ऐसी अनेकों मानव निर्मित आपदाएं हैं, जो दुनिया को आज भी अचंभे में डाल देती हैं। कुछ इसी तरह की आपदा या दुर्घटना 25-26 अप्रैल 1986 को भी हुई थी, जिसे इतिहास की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटना माना जाता है। यह परमाणु दुर्घटना उत्तरी यूक्रेन (Ukraine) में मौजूद परमाणु ऊर्जा संयंत्र के एक रिएक्टर में विस्फोट होने के फलस्वरूप हुई थी। इस दुर्घटना को शुरूआत में बहुत गोपनीय रखा गया था, तथा यह शीत युद्ध और परमाणु शक्ति के इतिहास दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। 30 से अधिक वर्षों के बाद, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है, कि पूर्व संयंत्र के आसपास का क्षेत्र लगभग 20,000 वर्षों तक रहने योग्य नहीं होगा। यह आपदा पूर्व सोवियत संघ समाजवादी गणराज्य (Union of Soviet Socialist Republics - USSR) के चर्नोबिल (Chernobyl) शहर के पास हुई। सोवियत संघ समाजवादी गणराज्य ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद परमाणु ऊर्जा में भारी निवेश किया था। चर्नोबिल दुर्घटना के गंभीर विकिरण प्रभावों ने घटना के बाद के पहले चार महीनों में साइट में मौजूद 600 कर्मचारियों में से 28 को मार डाला जबकि अन्य 106 श्रमिक तीव्र विकिरण से सम्बंधित रोगों का शिकार हुए। गैर-रेडियोलॉजिकल (Radiological) कारणों से रिएक्टर विस्फोट के कुछ घंटों के भीतर ही दो श्रमिकों की मौत हो गई थी। 1986 और 1987 में अन्य 200,000 सफाई कर्मचारी 1 और 100 रेम (rem) के बीच के विकिरण से प्रभावित हुए। चर्नोबिल को साफ करने के लिए लगभग 600,000 श्रमिकों की आवश्यकता थी, हालांकि इन श्रमिकों का केवल एक छोटा सा हिस्सा उच्च स्तर के विकिरण के संपर्क में था। तो चलिए आज इन दो वीडियो के माध्यम से इस भयावह घटना के साक्ष्यों पर एक नजर डालें।