 
                                            समय - सीमा 268
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                                            बिल्ली एक ऐसा जानवर है,जिसे अधिकांश लोग पालतू जानवर के रूप में रखना पसंद करते हैं।
यह केवल आधुनिक समय की बात नहीं है,जब बिल्ली को पालतू रूप से पाला जाता है। बिल्ली
का उपयोग प्राचीन समय से ही विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। पालतू बिल्ली
मिस्र (Egypt) के सबसे पवित्र जानवरों में से एक मानी जाती है। प्राचीन मिस्र के लोग सांपों को
नियंत्रित करने की बिल्ली की क्षमता की पूजा करते थे और उन्हें शिष्टता और अनुग्रह का
प्रतीक भी बना दिया गया था।मिस्रवासियों का मानना था कि बिल्लियाँ रहस्यमय जानवर थीं,
जो उन्हें रखने वाले व्यक्तियों के लिए सौभाग्य लाने की क्षमता रखती थीं। इन क़ीमती पालतू
जानवरों का महिमामंडन करने के लिए या उनके महत्व को दर्शाने के लिए धनी परिवारों ने उन्हें
गहनों से सजाया और उन्हें शाही रुप देने के लिए उसी प्रकार का भोजन भी खिलाया। यहां तक
कि, जब बिल्ली के बच्चे मर गए,तो उन्हें ममीकृत भी किया गया। तो चलिए आज विभिन्न
संस्कृतियों में बिल्लियों के महत्व को जानने का प्रयास करते हैं।
पौराणिक कथाओं और पूरे इतिहास में बिल्ली को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। बिल्ली
परिवार के सदस्य ऑस्ट्रेलिया (Australia), मेडागास्कर (Madagascar) और कुछ अलग द्वीपों
को छोड़कर दुनिया के अधिकांश हिस्सों के मूल निवासी हैं।जबकि घरेलू बिल्ली की सटीक उत्पत्ति
को अभी स्पष्ट नहीं किया जा सका है, लेकिन यह माना जाता है, कि बिल्ली एक अद्वितीय
सामाजिक-परिस्थिति में तब से मौजूद है,जबसे मनुष्य ने कृषि आधारित जीवन शैली को
अपनाया है।घरेलू बिल्ली का पूर्वज अफ्रीकी (African)जंगली बिल्ली को माना जाता है,जिन्हें
प्राचीन मिस्रियों द्वारा पालतू बनाया गया और सम्मानित किया गया। मिस्रवासी काली बिल्लियों
को भाग्यशाली मानते थे और मिस्र के चिकित्सकों द्वारा उनकी सेवाओं का विज्ञापन करने के
लिए काली बिल्लियों का प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। प्राचीन मिस्रवासियों ने
बिल्लियों के निर्यात पर रोक लगा दी थी और इस समाज में बिल्ली को मारना अपराध माना
जाता था,जिसके लिए मौत की सजा दी जाती थी।
 मिस्रवासी काली बिल्लियों
को भाग्यशाली मानते थे और मिस्र के चिकित्सकों द्वारा उनकी सेवाओं का विज्ञापन करने के
लिए काली बिल्लियों का प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। प्राचीन मिस्रवासियों ने
बिल्लियों के निर्यात पर रोक लगा दी थी और इस समाज में बिल्ली को मारना अपराध माना
जाता था,जिसके लिए मौत की सजा दी जाती थी।
हजारों बिल्लियों ने चूहे की महामारी को खत्म करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी,
जिसने यूरोप(Europe)को त्रस्त किया था।पुराने चर्चों (Church) के दरवाजों पर शेर (जो बिल्ली
के परिवार से सम्बंधित है) के रूपांकनों को खोजना असामान्य नहीं था।यूरोप में मध्य युग के
बाद से, बिल्लियों को जादू टोना और बुतपरस्ती से जोड़ा गया। उन्हें विशेष शक्तियों, दूसरी
दृष्टि और जादुई क्षमता का भी श्रेय दिया जाता है। जब पुरुष प्रधान ईसाई धर्म रोमन साम्राज्य
में राज्य धर्म बन गया, तो मिस्र में मादा बिल्ली देवी, बास्टेट (Bastet) की पूजा गैरकानूनी कर
दी गई।जब ईसाई धर्म प्रमुख विश्वास प्रणाली बन गया, तो बिल्लियों के साथ संदर्भ और
भागीदारी, मौलिक रूप से कम हो गई।बाइबल में केवल एक बिल्ली प्रजाति का उल्लेख किया
गया है, और वो है शेर। प्रारंभिक ईसाइयों का मानना था कि शेर अपनी आँखें खोलकर
सोता था और हमेशा सतर्क रहता था।इस्लाम धर्म में बिल्ली को एक अच्छा प्राणी माना जाता
है, तथा यह विश्वास किया जाता है, कि उसे अल्लाह ने इंसानों की मदद के लिए भेजा है। जापान (Japan)में, बिल्ली को एक सकारात्मक जानवर के रूप में देखा जाता है और अभी भी
उच्च सम्मान में रखा जाता है।यहां बिल्लियाँ शांति और परिवर्तन का प्रतीक हैं।  जापानी सैनिकों
के बीच बिल्लियाँ बहुत लोकप्रिय थीं, क्योंकि वे मानते थे कि बिल्लियां समुद्र में रहने वाली बुरी
आत्माओं को पीछे हटा सकती हैं। कई जापानी भाग्य के लिए अपने घरों में "फॉर्च्यून कैट्स"
(Fortune Cats) की छोटी-छोटी मूर्तियां भी रखते हैं। जापान में विकसित "हैलो किट्टी" (Hello
Kitty) ब्रांड पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। सेल्टिक (Celtic) ईसाई परंपरा में, बिल्लियों को अक्सर
दुष्ट प्राणी के रूप में चित्रित किया जाता है। ईसाई धर्म से पहले नॉर्स (Norse) की पौराणिक
कथाओं में देवी फ्रेया (Freya's) के रथ को दो सफेद बिल्लियों द्वारा खींचे जाने के रूप में
चित्रित किया गया था। यह किंवदंती थी कि अगर किसान देवी की बिल्लियों के लिए दूध की
एक तश्तरी छोड़ देते हैं, तो वह उनकी मिट्टी उपजाऊ बनाएगी और उनकी फसलों को भरपूर
रखेगी। लेकिन ईसाई धर्म में रूपांतरण के बाद, फ्रेया को एक चुड़ैल के रूप में दिखाया गया तथा
उनकी बिल्लियाँ काले घोड़े बन गईं जो शैतान के पास थीं। संभवतः यहीं से काली बिल्लियों के
अशुभ होने के बारे में जो मिथक मौजूद है,उसकी उत्पत्ति हुई होगी।
 
जापान (Japan)में, बिल्ली को एक सकारात्मक जानवर के रूप में देखा जाता है और अभी भी
उच्च सम्मान में रखा जाता है।यहां बिल्लियाँ शांति और परिवर्तन का प्रतीक हैं।  जापानी सैनिकों
के बीच बिल्लियाँ बहुत लोकप्रिय थीं, क्योंकि वे मानते थे कि बिल्लियां समुद्र में रहने वाली बुरी
आत्माओं को पीछे हटा सकती हैं। कई जापानी भाग्य के लिए अपने घरों में "फॉर्च्यून कैट्स"
(Fortune Cats) की छोटी-छोटी मूर्तियां भी रखते हैं। जापान में विकसित "हैलो किट्टी" (Hello
Kitty) ब्रांड पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। सेल्टिक (Celtic) ईसाई परंपरा में, बिल्लियों को अक्सर
दुष्ट प्राणी के रूप में चित्रित किया जाता है। ईसाई धर्म से पहले नॉर्स (Norse) की पौराणिक
कथाओं में देवी फ्रेया (Freya's) के रथ को दो सफेद बिल्लियों द्वारा खींचे जाने के रूप में
चित्रित किया गया था। यह किंवदंती थी कि अगर किसान देवी की बिल्लियों के लिए दूध की
एक तश्तरी छोड़ देते हैं, तो वह उनकी मिट्टी उपजाऊ बनाएगी और उनकी फसलों को भरपूर
रखेगी। लेकिन ईसाई धर्म में रूपांतरण के बाद, फ्रेया को एक चुड़ैल के रूप में दिखाया गया तथा
उनकी बिल्लियाँ काले घोड़े बन गईं जो शैतान के पास थीं। संभवतः यहीं से काली बिल्लियों के
अशुभ होने के बारे में जो मिथक मौजूद है,उसकी उत्पत्ति हुई होगी।
इसी प्रकार पारंपरिक अफ्रीकियों ने हमेशा बिल्लियों को पाला है, क्योंकि उनका मानना है कि
उनके पास चूहों, और सांपों से लोगों की रक्षा करने की शक्ति है। कुछ का मानना है कि अगर
एक बिल्ली, टोकोलोशे (tokoloshe - एक शरारती और दुष्ट आत्मा) को देखती है तो वह
चिल्लाएगी और उसे दूर भगा देगी। यह भी माना जाता है, कि अगर किसी स्थान पर एक
बिल्ली अपना चेहरा धुल दे तो वहां कोई भी दुष्ट आत्मा नहीं जाएगी।हालांकि अभी भी कई
अफ्रीकी बिल्ली को संदेह और डर की दृष्टि से देखते हैं, क्यों कि उनका मानना है कि वे
ज्यादातर जादू टोना के साथ जुड़ी हुई हैं। चीनी लोग बिल्लियों को एक मादा जानवर के रूप में देखते हैं, जो बुराई, आकार बदलने और
रात के समय से जुड़ी हुई है।काली बिल्ली यहां बीमारी या दुर्भाग्य का प्रतीक है।दुनिया के कई
हिस्सों में बिल्लियाँ आज भी सबसे अधिक दुर्व्यवहार और बदनाम प्रजाति बनी हुई हैं। इस
धारणा की उत्पत्ति का पता यहूदी-ईसाई धर्म से लगाया जा सकता है, जो बिल्लियों को राक्षसी
और दुष्ट के रूप में देखना अभी भी जारी रखते हैं। एक तेजी से उभरता हुआ "पर्यावरण विच-
हंट" (Witch-Hunt) बिल्लियों पर छेड़ा जा रहा है। जिसके पीछे यह धारणा है कि वे पक्षियों की
कुछ प्रजातियों और अन्य प्रकार के वन्यजीवों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार हैं।
चीनी लोग बिल्लियों को एक मादा जानवर के रूप में देखते हैं, जो बुराई, आकार बदलने और
रात के समय से जुड़ी हुई है।काली बिल्ली यहां बीमारी या दुर्भाग्य का प्रतीक है।दुनिया के कई
हिस्सों में बिल्लियाँ आज भी सबसे अधिक दुर्व्यवहार और बदनाम प्रजाति बनी हुई हैं। इस
धारणा की उत्पत्ति का पता यहूदी-ईसाई धर्म से लगाया जा सकता है, जो बिल्लियों को राक्षसी
और दुष्ट के रूप में देखना अभी भी जारी रखते हैं। एक तेजी से उभरता हुआ "पर्यावरण विच-
हंट" (Witch-Hunt) बिल्लियों पर छेड़ा जा रहा है। जिसके पीछे यह धारणा है कि वे पक्षियों की
कुछ प्रजातियों और अन्य प्रकार के वन्यजीवों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार हैं। हिन्दू धर्म में बिल्लियों के महत्व की बात करें तो हिंदू पौराणिक कथाओं में बिल्लियों को
प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है और जन्म की देवी षष्ठी बिल्ली या बाघ की सवारी करती
हैं।माना जाता है कि षष्ठी देवी जिनकी पूजा मुख्य रूप से उत्तर भारत में की जाती है,संतान को
दीर्घायु प्रदान करती हैं। बच्चों की रक्षा करना उनका स्वाभाविक गुण है।माना जाता है, कि जो
माता षष्ठी के वाहन बिल्ली को दूध देता है,उसकी खतरनाक बीमारी समाप्त हो जाती है तथा
जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
हिन्दू धर्म में बिल्लियों के महत्व की बात करें तो हिंदू पौराणिक कथाओं में बिल्लियों को
प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है और जन्म की देवी षष्ठी बिल्ली या बाघ की सवारी करती
हैं।माना जाता है कि षष्ठी देवी जिनकी पूजा मुख्य रूप से उत्तर भारत में की जाती है,संतान को
दीर्घायु प्रदान करती हैं। बच्चों की रक्षा करना उनका स्वाभाविक गुण है।माना जाता है, कि जो
माता षष्ठी के वाहन बिल्ली को दूध देता है,उसकी खतरनाक बीमारी समाप्त हो जाती है तथा
जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3DZPRvw
https://bit.ly/2WXrQnL
https://bit.ly/3BXUJzA
चित्र संदर्भ
1. मिस्त्र में बिल्ली की पूजा का एक चित्रण (flickr)
2. प्रतीकात्मक रूप से सजाई गई मिस्त्र की बिल्ली का एक चित्रण (wikipedia)
3. जॉन फ्रेडरिक लुईस (John Frederick Lewis) के द्वारा, काहिरा में एक इमाम के बगल में तकिये पर आराम करती बिल्ली का एक चित्रण (wikimedia)
4. अपने शिकार को दबोच कर ले जाती ऑस्ट्रेलियन बिल्ली का एक चित्रण (wikipedia)
4. कोलकाता के बागबाजार के पास एक मंदिर में देवी षष्ठी के मंदिर का एक चित्रण (wikimedia)
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        