मार्केट में बिजली का आगमन हुआ था। धीरे-धीरे बिजली का विस्तार भारत के विभिन्न कोनो मे हो गया। बिजली के आगमन से शहरों का विकास अप्रतिम गति से हुआ। 
जौनपुर मे बिजली का आगमन 20 वीं शताब्दी के मध्य काल तक हुआ। वर्तमान स्थिति के अनुसार जौनपुर मे बिजली कि कुल खपत 123 किलोवाट-घंटा(KW.H.) है जिसमें 23% कृषि कार्यों मे, 11% औद्योगिक कार्यों मे तथा 55% घरेलु कार्यों मे खपत होती है। प्रदेशस्तर पर यदि आंकड़ों का अध्ययन किया जाये तो मुख्य बात सामने आती है वो यह कि पूरे प्रदेश कि औसतन व्यय जिला स्तर पर – 254 किलोवाट-घंटा(KW.H.) है, जिसका औसतन 20% कृषि, 24% उद्योग व 72% घरेलु रूप मे प्रयोग किया जाता है।