 
                                            समय - सीमा 268
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                                             2.	अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर
 अजमेर शरीफ प्रसिद्ध सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह है।  जो की राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है। यह हिंदुस्तान में प्रतिष्ठित इस्लामिक धार्मिक स्थल है। यहाँ का मुख्य द्वार निजाम गेट हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के द्वारा बनवाया गया।  यहां दिल्ली के सूफी संत हर साल दिल्ली से पैदल चल कर अजमेर आते है, जिनको कलन्दर भी कहा जाता है।
2.	अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर
 अजमेर शरीफ प्रसिद्ध सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह है।  जो की राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है। यह हिंदुस्तान में प्रतिष्ठित इस्लामिक धार्मिक स्थल है। यहाँ का मुख्य द्वार निजाम गेट हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के द्वारा बनवाया गया।  यहां दिल्ली के सूफी संत हर साल दिल्ली से पैदल चल कर अजमेर आते है, जिनको कलन्दर भी कहा जाता है।
 3.	हाजी अली दरगाह, मुंबई
महाराष्ट्र के मुंबई शहर में वरली तट के समीप स्थित है। यहाँ पर सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में एक दरगाह और मस्जिद का निर्माण किया गया।  यह दरगाह सुमद्र में एक टापू पर स्थित है।  जहां जाने के लिए एक कृतिम पूल का सहारा लेना पड़ता है। जो कि समुद्र के ऊपर बनाया गया है। किनारे से दरगाह तक पहुँचने का मार्ग रोमांच से भरा होता है। ज्वार- भाटा आने पर यह समुद्र में गायब सा हो जाता है। अपनी ऐसी ही अनेकों खासियतों की वजह से यह एक मुख्य इस्लामिक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ आकर्षक पर्यटन स्थल भी है।  इसकी संरचना सफ़ेद संगमरमर की है, जो बेहद आकर्षक प्रतीत होती है।
3.	हाजी अली दरगाह, मुंबई
महाराष्ट्र के मुंबई शहर में वरली तट के समीप स्थित है। यहाँ पर सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में एक दरगाह और मस्जिद का निर्माण किया गया।  यह दरगाह सुमद्र में एक टापू पर स्थित है।  जहां जाने के लिए एक कृतिम पूल का सहारा लेना पड़ता है। जो कि समुद्र के ऊपर बनाया गया है। किनारे से दरगाह तक पहुँचने का मार्ग रोमांच से भरा होता है। ज्वार- भाटा आने पर यह समुद्र में गायब सा हो जाता है। अपनी ऐसी ही अनेकों खासियतों की वजह से यह एक मुख्य इस्लामिक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ आकर्षक पर्यटन स्थल भी है।  इसकी संरचना सफ़ेद संगमरमर की है, जो बेहद आकर्षक प्रतीत होती है।
 4.	तुंब ऑफ़ सलीम चिश्ती, फतेहपुर सिकरी
शेख सलीम चिश्ती की समाधि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी नामक शहर में स्थित है। यह समाधी मुग़ल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। शानदार और बेहद खूबसूरत नक्काशियों से इस पवित्र इस्लामिक धार्मिक स्थल को सजाया गया है। इस कब्र का निर्माण महान मुगल शासक अकबर ने महान सूफी संत की स्मृति में करवाया था करवाया था।
4.	तुंब ऑफ़ सलीम चिश्ती, फतेहपुर सिकरी
शेख सलीम चिश्ती की समाधि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी नामक शहर में स्थित है। यह समाधी मुग़ल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। शानदार और बेहद खूबसूरत नक्काशियों से इस पवित्र इस्लामिक धार्मिक स्थल को सजाया गया है। इस कब्र का निर्माण महान मुगल शासक अकबर ने महान सूफी संत की स्मृति में करवाया था करवाया था।
 इस्लाम का अर्थ होता है अल्लाह यानी एक ईश्वर को समर्पित हो जाना।  इस्लाम पूरी दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।  जिसके विश्व भर में 1.8 बिलियन लोग यानि कुल जनसँख्या का 24.1% लोग इस्लामियत का अनुसरण करते हैं।  कुरान को इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र किताब के रूप में दर्जा हासिल है।  इस पवित्र किताब को पढ़कर कई लोग अपना जीवन परोपकार को समर्पित कर देते हैं, और जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए जीते है।  तथा इनको किसी भी सांसारिक भौतिक वस्तु और पद आदि का लोभ नहीं होता। जो लोग इस महान स्तर को हासिल कर लेते है, इस्लाम में उन्हें सूफी संत कहा जाता है। सूफी संत अल्लाह के प्रिय होते हैं। और उनकी पुण्यतिथि के दिन  उनकी समाधि स्थल और दरगाहों में उत्सव का आयोजन किया जाता है।  जिसे उर्स के नाम से जाना जाता है।
इस्लाम का अर्थ होता है अल्लाह यानी एक ईश्वर को समर्पित हो जाना।  इस्लाम पूरी दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।  जिसके विश्व भर में 1.8 बिलियन लोग यानि कुल जनसँख्या का 24.1% लोग इस्लामियत का अनुसरण करते हैं।  कुरान को इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र किताब के रूप में दर्जा हासिल है।  इस पवित्र किताब को पढ़कर कई लोग अपना जीवन परोपकार को समर्पित कर देते हैं, और जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए जीते है।  तथा इनको किसी भी सांसारिक भौतिक वस्तु और पद आदि का लोभ नहीं होता। जो लोग इस महान स्तर को हासिल कर लेते है, इस्लाम में उन्हें सूफी संत कहा जाता है। सूफी संत अल्लाह के प्रिय होते हैं। और उनकी पुण्यतिथि के दिन  उनकी समाधि स्थल और दरगाहों में उत्सव का आयोजन किया जाता है।  जिसे उर्स के नाम से जाना जाता है।
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        