 
                                            समय - सीमा 268
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                                            विश्व भर में मौजूद देश अपने देश की सुरक्षा के लिए हर संभव तरीके का उपयोग करते हैं और जितना चाहे उतना पैसा खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं। भारत द्वारा भी पाकिस्तान और चीन से सटी हज़ारों किलोमीटर की लंबी सीमा की जल, थल और वायु में सुरक्षा के लिए बजट (Budget) का बड़ा हिस्सा रक्षा में जाता है। भारत में कुल 14 लाख सैनिकों की सक्रिय सेना और 11.55 लाख सैनिकों की आरक्षित सेना के साथ-साथ 20 लाख अर्धसैनिक बल हैं। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2017 में भारतीय रक्षा बजट $67 बिलियन था।
ऐसा माना जाता है कि हुसैन शाह (1456-76) के शासनकाल के दौरान, जौनपुर सेना भारत की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक थी। युद्ध के मैदान के संदर्भ में भारतीय सैनिकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ सैनिकों में गिना जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि “यदि किसी सेना में ब्रिटिश अधिकारी, अमेरिकी हथियार और भारतीय सैनिक हैं तो कोई भी इस सेना को नहीं हरा सकता है।” अब वर्तमान समय में भारतीय सेना की ताकत को जानते हैं, जो इस प्रकार है:
 अब वर्तमान समय में भारतीय सेना की ताकत को जानते हैं, जो इस प्रकार है:
1. कुल सैनिक: भारतीय सेना में 14 लाख सक्रिय सैनिक और 11.55 लाख आरक्षित सेना और 20 लाख अर्धसैनिक बल हैं।
2. टैंक: 6464
3. बख्तरबंद लड़ाकू वाहन: 6704
4. स्वचालित बंदूक: 290
5. टोड आर्टिलरी (Towed Artillery) वाहन: 7414
6. एकाधिक रॉकेट प्रक्षेपक: 292
7. परमाणु मुखास्त्र: 110-120
जनशक्ति: जनशक्ति एक राष्ट्र की संपूर्ण जनसंख्या से संबंधित होती है और इसीलिए यह सैद्धांतिक रूप से उपलब्ध लड़ने की ताकत से संबंधित है। हालांकि युद्ध, विशेष रूप से उच्च प्रवृत्ति वाले युद्ध, पारंपरिक रूप से उच्च जनशक्ति का पक्ष लेते हैं।
•	कुल जनसंख्या: 1,29,68,34,042
•	उपलब्ध जनशक्ति: 62,24,80,340 (48.0%)
•	सेवा के लिए उपयुक्त: 49,42,49,390 (38.1%)
•	वार्षिक रूप से सैन्य आयु तक पहुंचने वाले: 2,31,16,044 (1.8%)
•	कुल सैन्य कार्मिक: 34,62,500 (अनुमानित) (0.3%)
•	सक्रिय कार्मिक: 13,62,500 (0.1%)
•	रिज़र्व (Reserve) कार्मिक: 21,00,000 (0.2%)
 
हवाई हमले का सामना करने की क्षमता: कुल विमान शक्ति मूल्य में सेवा की सभी शाखाओं से दोनों फिक्स्ड (Fixed) और रोटरी-विंग सिस्टम (Rotary-wing system) शामिल हैं। आक्रमण मूल्यों में मल्टीरोल (Multirole) और उद्देश्य-निर्मित हल्के-हमले दोनों प्रकार के आवरण होते हैं। परिवहन मूल्य में केवल फिक्स्ड-विंग सामरिक/रणनीतिक विमान शामिल हैं।
•	कुल विमान की ताकत: 2,082 
•	योद्धा: 520 (25.0%) 
•	हमला: 694 (33.3%) (137 में से 4थे स्थान पर)
•	परिवहन: 248 (11.9%)
•	प्रशिक्षक: 364 (17.5%)
•	कुल हेलीकाप्टर (Helicopter) शक्ति: 692 (33.2%)
नौसैनिक बल:
•	कुल नौसेना संपत्तियाँ: 295
•	विमान वाहक: 1 
•	लड़ाकू जहाज़: 13
•	विध्वंसक: 11
•	लड़ाकू जलपोत: 22
•	पनडुब्बी: 16
•	गश्ती पोत: 139
पेट्रोलियम (Petroleum) संसाधन: किसी भी जंग में तेल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निम्न आंकड़ों को BBL / DY (बैरल प्रति दिन) के रूप में दिखाया गया है।
•	तेल उत्पादन: 7,33,900 bbl / dy
•	तेल की खपत: 35,10,000 bbl / dy
•	सिद्ध तेल भंडार: 4,62,10,00,000 bbl
 
जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि आज की दुनिया में युद्ध हाथों से नहीं बल्कि हथियारों की मदद से लड़े जाते हैं, इसलिए भारत की सेना अपने रक्षा बलों के तीनों विंगों (Wings) के तकनीकी विकास को मज़बूत कर रही है।
भारत के पास निम्नलिखित मिसाइलें (Missiles) हैं:
1. सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस (Supersonic Cruise Missile Brahmos): भारत की सबसे खतरनाक मिसाइल ब्रह्मोस है, जो 4,900 किमी/घंटा की रफ्तार से हमला करती है। इसका मतलब है कि ब्रह्मोस ध्वनि की तुलना में लगभग 2.8 गुना तेज़ गति से हमला कर सकती है। उम्मीद है कि सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस आने वाले 10 वर्षों में हाइपरसोनिक (Hypersonic) क्षमता वाले उन्नत इंजन (Engine) से लैस होगी और यह भी उम्मीद है कि यह 7 मैक (ध्वनि की गति का 7 गुना) की गति को पार कर जाएगी। इस मिसाइल की एक और आश्चर्यजनक बात यह है कि न तो अमेरिका, चीन और न ही पाकिस्तान के पास ब्रह्मोस की तुलना में अधिक खतरनाक मिसाइल है।
2) पृथ्वी मिसाइल: यह एक स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल है जो एक सतह से 350 किलोमीटर तक की दूरी की दूसरी सतह पर हमला करने की क्षमता रखती है। इस मिसाइल की मदद से भारत जम्मू और कश्मीर के स्थान से लाहौर को आघात पहुंचा सकता है।
3) अग्नि-5 मिसाइल: अग्नि -5 एक इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (Intercontinental Ballistic Missile) है। यह 5000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को आघात पहुंचा सकती है।
4) अर्जुन टैंक: अर्जुन टैंक का नाम महाभारत के अर्जुन के नाम पर रखा गया है। यह अर्जुन की तरह ही सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।
 
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute) द्वारा प्रकाशित नए आंकड़ों के अनुसार, 2018 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च 2.6% बढ़कर 1.8 ट्रिलियन डॉलर हो गया था। यह अब 1988 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है और 1998 में शीत युद्ध के बाद की तुलना में 76% अधिक है। वहीं ट्रम्प (Trump) प्रशासन के तहत नए हथियार खरीद कार्यक्रम के कार्यान्वयन के कारण, अमेरिकी सेना का खर्च सात साल में पहली बार 649 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
वहीं लगातार 24वें वर्षों से अपने सैन्य खर्च के स्तर को बढ़ाते हुए, अमेरिका के बाद दूसरा स्थान चीन ने लिया है। इसने 2018 में अपने सशस्त्र बलों पर अनुमानित $ 250 बिलियन खर्च किए, जो 1994 की तुलना में लगभग दस गुना अधिक है। सऊदी अरब, $ 68 बिलियन के कुल खर्च करने के साथ तीसरे स्थान पर रहा, इसके बाद भारत ($ 67 बिलियन) और फ्रांस ($64 बिलियन) का स्थान रहा। परन्तु जब सैन्य बजट को राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में देखा जाता है तो स्थिति बहुत भिन्न होती है। 2018 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का सबसे बड़ा प्रतिशन सऊदी अरब ने सैन्य बजट में प्रयोग किया जो 8.8% था, जबकि भारत ने 2.4% प्रयोग किया।
वहीं सबसे आम पूछे जाने वाले सवाल, कि युद्ध के समय में हिंसक संघर्ष आर्थिक संसाधनों को कितना विस्थापित करते हैं? क्या अधिकांश देश अपनी सेनाओं को बनाए रखने के लिए संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा समर्पित करते हैं, भले ही वे एक महत्वपूर्ण संघर्ष में डूबे न हों? 21वीं सदी में सैन्य क्षमताएं कैसे बदल रही हैं? इन सभी सवालों के जवाब आपको निम्नलिखित मिलेंगे :-
1) आर्थिक संसाधनों के आवंटन पर युद्धों का पर्याप्त प्रभाव होता है।
2) अधिकांश देश संघर्ष के अभाव में भी अपनी सेना को संसाधन समर्पित करते हैं :- दुनिया के अधिकांश देश अपनी सेना में जीडीपी का कम से कम 1% खर्च करते हैं।
3) सैन्य खर्च राष्ट्रीय आय के सापेक्ष घट रहा है (लेकिन डॉलर प्रति व्यक्ति में घटाव की कोई स्पष्ट प्रवृत्ति नहीं है) :- विश्व द्वारा 1960 में रक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च किया जाता था, जो वर्तमान समय में केवल 2% के करीब खर्च किया जाता है। हालांकि, यहां ध्यान रखने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि चूंकि हाल के दशकों में जीडीपी विश्व भर में बढ़ रही है, विश्व भर में जीडीपी के रक्षा बजट के हिस्से में गिरावट का मतलब सैन्य खर्च में कमी नहीं है। वास्तव में, कुल वैश्विक सैन्य व्यय, हाल के दशकों में तीन गुना बढ़ गया है।
4) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सेनाएं नागरिक आबादी के सापेक्ष कम हो रही हैं। हालांकि पूर्ण आकार के संदर्भ में, वैश्विक सशस्त्र बलों में कुल लोगों की संख्या पिछले दो दशकों में अपेक्षाकृत स्थिर रही है।
संदर्भ:
1. https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/defence-capabilities-of-india-1552910299-1
2. https://www.globalfirepower.com/country-military-strength-detail.asp?country_id=india
3. https://www.forbes.com/sites/niallmccarthy/2019/04/29/the-biggest-military-budgets-as-a-share-of-gdp-in-2018-infographic/#11a7d84a7508
4. https://ourworldindata.org/military-spending
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        