दिवाली की संध्या पर लक्ष्मी पूजा का है विशेष महत्व

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
03-11-2021 08:59 PM
Post Viewership from Post Date to 02- Dec-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2208 121 0 2329
* Please see metrics definition on bottom of this page.
दिवाली की संध्या पर लक्ष्मी पूजा का है विशेष महत्व

दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के लंबे वनवास से लौटे थे।उनके अयोध्या वापस लौटने की खुशी में अयोध्या निवासी इतने प्रसन्न थे कि उन्होंने वातावरण को रोशन करने के लिए दीये जलाए।ऐसा कहा जाता है कि वह रात अमावस्या की रात थी तथा अयोध्या की मिट्टी से बने हुए लैम्पों और दीयों ने अंधेरे आकाश को इस प्रकार रोशन किया, मानो दिन का समय हो।
भले ही दिवाली से सम्बंधित किवदंतियां या बातें मुख्य रूप से भगवान राम से जुड़ी हुई हैं,लेकिन दिवाली की संध्या में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का एक विशेष महत्व माना जाता है।तो आइए दिवाली के इस मौके पर जानते हैं, कि क्यों इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है,भगवान राम की नहीं। इसका मुख्य कारण यह है, कि दिवाली का त्योहार धन की देवी लक्ष्मी जी के आह्वान पर आधारित होता है।दिवाली की रात घरों में देवी लक्ष्मी (जिन्हें समृद्धि की देवी माना जाता है) की प्रार्थना की जाती है और क्योंकि दिवाली हिंदू नववर्ष को भी चिह्नित करती है, इसलिए यह भारत के अधिकांश व्यापारिक समुदाय के लिए नए वित्तीय वर्ष का भी प्रतीक है। नतीजतन मुख्य रूप से दिवाली समृद्धि और धन का एक रूप है, इस दिन को नई संपत्ति लेने और नए निवेश करने और यहां तक कि खरीददारी करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार,एक बार एक गरीब ब्राह्मण को एक पुजारी ने धन प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी।वर्तमान समय में हम कलियुग में रहते हैं,जिसमें रजो गुण अधिक प्रभावशाली होता है तथा लोग किसी भी चीज से अधिक धन और समृद्धि की कामना करते हैं। क्यों कि हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी माना गया है, इसलिए इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एक किंवदंती यह भी है कि दीवाली वर्ष की तिमाही के दौरान आती है जब देवी लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु सो रहे होते हैं।विष्णु आषाढ़ के 11 वें चंद्र दिन (यानी शायनी एकादशी) से कार्तिक के 11 वें चंद्र दिन (यानी प्रबोधिनी एकादशी) तक सोते हैं।दिवाली भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर जैसे कई राक्षसों की मृत्यु का प्रतीक भी है। चूंकि बुराई पर अच्छाई की जीत होने से समृद्धि आती है, इसलिए दिवाली की शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है, कि यदि भक्त भगवान विष्णु से सीधे प्रार्थना करते हैं तो देवी लक्ष्मी अपने आप ही प्रसन्न हो जाती हैं।हालांकि,शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सीधे उनकी ही पूजा करनी चाहिए। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।हिंदू पौराणिक कथाओं की एक कहानी में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी ने माता पार्वती से गणेश को गोद लिया था,क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी। गणेश के प्रति अपने प्रेम के कारण, देवी लक्ष्मी ने घोषणा की, कि उनकी सारी विलासिता,समृद्धि और उपलब्धियां भी गणेश की ही हैं। उन्होंने घोषणा की, कि तीनों लोकों में जो कोई भी उनके साथ गणेश की पूजा नहीं करेगा, उसके जीवन में कभी भी समृद्धि नहीं आएगी।एक अन्य विश्वास के अनुसार गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा एक साथ इसलिए की जाती है,क्यों कि देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं, तथा भगवान गणेश बुद्धि के देवता। बुद्धि के सही उपयोग से प्रत्येक चीज हासिल की जा सकती है, इसलिए दोनों के बीच संतुलन बनाने के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह भारत में एक ऐसा समय है,जब लोग सबसे अधिक शॉपिंग (Shopping) करते हैं।उपभोक्ता खरीद और आर्थिक गतिविधि के मामले में यह क्रिसमस की अवधि के बराबर है। यह परंपरागत रूप से एक ऐसा समय है जब परिवार नए कपड़े, घर की मरम्मत, उपहार, सोना, आभूषण, और अन्य बड़ी खरीददारी करते हैं।दिवाली उन प्रमुख त्योहारों में से एक है जहां ग्रामीण भारतीय अपनी वार्षिक आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खर्च करते हैं,और यह उनके लिए अपने रिश्तों और सामाजिक नेटवर्क को नवीनीकृत करने का एक साधन है। चूंकि भारत के लोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं, इसलिए यह त्योहार मनाने के उनके अलग-अलग तरीके हैं।नेपाल (Nepal) में, इस त्योहार को तिहार के नाम से जाना जाता है,तथा भारत की ही तरह प्रत्येक घर को रंगीन रोशनी से सजाया जाता है।संयुक्त राज्य अमेरिका (America) में घरों को उनके भारतीय समकक्षों की तरह ही मिट्टी के दीयों से सजाया जाता है।जगमगाती इलेक्ट्रॉनिक लाइटों का शानदार प्रदर्शन इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है।संयुक्त राज्य अमेरिका में लोग यह सुनिश्चित करते हैं कि शाम के समय तक,वे पास के सामुदायिक हॉल में इकट्ठा हों जाएं जहाँ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।ऑस्ट्रेलिया (Australia) में अनुमानित रूप से 100,000 भारतीयों की आबादी है,जिनमें से अधिकांश हिंदू हैं। देश में दिवाली के दिन बड़े पैमाने पर मेले, आनंदोत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम में आतिशबाजी का प्रदर्शन,व्यंजनों की पेशकश करने वाले खाद्य स्टाल,संगीत प्रदर्शन और रावण का पुतला दहन भी शामिल होता है। इसी प्रकार का भव्य नजारा मलेशिया (Malaysia),इंडोनेशिया (Indonesia),त्रिनिदाद (Trinidad),सिंगापुर (Singapore),फ़िजी (Fiji) आदि में भी देखने को मिलता है। पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोनोवायरस से सावधानियों के मद्देनजर इस पर्व को मनाया जाएगा। कई स्थानों पर पटाखों की बिक्री और अत्यधिक भीड़ पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।पूरे भारत में पटाखों के उपयोग पर अलग-अलग डिग्री पर प्रतिबंध लगाया गया है,क्योंकि वायु प्रदूषण में वृद्धि से कोरोना रोगियों और अन्य लोगों के लिए समान रूप से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3bDV5QF
https://bit.ly/3mDmAjq
https://bit.ly/3q2njwD
https://bit.ly/3EDfBx3
https://bit.ly/3we2O1o

चित्र संदर्भ
1. लक्ष्मी पूजन के अवसर पर भव्य सजाएँ गए मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2  बंगाल में देवी लक्ष्मी की मृदा प्रतिमा के निकट रेक अनाज, सोना, चांदी, कपास और कौड़ी के गोले को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दिवाली के दौरान किये जाने वाले लक्ष्मी-गणेश पूजन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लक्ष्मी पूजन के अवसर पर घर को सजाया जाता है, और रंगोली का निर्माण किया जाता है जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)