शहरीकरण की दौड़ में पिछड़ते मजदूरों की मजबूरी।

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
17-04-2021 01:46 PM
शहरीकरण की दौड़ में पिछड़ते मजदूरों की मजबूरी।

सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र होने के साथ-साथ भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में से भी एक है। भारतीय अर्थव्यस्था को मजबूत करने में शहरीकरण का बहुत बड़ा योगदान रहता है। दरसल शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे किसी खास क्षेत्र को बाजार, उद्योगों तथा अन्य प्रकार की सुविधाओं के आधार पर विकसित किया जाता है। यह क्षेत्र ग्रामीण तथा नौकरी की तलाश कर रहे युवकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जो की सभी प्रकार की सुविधाओं के बीच रहना पसंद करते हैं। ये लोग नौकरी, स्वास्थ्य, परिवहन, उपलब्धता और कई अन्य प्रकार की सुख सुविधाओं की तलाश में दूरदराज के गांवों से शहरों में आते हैं। इनमे से कुछ हमेशा के लिए, तथा कुछ एक अनिश्चित समय के लिए इन शहरों का रुख करते है। इसलिए प्रवासी मजदूर किसी भी क्षेत्र के शहरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूँकि ये स्वयं नौकरी की तलाश में शहर आते हैं,परन्तु किसी रूप में ये नए आने वाले प्रवासियों के लिए रोजगार का एक नया अवसर होते हैं। क्यों कि प्रवासी मजदूर भी कई मायनों में एक ग्राहक होते हैं तथा उन्हें रहने के लिए आवास की आवश्यकता पड़ती है। और इस तरह बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ ये बढ़ते शहरीकरण के लिए भी ज़िम्मेदार होते हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में शहरीकरण की वृद्धि दर 31.16% थी और यह भी जाना गया कि भारत दुनिया के शेर्ष तेज़ी से शहरीकृत होते देशो में दसवें नंबर पर हैं। एक अनुमान के अनुसार 2011 और 2030 के मध्य में पूरी दुनिया की आबादी में 1.4 बिलियन जनसँख्या और जुड़ जाएगी। जिसमे से 276 मिलियन चीन तथा 218 मिलियन भारत के नागरिक होंगे। इसी के साथ पूरे विश्व के शहरीकरण में भारत का योगदान 15% प्रतिशत से अधिक का होगा।
संविधान का अनुच्छेद 19, नागरिकों को स्वतंत्र रूप से प्रवास करने और देश में कहीं भी रोजगार पाने का मौलिक अधिकार देता है। प्रवासी श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के उपाय भी धीमी गति से चल रहे हैं। कुछ राज्य, अपने स्वयं के निवासियों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। मार्च 2021 में, हरियाणा सरकार ने राज्य के निवासियों के लिए 75% निजी नौकरियों को आरक्षित करने के लिए एक कानून भी पारित किया। सरकारों को कुछ ऐसी योजनाओं पर अधिक काम करने की आवश्यकता है जो की घरेलू स्तर पर ही प्रवासी श्रमिकों के रोजगार की समस्या को सुलझा सकें।
हाल ही में पूरे विश्व समेत भारत ने भी कोविड-19 के भयंकर प्रकोप को झेला है। यह इतना भयंकर था की बेहद बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां चली गयी। दिहाड़ी मजदूरों को रहने और भोजन जैसी मूलभूत जरूरतों से भी वंचित रहना पड़ा। वर्तमान में ऐसी हालत है की जो प्रवासी शहरीकरण के स्तम्भ थे, आज वे अपने घरों को खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं। इसलिए सरकार और संस्थाओं को प्रवासी मजदूरों की तरफ ध्यान देने की खास आवश्यकता है स्थिति को सामान्य करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जा सकते हैं।
● सभी प्रवासी श्रमिकों के साथ-साथ अनौपचारिक श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए।
● नियोक्ता को उनके द्वारा की प्रदान जाने वाली कार्य स्थितियों के लिए जवाबदेही होनी चाहिए।
● श्रम कानूनों को सख्त नहीं होना चाहिए,बल्कि सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, और प्रवासी श्रमिकों के लिए न्याय व्यवस्था को सुलभ बनाना चाहिए।
● नीतिगत सुधारों को राज्य और केंद्रीय विभागों में लाभकारी उपायों को लागू करने के लिए मानव संसाधन सहित पर्याप्त संसाधनों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
● शहरी गरीबों की सहायता के लिए शहरी रोजगार योजनाओं में प्रवासी श्रमिकों को भी शामिल किया जा सकता है।
● प्रवासी महिलाओं और बच्चों जैसी संवेदनाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
● प्रवासी मजदूरों को लॉक डाउन के हालातों में भोजन और आवास प्रदान करने के सुनियोजित उपाय करने चाहिए।

सन्दर्भ:
● https://bit.ly/3fYCBO4
● https://bit.ly/32526Fa
● https://bit.ly/3d66wCd
● https://bit.ly/3wKXnGT

चित्र सन्दर्भ:
1.वापस जाने के लिए कतार में इंतजार करते प्रवासी कर्मचारी
2.प्रवासी श्रमिक डेल्ही में कतार में इकट्ठा