 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
 
                                            भारत में हर साल कैंसर के लाखों मामले सामने आते हैं।औसतन 1,300 से भी अधिक भारतीय
इस बीमारी का प्रतिदिन शिकार होते हैं।कैंसर देश में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से
एक बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार,भारत में
पुरुषों में फेफड़े, मुंह, होंठ, गले और गर्दन के कैंसर सबसे आम हैं,जबकि महिलाओं में गर्भाशय
ग्रीवा, स्तन और डिम्बग्रंथि या ओवरिएन (Ovarian) कैंसर के मामले अधिक सामने आते हैं।
बुजुर्ग वर्ग की बात करें तो उनमें सबसे अधिक होने वाला कैंसर गुर्दे, आंत और प्रोस्टेट ग्रंथि से
सम्बंधित हैं।
शरीर के विभिन्न अंगों के कैंसर भिन्न-भिन्न कारणों से होते हैं तथा भारत में लगभग33
प्रतिशत कैंसर के मामले तंबाकू के उपयोग के कारण,लगभग 20 प्रतिशत मामले अत्यधिक
वजन के कारण,लगभग 16 प्रतिशत मामले कई कैंसर पैदा करने वाले रोगजनकों के कारण,
लगभग 5 प्रतिशत मामले अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के कारण,लगभग5 प्रतिशत मामले
खान-पान की खराब आदतों के कारण तथा लगभग 2 प्रतिशत मामले परा-बैंगनी किरणों के
सम्पर्क में आने के कारण होते हैं। कैंसर पर आधारित2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य उन राज्यों में से एक है,
जो कैंसर से अत्यधिक प्रभावित थे।2016 में पूरे देश में कैंसर के 39 लाख मामले थे, जिनमें से
6.7 लाख मामले उत्तर प्रदेश से थे। भारत पर कैंसर का जो बोझ है, उसमें उत्तर प्रदेश की
भागीदारी 44 प्रतिशत की है।कैंसर का इलाज करना बहुत कठिन है, क्यों कि इलाज के दौरान
विभिन्न प्रकार की चुनौतियां सामने आती हैं। कैंसर को अक्सर केवल एक बीमारी के रूप में
देखा जाता है, किंतु वास्तव में यह रोगों का एक समूह है। किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में
उसकी कैंसर कोशिकाओं पर कीटनाशक,वायरल संक्रमण, धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ
आदि का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है, इसलिए पहले ही इन प्रभावों को ज्ञात कर पाना बहुत
मुश्किल है। कैंसर का कारण बनने वाले ट्यूमर में एक से अधिक प्रकार की कैंसर कोशिकाएं
होती हैं। जबकि ट्यूमर में एक प्रकार की कोशिका उपचार के प्रति प्रतिक्रिया कर सकती है, वहीं
अन्य प्रकार की कोशिकाएँ बिना किसी नुकसान के जीवित रह सकती हैं और उनमें वृद्धि हो
सकती है। कैंसर कोशिकाएं समय के साथ बदलती भी हैं। दूसरे शब्दों में यदि कोई दवा कैंसर
कोशिकाओं पर शुरू में अच्छा काम करती हैं, तो हो सकता है कि बाद में कैंसर कोशिकाओं के
उत्परिवर्तित होने या आनुवंशिक रूप से बदलने के कारण कैंसर कोशिकाएं प्रतिरोधी हो जाएं और
जीवित रहें।
हालांकि, कैंसर के रोकथाम में प्रगति धीमी है, लेकिन फिर भी इस पर नियंत्रण पाने की दिशा
में अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं।उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कैंसर मामलों को कम करने के
लिए तथा रोगियों को तमाम सुविधाएं पहुंचाने के लिए सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट
(Super Specialty Cancer Institute - SSCI) में ओपीडी सेवा शुरू की है। सुपर
स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में रोगियों के इलाज के लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं तथा यहां
कैंसर के इलाज के लिए बेहतर प्रयास भी किए जा रहे हैं।यूं तो हमारे देश में कैंसर के इलाज के
लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन तब भी कई लोग उपचार के लिए विदेश जाने का
विकल्प चुनते हैं। इसके अनेकों कारण हो सकते हैं। जैसे कि कई लोगों का मानना है, कि जो
इलाज या सेवाएं विदेश में उपलब्ध हैं, वे यहां मौजूद नहीं। वहीं अन्य लोगों का मानना है, कि
भारत में दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से के समान ही कैंसर का उपचार प्रदान किया जाता है।
दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ कैंसर केंद्रों में जो सुविधा दी जाती है, वह सुविधा यहां भी मौजूद है।
भारत और विदेशों में होने वाले कैंसर उपचार की तुलना करें तो, विदेशों में कैंसर का इलाज
अपेक्षाकृत महंगा है। विदेश में कैंसर के इलाज की लागत यहां की लागत से लगभग दस गुना
अधिक होती है। विदेशों में रोगी को वह सहयोग या सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है,जो अपने
देश में होती है। यह मनोवैज्ञानिक रूप से भी रोगी को प्रभावित करता है।आजकल, विदेशों में
पेश की जाने वाली नई दवाएं भारत में भी आसानी से उपलब्ध हैं।
कैंसर पर आधारित2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य उन राज्यों में से एक है,
जो कैंसर से अत्यधिक प्रभावित थे।2016 में पूरे देश में कैंसर के 39 लाख मामले थे, जिनमें से
6.7 लाख मामले उत्तर प्रदेश से थे। भारत पर कैंसर का जो बोझ है, उसमें उत्तर प्रदेश की
भागीदारी 44 प्रतिशत की है।कैंसर का इलाज करना बहुत कठिन है, क्यों कि इलाज के दौरान
विभिन्न प्रकार की चुनौतियां सामने आती हैं। कैंसर को अक्सर केवल एक बीमारी के रूप में
देखा जाता है, किंतु वास्तव में यह रोगों का एक समूह है। किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में
उसकी कैंसर कोशिकाओं पर कीटनाशक,वायरल संक्रमण, धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ
आदि का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है, इसलिए पहले ही इन प्रभावों को ज्ञात कर पाना बहुत
मुश्किल है। कैंसर का कारण बनने वाले ट्यूमर में एक से अधिक प्रकार की कैंसर कोशिकाएं
होती हैं। जबकि ट्यूमर में एक प्रकार की कोशिका उपचार के प्रति प्रतिक्रिया कर सकती है, वहीं
अन्य प्रकार की कोशिकाएँ बिना किसी नुकसान के जीवित रह सकती हैं और उनमें वृद्धि हो
सकती है। कैंसर कोशिकाएं समय के साथ बदलती भी हैं। दूसरे शब्दों में यदि कोई दवा कैंसर
कोशिकाओं पर शुरू में अच्छा काम करती हैं, तो हो सकता है कि बाद में कैंसर कोशिकाओं के
उत्परिवर्तित होने या आनुवंशिक रूप से बदलने के कारण कैंसर कोशिकाएं प्रतिरोधी हो जाएं और
जीवित रहें।
हालांकि, कैंसर के रोकथाम में प्रगति धीमी है, लेकिन फिर भी इस पर नियंत्रण पाने की दिशा
में अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं।उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कैंसर मामलों को कम करने के
लिए तथा रोगियों को तमाम सुविधाएं पहुंचाने के लिए सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट
(Super Specialty Cancer Institute - SSCI) में ओपीडी सेवा शुरू की है। सुपर
स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में रोगियों के इलाज के लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं तथा यहां
कैंसर के इलाज के लिए बेहतर प्रयास भी किए जा रहे हैं।यूं तो हमारे देश में कैंसर के इलाज के
लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन तब भी कई लोग उपचार के लिए विदेश जाने का
विकल्प चुनते हैं। इसके अनेकों कारण हो सकते हैं। जैसे कि कई लोगों का मानना है, कि जो
इलाज या सेवाएं विदेश में उपलब्ध हैं, वे यहां मौजूद नहीं। वहीं अन्य लोगों का मानना है, कि
भारत में दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से के समान ही कैंसर का उपचार प्रदान किया जाता है।
दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ कैंसर केंद्रों में जो सुविधा दी जाती है, वह सुविधा यहां भी मौजूद है।
भारत और विदेशों में होने वाले कैंसर उपचार की तुलना करें तो, विदेशों में कैंसर का इलाज
अपेक्षाकृत महंगा है। विदेश में कैंसर के इलाज की लागत यहां की लागत से लगभग दस गुना
अधिक होती है। विदेशों में रोगी को वह सहयोग या सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है,जो अपने
देश में होती है। यह मनोवैज्ञानिक रूप से भी रोगी को प्रभावित करता है।आजकल, विदेशों में
पेश की जाने वाली नई दवाएं भारत में भी आसानी से उपलब्ध हैं। भारत और विदेश में कैंसर के इलाज में मुख्य अंतर डॉक्टर-मरीज के अनुपात का है, जो हमारे
देश में अच्छा नहीं है। भारत में कैंसर के रोगियों की संख्या बहुत अधिक है, किंतु
ऑन्कोलॉजिस्ट की संख्या पर्याप्त नहीं है। इसके विपरीत विदेशों में डॉक्टर ज्यादा हैं, जबकि
मरीज कम। विदेशों में इलाज कराने का एक लाभ यह है, कि सुहावने मौसम और कम प्रदूषण
के कारण यहां रोगी के ठीक होने की दर तेज होती है।यूं तो कैंसर के उपचार के लिए नए-नए
तरीके विकसित हुए हैं, लेकिन एक नई सफलता जो इस क्षेत्र में प्राप्त हुई है, वह कैंसर का
प्रभावी इलाज हो सकती है। एक नए शोध के द्वारा संभावित उपचार की पहचान की गयी है जो
शरीर के भीतर कैंसर कोशिकाओं को खोजने और उन्हें नष्ट करने के लिए मानव प्रतिरक्षा
प्रणाली की क्षमता में सुधार कर सकता है। एक रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं का
पता लगाने और उन्हें हटाने में सक्षम है और इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) हाल ही में कई
अलग-अलग प्रकार के कैंसर के लिए एक मुख्य चिकित्सा के रूप में उभरी है।प्रतिरक्षा प्रणाली
द्वारा कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने और उन्हें हटाने का कार्य आंशिक रूप सेटेफेक्टर
(Teffector cells-Teffs) नामक कोशिकाओं के एक समूह द्वारा किया जाता है।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी ने मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित किया है तथा यह
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती बन गया है। सभी कार्य क्षेत्रों के कामकाज को
बाधित करने के साथ-साथ इसने स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कार्यों में भी बाधा उत्पन्न की
है। दुनिया भर में महामारी ने कैंसर देखभाल को काफी हद तक प्रभावित किया है तथा साथ ही
भारत में ऑन्कोलॉजी (Oncology) सेवाओं के वितरण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। कैंसर
जैसे रोगों का उपचार निदान के विभिन्न चरणों पर निर्भर करता है, और यदि इसमें कोई भी
व्यवधान उत्पन्न होता है तो उससे रोगी का उपचार और उत्तरजीविताभी प्रभावित होती है। लैंसेट
ऑन्कोलॉजी (Lancet Oncology) अध्ययन के मुताबिक भारत में सालाना 1.3 मिलियन कैंसर
के मामले सामने आते हैं,तथा कुल मौतों का प्रतिशत लगभग आठ है। यदि महामारी के कारण
निदान और उपचार में देरी होती है, तो अगले पांच से 10 वर्षों में ये मामले और भी अधिक बढ़
सकते हैं। विभिन्न अस्पतालों में कोरोना से प्रभावित लोगों की भारी संख्या, लॉकडाउन और
अन्य प्रतिबंध, अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्रों में वित्तीय असुरक्षा, रोजगार नुकसान आदि
ऐसे कारक हैं, जिन्होंने कैंसर रोगियों की देखभाल को प्रभावित किया है।इस दौरान लगभग
70% लोगों को जीवन रक्षक सर्जरियों और उपचार तक पहुंच प्राप्त नहीं हो पायी। यहां तक कि
प्रमुख भारतीय शहरों में निजी क्लीनिकों ने भी कैंसर उपचार के लिए आने वाले मरीजों की
संख्या में लगभग 50% की कमी दर्ज की।
भारत और विदेश में कैंसर के इलाज में मुख्य अंतर डॉक्टर-मरीज के अनुपात का है, जो हमारे
देश में अच्छा नहीं है। भारत में कैंसर के रोगियों की संख्या बहुत अधिक है, किंतु
ऑन्कोलॉजिस्ट की संख्या पर्याप्त नहीं है। इसके विपरीत विदेशों में डॉक्टर ज्यादा हैं, जबकि
मरीज कम। विदेशों में इलाज कराने का एक लाभ यह है, कि सुहावने मौसम और कम प्रदूषण
के कारण यहां रोगी के ठीक होने की दर तेज होती है।यूं तो कैंसर के उपचार के लिए नए-नए
तरीके विकसित हुए हैं, लेकिन एक नई सफलता जो इस क्षेत्र में प्राप्त हुई है, वह कैंसर का
प्रभावी इलाज हो सकती है। एक नए शोध के द्वारा संभावित उपचार की पहचान की गयी है जो
शरीर के भीतर कैंसर कोशिकाओं को खोजने और उन्हें नष्ट करने के लिए मानव प्रतिरक्षा
प्रणाली की क्षमता में सुधार कर सकता है। एक रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं का
पता लगाने और उन्हें हटाने में सक्षम है और इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) हाल ही में कई
अलग-अलग प्रकार के कैंसर के लिए एक मुख्य चिकित्सा के रूप में उभरी है।प्रतिरक्षा प्रणाली
द्वारा कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने और उन्हें हटाने का कार्य आंशिक रूप सेटेफेक्टर
(Teffector cells-Teffs) नामक कोशिकाओं के एक समूह द्वारा किया जाता है।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी ने मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित किया है तथा यह
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती बन गया है। सभी कार्य क्षेत्रों के कामकाज को
बाधित करने के साथ-साथ इसने स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कार्यों में भी बाधा उत्पन्न की
है। दुनिया भर में महामारी ने कैंसर देखभाल को काफी हद तक प्रभावित किया है तथा साथ ही
भारत में ऑन्कोलॉजी (Oncology) सेवाओं के वितरण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। कैंसर
जैसे रोगों का उपचार निदान के विभिन्न चरणों पर निर्भर करता है, और यदि इसमें कोई भी
व्यवधान उत्पन्न होता है तो उससे रोगी का उपचार और उत्तरजीविताभी प्रभावित होती है। लैंसेट
ऑन्कोलॉजी (Lancet Oncology) अध्ययन के मुताबिक भारत में सालाना 1.3 मिलियन कैंसर
के मामले सामने आते हैं,तथा कुल मौतों का प्रतिशत लगभग आठ है। यदि महामारी के कारण
निदान और उपचार में देरी होती है, तो अगले पांच से 10 वर्षों में ये मामले और भी अधिक बढ़
सकते हैं। विभिन्न अस्पतालों में कोरोना से प्रभावित लोगों की भारी संख्या, लॉकडाउन और
अन्य प्रतिबंध, अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्रों में वित्तीय असुरक्षा, रोजगार नुकसान आदि
ऐसे कारक हैं, जिन्होंने कैंसर रोगियों की देखभाल को प्रभावित किया है।इस दौरान लगभग
70% लोगों को जीवन रक्षक सर्जरियों और उपचार तक पहुंच प्राप्त नहीं हो पायी। यहां तक कि
प्रमुख भारतीय शहरों में निजी क्लीनिकों ने भी कैंसर उपचार के लिए आने वाले मरीजों की
संख्या में लगभग 50% की कमी दर्ज की। कोरोना महामारी के कारण अत्यधिक प्रभावित होने
वाला एक क्षेत्र कैंसर अनुसंधान भी है। इस दौरान भारत में कैंसर फंडिंग में अनुमानित कमी5%
से लेकर 100% तक थी, क्यों कि कई फंडिंग एजेंसियों ने फंडिंग के लिए मना कर दिया था।
इसी प्रकार निजी/धर्मार्थ क्षेत्र की अनुमानित निधि में भी 60% से अधिक की कमी आई है।
कोरोना महामारी के कारण अत्यधिक प्रभावित होने
वाला एक क्षेत्र कैंसर अनुसंधान भी है। इस दौरान भारत में कैंसर फंडिंग में अनुमानित कमी5%
से लेकर 100% तक थी, क्यों कि कई फंडिंग एजेंसियों ने फंडिंग के लिए मना कर दिया था।
इसी प्रकार निजी/धर्मार्थ क्षेत्र की अनुमानित निधि में भी 60% से अधिक की कमी आई है।
जब भी कैंसर की बात आती है,तो यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रारंभिक उपचार ही कैंसर
का सबसे अच्छा इलाज है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि आप अपने शरीर की कार्यिकी में
कोई बड़े बदलाव देखते हैं,तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए तथा पुष्टि होने के तुरंत
बाद इलाज शुरू कर देना चाहिए।
संदर्भ:
https://bit.ly/2XwVn7W
https://bit.ly/3nLT109
https://bit.ly/3zpLfLu
https://bit.ly/3ArJ9wa
https://bit.ly/3Eyn8Ou
https://bit.ly/3zpfpyD
https://bit.ly/39r5BcI
चित्र संदर्भ
1. दिमाग के कैंसर की जाँच करते वैज्ञानिकों का एक चित्रण (time)
2. थायराइड कैंसर का एक चित्रण (flickr)
3. मुँह के कैंसर का चित्रण (thebloggingdoctor)
4. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी का एक चित्रण (ualbert)
 
                                         
                                         
                                         
                                        