 
                                            समय - सीमा 268
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                                            जौनपुर ने अपनी मस्जिदों के लिए पर्याप्त लोकप्रियता हासिल की हुई है, जिनमें से एक जौनपुर का खालिस मुखलिस मस्जिद भी है। इस मस्जिद को दरबिया मस्जिद या खालिस मिखलीस मस्जिद या चार उंगली मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
 इसे 1430 में एक प्रसिद्ध संत, सैय्यद उस्मान शिराज़ी के सम्मान में सुल्तान इब्राहिम शर्की के दो प्रमुख कुलीन मलिक मुखलिस और मलिक खालिस द्वारा बनवाया गया था।
इसे 1430 में एक प्रसिद्ध संत, सैय्यद उस्मान शिराज़ी के सम्मान में सुल्तान इब्राहिम शर्की के दो प्रमुख कुलीन मलिक मुखलिस और मलिक खालिस द्वारा बनवाया गया था।
 
दरसल इसे चार उंगली मस्जिद इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें इस्तेमाल की गई प्रत्येक पत्थर का आकार चार उंगलियों के बराबर है यानि लगभग चार इंच की लंबाई है। यह मस्जिद एक सरल, सेवाभावी संरचना है और इसमें सामान्य महान प्रोपलीन, गुंबददार विशाल कक्ष, दो पक्ष और एक बड़े वर्ग में लगभग 66 फीट की गहराई है, जिसमें एक समतल छत है, जो हिंदू शैली में कुछ स्तंभों की दस पंक्तियों पर समर्थित है।
 
वहीं इसमें केवल इतनी ही नहीं और भी कई विशेषताएं हैं, जैसे कि यह जौनपुर में स्थित अटाला मस्जिद के समान हैं। हालाँकि यह अटाला मस्जिद से आयाम और रूप के मामले में छोटी है और यह स्पष्ट रूप से स्तंभ और दोनों आंतरिक और साथ ही मस्जिद की बाहरी सजावट से स्पष्ट देखा जा सकता है।
 वहीं यहाँ प्रत्येक सप्ताह के शुक्रवार को आयोजित होने वाली विशेष प्रार्थनाएं मन की परम शांति प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं।
वहीं यहाँ प्रत्येक सप्ताह के शुक्रवार को आयोजित होने वाली विशेष प्रार्थनाएं मन की परम शांति प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2Xe7l27
2. http://islamicarchitectureinindia.weebly.com/khalis-mukhlis-masjid.html
3. https://www.jaunpurcity.in/2011/05/khalis-muklis-or-darbiya-mosque-or.html
 
                                         
                                         
                                         
                                        