 
                                            समय - सीमा 268
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दर्शन मानव जीवन का एक अहम हिस्सा है, लेकिन अगर इसमें विचार प्रयोग (Thought Experiment) न हो तो यह लगभग निराशाजनक प्रतीत होता है। इस बात पर व्यापक सहमति है कि विचार प्रयोग दर्शन और प्राकृतिक विज्ञान दोनों में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। दार्शनिक विचार प्रयोगों का उपयोग करना अत्यधिक पसंद करते हैं, और इसलिए ऐसे कई विचार प्रयोग में हैं, जो हर चीज पर आपके समक्ष सवाल खड़े करते हैं। विचार प्रयोग बौद्धिक उपकरण बॉक्स (Box) के सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक हैं। कई विषयों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले विचार प्रयोग जटिल स्थितियों का पता लगाने, प्रश्नों को उठाने, जटिल विचारों को समझने, तथा उसके योग्य संदर्भ रखने की अनुमति देते हैं। इन विचार प्रयोगों में अनभिज्ञता का आवरण (The Veil of Ignorance), अनुभवी मशीन (The Experience Machine), मैरी का कमरा (Mary's Room), स्वैम्पमैन (Swampman) आदि हैं। द लाइफ यू कैन सेव (The Life You Can Save) भी इन्हीं विचार प्रयोगों में से एक है। यह प्रयोग 2009 में प्रसिद्ध उपयोगितावादी विचारक पीटर सिंगर (Peter Singer) द्वारा लिखा गया था। उनके विचार को इस प्रकार से समझने का प्रयास करते हैं।
मान लेते हैं कि अपने काम पर जाने के लिए आपको हर दिन एक तालाब से होकर गुजरना होता है। एक सुबह आप देखते हैं कि एक छोटा बच्चा तालाब में गिर गया है और रो रहा है। आपको ऐसा प्रतीत होता है कि वह पानी में डूब सकता है। आप लंबे और मजबूत हैं, इसलिए आप आसानी से बच्चे को बाहर निकाल सकते हैं। हालाँकि, बच्चे को बचाते हुए आपको कोई शारीरिक नुकसान नहीं होगा, लेकिन आपके द्वारा पहना 10,000 का सूट (Suit) गंदा हो जायेगा और इसे बदलने के लिए आपको घर जाना होगा। इस प्रकार आपको अपने काम के लिए देरी हो सकती है। 
 इस स्थिति में, क्या बच्चे को बचाने का आपका नैतिक दायित्व है? अवश्य ही आपका उत्तर 'हां' होगा। अब मान लीजिए कि आपसे पूर्व अन्य लोग भी बच्चे को बचाने में सक्षम थे लेकिन उन्होंने नहीं बचाया। तो क्या अब आप भी बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य नहीं हैं? आपका उत्तर होगा कि हम इस परिस्थिति में भी बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य हैं। आइए अब  कल्पना करें कि स्थिति में कुछ अनिश्चितता है। आप जानते हैं कि यदि आप बचाव का प्रयास करते हैं, तो आपको कोई नुकसान नहीं होने वाला है, लेकिन आप यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि आपका प्रयास सफल होगा या नहीं। अब इस स्थिति में क्या आप अभी भी नैतिक रूप से बाध्य हैं? आपका जवाब अभी भी 'हां' होगा। अब मूल परिदृश्य में एक और बदलाव पर विचार करते हैं। मान लीजिए तालाब एक पार्क के पास है तथा आप अपने कार्य-स्थल पर मोटर साइकिल से जाते हैं। आपको पता है कि पार्क के आस-पास मोटर साइकिल चोरों का एक गिरोह मौजूद है और आपके पास अपनी मोटर साइकिल को लॉक (Lock) करने का समय नहीं है। आप जानते हैं कि यदि बच्चे को बचाने के लिए आप इसे ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो वह चोरी हो जायेगी। आपकी मोटर साइकिल पुरानी है, तथा यह आपके लिए अब कोई विशेष महत्त्व नहीं रखती। तो क्या अब भी आप बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य हैं? आपका उत्तर अभी भी 'हां' होगा। किन्तु अब एक और स्थिति की कल्पना करते हैं। क्या इस बात से आपको कोई फर्क पडेगा अगर बच्चा दूर किसी स्थान का हो लेकिन मौत के खतरे में है, और आपके पास समान रूप से साधन हैं कि आप उसे बचा सकें, बिना किसी बड़ी लागत और बिना खुद को नुकसान पंहुचाये। इस स्थिति में भी आप बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य होंगे।
इस स्थिति में, क्या बच्चे को बचाने का आपका नैतिक दायित्व है? अवश्य ही आपका उत्तर 'हां' होगा। अब मान लीजिए कि आपसे पूर्व अन्य लोग भी बच्चे को बचाने में सक्षम थे लेकिन उन्होंने नहीं बचाया। तो क्या अब आप भी बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य नहीं हैं? आपका उत्तर होगा कि हम इस परिस्थिति में भी बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य हैं। आइए अब  कल्पना करें कि स्थिति में कुछ अनिश्चितता है। आप जानते हैं कि यदि आप बचाव का प्रयास करते हैं, तो आपको कोई नुकसान नहीं होने वाला है, लेकिन आप यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि आपका प्रयास सफल होगा या नहीं। अब इस स्थिति में क्या आप अभी भी नैतिक रूप से बाध्य हैं? आपका जवाब अभी भी 'हां' होगा। अब मूल परिदृश्य में एक और बदलाव पर विचार करते हैं। मान लीजिए तालाब एक पार्क के पास है तथा आप अपने कार्य-स्थल पर मोटर साइकिल से जाते हैं। आपको पता है कि पार्क के आस-पास मोटर साइकिल चोरों का एक गिरोह मौजूद है और आपके पास अपनी मोटर साइकिल को लॉक (Lock) करने का समय नहीं है। आप जानते हैं कि यदि बच्चे को बचाने के लिए आप इसे ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो वह चोरी हो जायेगी। आपकी मोटर साइकिल पुरानी है, तथा यह आपके लिए अब कोई विशेष महत्त्व नहीं रखती। तो क्या अब भी आप बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य हैं? आपका उत्तर अभी भी 'हां' होगा। किन्तु अब एक और स्थिति की कल्पना करते हैं। क्या इस बात से आपको कोई फर्क पडेगा अगर बच्चा दूर किसी स्थान का हो लेकिन मौत के खतरे में है, और आपके पास समान रूप से साधन हैं कि आप उसे बचा सकें, बिना किसी बड़ी लागत और बिना खुद को नुकसान पंहुचाये। इस स्थिति में भी आप बच्चे को बचाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य होंगे। 
 
                                         
                                         
                                         
                                        