कैसे प्राप्त होती है भारतीय नागरिकता?

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
17-12-2019 02:01 PM
कैसे प्राप्त होती है भारतीय नागरिकता?

किसी भी देश में लम्बे समय तक रहने के लिए यह आवश्यक होता है कि वहां की नागरिकता प्राप्त की जाए। नागरिकता प्राप्त करने पर व्यक्ति को समाज से जुड़े रहने तथा अपनी सुविधा से सम्बंधित कुछ अधिकार दिए जाते हैं। ये अधिकार केवल तब ही प्राप्त होते हैं जब व्यक्ति को उस देश की नागरिकता प्राप्त होती है। इस मामले में व्यक्ति को उस देश के कुछ नियमों का पालन भी करना होता है। भारत में निवास करने के लिए भी यहां की नागरिकता प्राप्त करनी आवश्यक है। इसी आधार पर संविधान के अधिकारों और उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि भारत की नागरिकता कैसे प्राप्त की जाती है?

भारत की नागरिकता, 1955 के नागरिकता अधिनियम पर आधारित है जिसके अंतर्गत कोई भी नागरिक जन्म, वंशानुगत, पंजीकरण, समीकरण और क्षेत्र के आधार पर भारतीय नागरिक बन सकता है। भारतीय नागरिकता के सम्बंध में संविधान सूची में अनुच्छेद 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 शामिल किए गये हैं।

इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जन्म के आधार पर भारतीय नागरिक है:
• यदि व्यक्ति 26 जनवरी 1950 के दिन या बाद में तथा 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ हो।
• यदि व्यक्ति 1 जुलाई 1987 के दिन या बाद में किंतु नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 के शुरू होने से पहले भारत में पैदा हुआ हो। जन्म के समय व्यक्ति के माता-पिता में से एक का भारतीय होना अनिवार्य है।
• नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के प्रारंभ होने या उसके बाद जन्मा व्यक्ति भारतीय नागरिक है।

वंश के आधार पर भारतीय नागरिकता:
• भारत से बाहर पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक होगा यदि: व्यक्ति का जन्म 26 जनवरी 1950 के बाद और 10 दिसम्बर 1992 से पहले हुआ हो और उसके जन्म के समय उसके पिता भारत के नागरिक हों।
• 10 दिसम्बर 1992 के दिन और उसके बाद जन्मा व्यक्ति भारतीय नागरिक होगा बशर्ते उसके माता पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो।
• विदेश में पैदा होने वाले बच्चों को एक भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकृत होना चाहिए।

समीकरण के आधार पर नागरिकता: केन्द्र सरकार द्वारा समीकरण से भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति का सम्बंध किसी ऐसे देश से न हो जहां प्राकृतिक रूप से नागरिकता प्राप्त नहीं की जा सकती। उसके पास यदि किसी देश की नागरिकता है तो उसे त्याग करना होगा। उसे संविधान की अनुसूची 8 में उल्लेखित भाषाओँ में से किसी भी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।

पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता: केंद्र सरकार द्वारा पंजीकरण के आधार पर भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सकती है किंतु इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होता है। ये शर्तें निम्नलिखित हैं:
• आवेदन करने वाला व्यक्ति भारतीय मूल का हो तथा आवेदन करने से 7 वर्ष पहले वह भारत में निवास कर रहा हो।
• भारतीय मूल का व्यक्ति भारत के उस भाग का हिस्सा न हो जो अब विभाजित हो गया है। अर्थात वह पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि का न हो। इसके अतिरिक्त वह बाहर किसी-किसी अन्य देश में रह रहा हो।
• भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चों का पंजीकरण कराया जा सकता है।
• कोई ऐसा व्यक्ति जिसके माता-पिता भारत के नागरिक हों तथा पंजीकरण के लिए आवेदन करने से 1 साल पहले से वह भारत में रह रहा हो।
• उन व्यक्तियों को जिन्होंने भारतीय नागरिक से शादी की है और पंजीकरण करने के 7 वर्ष पहले से वे भारत में निवास कर रहे हों।

क्षेत्र समाविष्टि के आधार पर नागरिकता: यदि कोई विदेशी देश भारत में सम्मिलित हो जाता है तो उस अवस्था में भारत सरकार उस देश या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों को भारत की नागरिकता प्रदान कर सकती हैं। कई देशों में दोहरी नागरिकता न देने का प्रावधान होता है। इस अवस्था में नागरिकों को एक देश की नागरिकता त्याग करनी होती है। इसी प्रकार से भारत सरकार के नागरिेकता अधिनियम 1955 में नागरिकता समाप्ति के लिए भी प्रावधान बनाया गया है। इसके तहत तीन विधियां, नागरिकता का स्वेच्छा से त्याग, उसकी समाप्ति और वंचित करना शामिल हैं।
स्वैच्छिक त्याग: यदि कोई अपनी इच्छा से भारत की नागरिकता का त्याग करता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त कर दी जा सकती है।
नागरिकता की समाप्ति: जब व्यक्ति किसी और देश की नागरिकता ग्रहण कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त या बर्खास्त कर दी जाती है।
नागरिकता से वंचित करना: जब कोई व्यक्ति अवैध तरीकों से भारतीय नागरिकता प्राप्त करता है या देश विरोधी गतिविधयो में संलग्न रहते हुए भारतीय संविधान की अवहेलना करता है तो उससे भारतीय नागरिकता छीन ली जाती है।

संदर्भ:
1.
https://www.multiplecitizenship.com/wscl/ws_INDIA.html
2. https://indiankanoon.org/doc/305990/