 
                                            समय - सीमा 268
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                                            दुनिया भर में कई बार ऐसी विषम समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जब कोई आम आदमी चाहकर भी अपनी मदद नहीं कर सकता। युद्ध क्षेत्र, शरणार्थी, प्राकर्तिक आपदाएं और हाल ही में फैली वैश्विक महामारी कोरोना इसका जिवंत उदाहरण है। देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है, लोगो के सामने भुखमरी, स्वास्थ, और बेरोज़गारी जैसी विकट समस्याएं हैं। परन्तु वायरस के भय से कोई भी घर से बाहर नहीं निकल रहा है। ऐसे ही बेबस हालातों की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार जरूरमंदों तथा पीड़ितों की मदद की भावना साथ मानवीय सहायता(Humanitarian aid) प्रदान की जाती। मानवीय सहायता को आपात स्थितियों के दौरान और उसके बाद होने वाले नुकसान से बचाने लिए बनाया गया है।  इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में कठिनाइयों से राहत दिलाना है। मानवीय सहायता स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदायों में पहुंचाई जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मानवीय मामलों में अंतर्राष्ट्रीय समुदायों तक मदद पहुँचाने की जिम्मेदारी  (OCHA) कार्यालय लेता है।  यह कार्यालय विभिन्न देशों के लिए सदस्यों का चुनाव करता है, जिनके सदस्य जरूरत पड़ने पर आपातकालीन राहत प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होते। सभी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए,तथा यह तय करने के लिए की किस स्थिति में कितनी मदद की आवश्यकता है, संयुक्त राष्ट्र (UN) के मानवीय मामलों के कार्यालय ( UN Office for the coordination of Humanitarian Affairs OCHA) ने कुछ निश्चित मानवीय सिद्धांत निर्धारित किये गए हैं, जो निम्नलिखित है।
 हम सभी देख रहे हैं कि, किस प्रकार से कोरोना महामारी व्यापक नुकसान कर रही है। खास तौर पर भारत में इसकी दूसरी लहर ने हाहाकार मचाया हुआ है। मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है, किसी तरह जगह का जुगाड़ करने पर भी मरीज पर्याप्त ऑक्सीज़न की कमी से दम तोड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई देशों और बड़ी कंपनियों ने भारत की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।
हम सभी देख रहे हैं कि, किस प्रकार से कोरोना महामारी व्यापक नुकसान कर रही है। खास तौर पर भारत में इसकी दूसरी लहर ने हाहाकार मचाया हुआ है। मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है, किसी तरह जगह का जुगाड़ करने पर भी मरीज पर्याप्त ऑक्सीज़न की कमी से दम तोड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई देशों और बड़ी कंपनियों ने भारत की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने भारत की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अपने अधिकारीयों को निर्देश दिए ,की, वह भारत की कोविड-19 के मद्देनज़र हर संभव मदद भेजें। और यह भी आश्वाशन दिया है, की वाशिंगटन, नई  दिल्ली के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। बाइडेन प्रशासन ने भारत में जरूरतमंद मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई, इलाज संबंधित उपकरणों , पीपीई किट और फ्रंटलाइन (Frontline) पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की मदद, परीक्षण और वैक्सीन के निर्माण तथा आपूर्ति, एवं  सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए 100 मिलियन अमेरिकी ड़ॉलर देने की पेशकश की है। हाल ही में एक और अमेरिकी जहाज ऑक्सीजन सिलेंडर, एन 95 मास्क (N-95 Mask) और फिल्टर सहित अन्य स्वास्थ्य उपकरणों सहित नई दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा। 
इसी कड़ी में सिंगापुर (Singapore) ने भी शनिवार को भारत की मदद के लिए  तीन क्रायोजेनिक तरल ऑक्सीजन(cryogenic liquid oxygen) टैंक भेजे। जानी मानी वैश्विक भुगतान कंपनी मास्टरकार्ड (Mastercard ) ने भारत जो की कोरोना की दूसरी घातक लहर का सामना कर रहा, में 2,000 पोर्टेबल बेड (Portable Beds) की व्यवस्था करने के लिए न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संस्था, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन(American India Foundation) को 8.9 मिलियन डॉलर का दान दिया है।, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं और अस्पताल के बिस्तर की तलाश कर रहे लोगों की दलीलों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भर चुके हैं। ऐसे में दूसरे देशों तथा विभिन्न संगठनों से मिलने वाली सहायता आघात में संजीवनी बूटी का काम कर रही है, तथा महामारी से प्रताड़ित लोगों को जीवन प्रदान कर रही हैं।
ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं और अस्पताल के बिस्तर की तलाश कर रहे लोगों की दलीलों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भर चुके हैं। ऐसे में दूसरे देशों तथा विभिन्न संगठनों से मिलने वाली सहायता आघात में संजीवनी बूटी का काम कर रही है, तथा महामारी से प्रताड़ित लोगों को जीवन प्रदान कर रही हैं।
 
                                         
                                         
                                         
                                        