 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
| Post Viewership from Post Date to 02- Dec-2021 (5th Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2435 | 121 | 0 | 2556 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
 
                                            यदि आप प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिरों का बारीकी की अवलोकन करें, तो पाएंगे भले ही यह
देखेने पर यह साधारण प्रतीत होते हैं, किंतु जिस स्थान पर यह स्थापित होते हैं, वह निश्चित रूप से
अलौकिक और अद्भुद स्थान होता है। संभवतः शिवलिंग की महिमा ही ऐसी होती है, जो उस स्थान
को रहस्यमई और आलौकिक बना देती है। देश का हर प्राचीन शिव मदिर निश्चित रूप से किसी न
किसी मायने में अद्भुद होता है, और और ऐसी ही बेहद रहस्यमय गाथाओं को हमारे शहर जौनपुर
का त्रिलोचन शिव मंदिर भी समेटे हुए है।
जौनपुर जिला वाराणसी जिले के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। गोमती नदी के तट पर बसा
जौनपुर का सुरम्य शहर अपने चमेली के तेल, मूली, तंबाकू के पत्तों और इमरती, एक मिठाई के
लिए प्रसिद्ध है।  जौनपुर में बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षण स्थल और खूबसूरत स्मारक हैं। यहाँ के आकर्षक पर्यटक स्थलों और स्मारकों में जामी मस्जिद, शीतला देवी का मंदिर, लाल दरवाजा
मस्जिद, खलीस मुखलिस मस्जिद, शीतला चौकिया धाम, कदम रसूल, मिहार देवी का मंदिर,
झांझारी मस्जिद, सदर इमामबाड़ा, पंजे शरीफ, अटाला मस्जिद, शामिल हैं। और हमारे ऐतिहासिक
शहर जौनपुर से महज 40 किलोमीटर दूर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन त्रिलोचन महादेव
मंदिर भी स्थापित है।
जौनपुर त्रिलोचन महादेव मंदिर तक उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ से भी पहुंचा जा
सकता है, जो 214 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर हिंदुओं की पूजा का एक प्राचीन स्थान रहा है।
हालांकि इसके इतिहास के संदर्भ में यह स्पष्ट नहीं है की इस स्थान का नाम त्रिलोचन क्यों पड़ा है,
किन्तु यहां के पुजारियों के अनुसार भगवान शिव ने भस्मासुर को इसी स्थान पर भस्म किया था।
यहां पर भगवान शिव केवल लिंग रूप में नहीं अपितु उस पर पूरा चेहरा, आंख, मुंह, नाक आदि बना
हुआ है, जो उत्तर दिशा की और झुका हुआ है। इसके पीछे की कहानी भी बेहद रोचक है। माना जाता
है की किसी जमाने में रेहटी और लहंगपुर समीपवर्ती दो गांवों के लोगों में शिव मंदिर की सरहद को
लेकर विवाद हुआ था। किंतु जब पंचायतों से फैसला नहीं हुआ तो दोनों गांव के लोगों ने मंदिर का
मुख्य गेट बंद कर दिया। कई वर्षों बाद जिसे खोलने पर उन्होंने पाया की शिवलिंग स्पष्ट रूप से
उत्तर दिशा में रेहटी गांव की तरफ स्पष्ट रूप से झुका हुआ था।
जौनपुर में बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षण स्थल और खूबसूरत स्मारक हैं। यहाँ के आकर्षक पर्यटक स्थलों और स्मारकों में जामी मस्जिद, शीतला देवी का मंदिर, लाल दरवाजा
मस्जिद, खलीस मुखलिस मस्जिद, शीतला चौकिया धाम, कदम रसूल, मिहार देवी का मंदिर,
झांझारी मस्जिद, सदर इमामबाड़ा, पंजे शरीफ, अटाला मस्जिद, शामिल हैं। और हमारे ऐतिहासिक
शहर जौनपुर से महज 40 किलोमीटर दूर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन त्रिलोचन महादेव
मंदिर भी स्थापित है।
जौनपुर त्रिलोचन महादेव मंदिर तक उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ से भी पहुंचा जा
सकता है, जो 214 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर हिंदुओं की पूजा का एक प्राचीन स्थान रहा है।
हालांकि इसके इतिहास के संदर्भ में यह स्पष्ट नहीं है की इस स्थान का नाम त्रिलोचन क्यों पड़ा है,
किन्तु यहां के पुजारियों के अनुसार भगवान शिव ने भस्मासुर को इसी स्थान पर भस्म किया था।
यहां पर भगवान शिव केवल लिंग रूप में नहीं अपितु उस पर पूरा चेहरा, आंख, मुंह, नाक आदि बना
हुआ है, जो उत्तर दिशा की और झुका हुआ है। इसके पीछे की कहानी भी बेहद रोचक है। माना जाता
है की किसी जमाने में रेहटी और लहंगपुर समीपवर्ती दो गांवों के लोगों में शिव मंदिर की सरहद को
लेकर विवाद हुआ था। किंतु जब पंचायतों से फैसला नहीं हुआ तो दोनों गांव के लोगों ने मंदिर का
मुख्य गेट बंद कर दिया। कई वर्षों बाद जिसे खोलने पर उन्होंने पाया की शिवलिंग स्पष्ट रूप से
उत्तर दिशा में रेहटी गांव की तरफ स्पष्ट रूप से झुका हुआ था।
शिव मंदिर पौराणिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, जहां महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हजारों की
संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इस मंदिर परिसर का प्रत्येक स्थानआश्चर्जनक रूप से रहस्य्मयी है। यहां के महंतों के अनुसार इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में
मिलता है। मान्यता है की यहां शिवलिंग स्वयंभू है अर्थात उसे कहीं ले लाकर स्थापित नहीं किया
गया था, अपितु वह स्वयं भूमि अर्थात पाताल से प्रकट हुआ। इस मंदिर के सामने पूरब दिशा में
हमेशा जलमग्न रहने वाला रहस्यमय ऐतिहासिक कुंड भी है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान
करने से बुखार और चर्म रोगियों को लाभ मिलता है। स्वयं भगवान् शकर को इस मंदिर का रक्षक
माना जाता है। एक किवदंती के अनुसार किसी समय में यहां के शिवलिंग पर लगे शिवलिंग को
एक व्यक्ति ने चुरा लिया, जिसके बाद वह विक्षिप्त अर्थात भ्रमित हो गया, की उसके पीछे कोई सर्प
लगा हुआ है। पूरी कहानी जानकर उसके घर वालों ने मंदिर प्रबंध तंत्र को उससे अधिक वजनी चांदी
के सर्प को बनवाकर दिया तब जाकर वह व्यक्ति स्वस्थ हो पाया।
बाहर से देखने पर त्रिलोचन महादेव मंदिर बेहद भव्य और विशाल प्रतीत होता है। किन्तु दुर्भाग्य से
वर्ष 2019 में मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरने से मंदिर के ऊपर बना गुंबद टूट गया। हलांकि
भविष्य में इसमें सुधार कर लिया गया।
आमतौर पर त्रिलोचन शिव मंदिर सहित देश के अन्य कई धार्मिक स्थलों में भी श्रद्धालुओं की
भारी भीड़ रहती थी, किंतु 2020 से विश्व में फैली महामारी ने धार्मिक स्थलों पर एकत्र होने वाली
भीड़ पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। लोगों के सामने धर्म और जीवन में से किसी एक को चुनने
की विडंबना खड़ी हो गई है।  कोरोना महामारी के विस्तार के साथ ही लोगों को और अधिक आवक
निर्णायक के रूप में पूजा के स्थानों को लेकर उनके विश्वास और तौर तरीकों को बदलने के सुझाव
दिए जा रहे हैं। मार्च के बाद से भारत भर में त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाना रद्द कर दिया
गया है। गुड़ी पड़वा जुलूस महाराष्ट्र में रद्द कर दिया गया। बैंगलोर की करगा त्योहार 150 साल
में पहली बार के लिए बंद कर दिया गया। अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा सुबह और शाम की पूजा के
"आभासी दर्शन" ("virtual philosophy") की घोषणा की है। महामारी की इस स्थिति से निपटने
के लिए अपने अनुष्ठानों को प्रसारित धार्मिक संस्थायें आभासी वास्तविकता प्लेटफॉर्म (virtual
reality platform) का सहारा ले रहे हैं। अब भविष्य में आस्था का यह सफर कैसा रहेगा यह
देखना बेहद दिलचस्प रहेगा।
कोरोना महामारी के विस्तार के साथ ही लोगों को और अधिक आवक
निर्णायक के रूप में पूजा के स्थानों को लेकर उनके विश्वास और तौर तरीकों को बदलने के सुझाव
दिए जा रहे हैं। मार्च के बाद से भारत भर में त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाना रद्द कर दिया
गया है। गुड़ी पड़वा जुलूस महाराष्ट्र में रद्द कर दिया गया। बैंगलोर की करगा त्योहार 150 साल
में पहली बार के लिए बंद कर दिया गया। अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा सुबह और शाम की पूजा के
"आभासी दर्शन" ("virtual philosophy") की घोषणा की है। महामारी की इस स्थिति से निपटने
के लिए अपने अनुष्ठानों को प्रसारित धार्मिक संस्थायें आभासी वास्तविकता प्लेटफॉर्म (virtual
reality platform) का सहारा ले रहे हैं। अब भविष्य में आस्था का यह सफर कैसा रहेगा यह
देखना बेहद दिलचस्प रहेगा।
संदर्भ
https://bit.ly/3vKlHsp
https://bit.ly/3BfZALD
https://bit.ly/2ZkpdO0
https://bit.ly/3mdtUlE
https://bit.ly/3EiBEJy
चित्र संदर्भ
1. बाहर से देखने पर त्रिलोचन मंदिर का एक चित्रण (google)
2. त्रिलोचन मंदिर में भक्तों की भीड़ को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. त्रिलोचन मंदिर में स्थापित शिवलिंग का एक चित्रण (youtube)
4. कोरोना महामारी के कारण बिना श्रद्धालुओं के सिद्धि विनायक मंदिर का एक चित्रण (rediff)
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        