 
                                            समय - सीमा 268
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                                            भारतीय समाज में धर्म का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है और यहाँ पर एक बड़ी आबादी धार्मिक प्रवृत्तियों में लबरेज़ है। भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है, जिसका कारण है यहाँ पर बसने वाली विविधता। जिस प्रकार की अनेकता भारत में निवास करती है और प्रत्येक धर्मों को जो समभाव यहाँ मिलता है वही यहाँ की खूबसूरती और त्योहारों की रूपरेखा बनाता है। आज वसंत पंचमी है और साथ ही साथ सरस्वती पूजा। माता सरस्वती को भारत में ज्ञान की देवी कहा जाता है, जो सफ़ेद हंस की सवारी करती हैं तथा उनको एक कमल के पुष्प पर आसीन दिखाया जाता है। कमल के फूल को ज्ञान का सारथी माना जाता है। आइये हम और आप मिलकर इस लेख के माध्यम से सरस्वती का वास्तविक अर्थ जानने की कोशिश करते हैं।
 
जैसा कि हम सभी जानते हैं, ब्रह्माण्ड का निर्माण ब्रह्मा ने किया था और ब्रह्माण्ड का निर्माण करते हुए ब्रह्मा ने यह महसूस किया कि ज्ञान के बिना इन सभी चर आचर प्राणियों का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। यह सोचने के बाद उन्होंने अपने मुख से ज्ञान की देवी सरस्वती को उदित किया। सरस्वती ब्रह्मा से उत्पन्न हुयी और उन्होंने ब्रह्माण्ड में व्यवस्था और ज्ञान वितरण को दिशा देने का कार्य किया। इसी दौरान सूर्य, चन्द्रमा और तारे सभी अस्तित्व में आयें, कालान्तर में सरस्वती ब्रह्मा की अर्धांगिनी बनी। सरस्वती को आमतौर पर एक सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए महिला के रूप में दिखाया जाता है। इनको चार भुजाओं के साथ दिखाया जाता है। सरस्वती शब्द संस्कृत के मूल श्र शब्द से उद्घृत है जिसका मतलब है आगे बढ़ना, पार करना है। श्र से सर्प का भी आशय है जिसका तात्पर्य है सरकना या आगे बढ़ना। ग्रीक शब्द सारोस जिसका मूल अर्थ भण्डार या कोष है। हांलाकि इसका मौलिक अर्थ छिपकली से था। श्र शब्द तब सार हो जाता है जब इसको प्राकृतिक सार, पानी, झरना, आदि से संदर्भित किया जाता है। सरिता का अर्थ है नदी, धरा, धाराप्रवाह और सिरा का अर्थ है नस, धमनी, तंत्रिका, पानी धारा आदि। सारा का अर्थ तरल पदार्थ, पानी से है जो कि सरस्वती से प्राप्त होता है अतः सरस्वती को सभी देवियों या माताओं में सर्वश्रेष्ठ देवी के रूप में माना जाता है।
 
सरस्वती को नदियों में भी सबसे पवित्र और सर्वश्रेष्ठ माना गया था जो कि कुरुक्षेत्र के मैदानों में बहा करती थी तथा इसके किनारे पर ही गीता जैसे ग्रन्थ का वाचन हुआ था। इसी नदी के तट पर वेद व्यास ने सभी वेदों का निर्माण किया था तथा परशुराम ने भी अत्याचारों की दुनिया से छुटकारा पाने के लिए स्नान किया था। सरस्वती को सभी वेदों की माँ के रूप में जाना जाता है। उपरोक्त लिखित तथ्यों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि सरस्वती शब्द का उदय पृथ्वी के तमाम चर अचर वस्तुओं और तंत्रिकाओं से हुआ है। यह शब्द अपने में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को लेकर चलने की क्षमता रखता है।
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/3150SZb
2. https://www.yogapedia.com/definition/6242/saraswati
3. https://blog.sivanaspirit.com/origin-and-story-of-saraswati/
4. https://www.youtube.com/watch?v=sET5WkidPJ8
5. https://www.speakingtree.in/blog/10-poweful-saraswati-manyras
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2RzNw47
2. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Goddess_Saraswati_Puja_Festival.jpg
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Saraswati#/media/File:Saraswati.jpg
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        