विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य, विषय और भारत में स्वास्थ्य स्थिति

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
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विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य, विषय और भारत में स्वास्थ्य स्थिति

बेहतर स्वास्थ्य मानव जीवन का असली खजाना होता है और इसकी कीमत के बारे में वो व्यक्ति बेहतर बता सकता है, जो लंबे समय से बीमार है, अथवा किसी असाध्य रोग से ग्रस्त है। किंतु तरक्की पसंद इंसान संभवतः बेहतर स्वास्थ की अहमियत को समझने में अभी भी भूल कर रहा है, और इसे कम आंक रहा है! अतः इस संदर्भ में जागरूकता फ़ैलाने के लिए प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है और दुनिया भर के लोगों का ध्यान विशिष्ट स्वास्थ्य विषय पर आकर्षित करता है। यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस है। साल 1948 में, WHO द्वारा पहली विश्व स्वास्थ्य सभा आयोजित की गई, जिस दौरान सभा ने प्रत्येक वर्ष के 7 अप्रैल को 1950 से विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य से संबंधित इस विशेष दिन पर अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय कार्यक्रमों का आयोजन करता है। विश्व स्वास्थ्य दिवस को सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों में रुचि रखने वाली विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मान्यता दी जाती है तथा वैश्विक स्वास्थ्य परिषद जैसे मीडिया रिपोर्टों में गतिविधियों का आयोजन और उनके समर्थन को उजागर किया जाता हैं। महामारी, प्रदूषण, कैंसर, अस्थमा, हृदय रोग जैसी बढ़ती बीमारियों के बीच, विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 के अवसर पर डब्ल्यूएचओ मानव और ग्रह को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक तत्काल कार्यों पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करेगा और इसे बेहतर बनाने का प्रयास करेगा। इस सन्दर्भ में WHO ने, 2022 के स्वास्थ्य दिवस के मुख्य विषय (Theme) के रूप में "हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य (Our Planet, Our Health)" को चुना है!
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि, दुनिया भर में हर साल 13 मिलियन से अधिक मौतें परिहार्य पर्यावरणीय कारणों से होती हैं। इसमें जलवायु भी संकट शामिल है, जो मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा बनकर उभरा है। वास्तव में जलवायु संकट भी एक स्वास्थ्य संकट ही है। विश्व स्तर पर, वायु प्रदूषण सबसे बड़े और घातक हथियारे के रूप में उभरा है। भारत में वायु प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे अधिक है, जो देश के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है। भारत के लगभग 1.4 बिलियन लोग विभिन्न स्रोतों से निकलने वाले सबसे हानिकारक प्रदूषक - परिवेशी पीएम (PM 2.5) के अस्वास्थ्यकर स्तरों के संपर्क में हैं। पीएम 2.5 के संपर्क में आने से फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और हृदय रोग जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। 2019 में परिवेश और इनडोर वायु प्रदूषण (indoor air pollution) के कारण भारत में 1.7 मिलियन लोगों की अकाल मृत्यु होने का अनुमान है! साथ ही यह हमारी अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। वर्ष 2017 में पीएम 2.5 प्रदूषण से घातक बीमारी के कारण श्रम आय का लगभग 30-78 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 0.3-0.9 प्रतिशत के बराबर था। पीएम 2.5 विभिन्न स्रोतों से आता है, इसके सबसे आम स्रोतों में से कुछ में जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला या तेल और बायोमास जैसे लकड़ी का कोयला, या फसल अवशेष जलाने से उत्सर्जन आदि शामिल है।
भारत इस समस्या से निपटने के लिए कई अहम कदम भी उठा रहा है। भारत सरकार अपने परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों में संशोधन करने का प्रयास कर रही है। हमने हाल के वर्षों में वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन मानकों को मजबूत किया है। अक्षय ऊर्जा के विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और लाखों घरों में रसोई गैस ईंधन की आपूर्ति करना आदि, द्वारा वायु प्रदूषण से निपटने के लिए किए जा रहे कार्यों के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
आज भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है, और अगले चालीस वर्षों में चीन की आबादी को भी पछाड़ने की भविष्यवाणी की गई है। जीवन प्रत्याशा में वृद्धि और वर्षों से मृत्यु दर में धीरे-धीरे कमी ने जनसंख्या वृद्धि में अहम् योगदान दिया है। चूंकि बढ़ती जनसख्या का स्वास्थ खर्च भी अधिक होगा, इसलिए 2014 से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में तेज़ी से वृद्धि हुई है, और वर्ष 2018 में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर अनुमानित 1.6 ट्रिलियन भारतीय रुपये खर्च किए गए हैं।
वर्ष 2017 तक, भारत के स्वास्थ्य बाजार का मूल्यांकन लगभग 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2022 तक इसके 370 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में निजी स्वास्थ्य सेवा का बहुत बड़ा प्रभाव है। निजी स्वास्थ्य अनेक पहलुओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य से अधिक बड़ा है, जिसमें अस्पतालों, अस्पताल के बिस्तरों और डॉक्टरों की संख्या शामिल है। जिसे देखते हुए वर्ष 2015 में सरकार ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की एक प्रणाली का प्रस्ताव रखा। लाखों भारतीयों को अपनी जेब से स्वास्थ्य खर्च को प्रेरित करने के लिए, सरकार ने सितंबर 2018 में प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) शुरू की, जिसका उद्देश्य अनुमानित कम से कम 40 प्रतिशत आबादी को मुफ्त में माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है। बिगड़ती परिवेशी वायु गुणवत्ता की समस्या को स्वीकार करने और हल करने के संदर्भ में भारत सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) एक शक्तिशाली कदम माना जा रहा है। एनसीएपी ने देश भर में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किया है। एनसीएपी शहरों को विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों पर मार्गदर्शन के साथ, वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने के लिए एक समग्र ढांचा प्रदान करता है।

संदर्भ
https://bit.ly/38qK2fb
https://bit.ly/3Kj3WXx
https://bit.ly/3DP7Fd5
https://bit.ly/3JiZxm2

चित्र संदर्भ
1. विश्व स्वास्थ दिवस को दर्शाता एक चित्रण (focusonmore.com)
2. WHO के झंडे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. वायु प्रदूषण-कारण प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) को दर्शाता एक चित्रण (twitter)