समय - सीमा 268
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| Post Viewership from Post Date to 19- Jul-2022 (30th Day) | ||||
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| 3439 | 15 | 0 | 3454 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
वर्तमान समय में युवा पीढ़ी अपना अधिकतम समय सामाजिक मीडिया में व्यतीत करते हैं, जिस
कारण विश्व भर की खबरों की जानकारी वे अखबारों या पत्रिकाओं को पढ़कर नहीं, बल्कि टिकटॉक
(TikTok) जैसे मंच के माध्यम से समाचारों की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। इस मंगलवार को जारी
एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार, बड़ी संख्या में लोग कोरोनोवायरस (Coronavirus) महामारी, रूस
(Russia) के यूक्रेन (Ukraine) पर आक्रमण और जीवन-यापन संकट जैसी महत्वपूर्ण समाचारों से
बच रहे हैं।
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म (Reuters Institute for the Study of
Journalism) ने अपनी वार्षिक डिजिटल न्यूज रिपोर्ट (Digital News Report) में कहा कि सर्वेक्षण
में शामिल अधिकांश लोग नियमित रूप से समाचार का उपभोग करते हैं, 38% ने कहा कि वे
अक्सर या कभी-कभी समाचार पढ़ने से बचते हैं, जो 2017 में 29% से बढ़ चुका है।  वहीं लगभग
36%, विशेष रूप से 35 वर्ष से कम आयु के लोगों का कहना है कि समाचार उनके स्वभाव को
खराब करते हैं। साथ ही लोगों का अब समाचारों से विश्वास भी कम होता जा रहा है, उदाहरण के
लिए संयुक्त राज्य में बहुत कम लोग अब समाचारों में विश्वास रखते हैं। औसतन, 42% लोगों
द्वारा बताया गया है कि वे कई बार कुछ समाचारों पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन रिपोर्ट में अब यह
आँकड़े भी लगभग आधे देशों में गिर गए हैं और लगभग सात देशों में बढ़ गए हैं। रिपोर्ट में बताया
गया कि हर हफ्ते 18 से 24 साल के 78 फीसदी बच्चे एग्रीगेटर्स (Aggregators), सर्च इंजन
(Search engines) और सामाजिक मीडिया के जरिए समाचार को देखते हैं। वहीं इस आयु वर्ग के
चालीस प्रतिशत लोग हर हफ्ते टिकटॉक का उपयोग करते हैं, जिनमें से 15% लोगों का कहना है कि
वे इसका उपयोग समाचार खोजने, चर्चा करने या उसे साझा करने के लिए करते हैं।
वहीं लगभग
36%, विशेष रूप से 35 वर्ष से कम आयु के लोगों का कहना है कि समाचार उनके स्वभाव को
खराब करते हैं। साथ ही लोगों का अब समाचारों से विश्वास भी कम होता जा रहा है, उदाहरण के
लिए संयुक्त राज्य में बहुत कम लोग अब समाचारों में विश्वास रखते हैं। औसतन, 42% लोगों
द्वारा बताया गया है कि वे कई बार कुछ समाचारों पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन रिपोर्ट में अब यह
आँकड़े भी लगभग आधे देशों में गिर गए हैं और लगभग सात देशों में बढ़ गए हैं। रिपोर्ट में बताया
गया कि हर हफ्ते 18 से 24 साल के 78 फीसदी बच्चे एग्रीगेटर्स (Aggregators), सर्च इंजन
(Search engines) और सामाजिक मीडिया के जरिए समाचार को देखते हैं। वहीं इस आयु वर्ग के
चालीस प्रतिशत लोग हर हफ्ते टिकटॉक का उपयोग करते हैं, जिनमें से 15% लोगों का कहना है कि
वे इसका उपयोग समाचार खोजने, चर्चा करने या उसे साझा करने के लिए करते हैं।
एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म (Asian College of Journalism) के सहयोग से तैयार किए गए
भारतीय खंड में, रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत एक मजबूत मोबाइल-केंद्रित बाजार है", जिसमें
बताया गया कि सर्वेक्षण के 72% उत्तरदाताओं ने स्मार्टफोन (Smartphones) के माध्यम से और
35% ने कंप्यूटर (Computers) के माध्यम से समाचारों तक पहुंच प्राप्त करते हैं।साथ ही, 84%
भारतीय उत्तरदाताओं ने ऑनलाइन (Online) समाचार, 63% सामाजिक मीडिया, 59% टेलीविज़न
(Television) और 49% प्रिंट (Print) से समाचार को देखते हैं। यूट्यूब (YouTube (53%)) और
व्हाट्सएप (WhatsApp(51%)) समाचार प्राप्त करने के लिए शीर्ष सामाजिक मीडिया मंच हैं।जबकि
लीगेसी प्रिंट ब्रांड और सार्वजनिक प्रसारकों के प्रति भारतीय उत्तरदाताओं का विश्वास उच्च स्तर में
बना रहा, केवल अल्पसंख्यक 36% और 35% ने महसूस किया कि मीडिया क्रमशः अनुचित
राजनीतिक प्रभाव और अनुचित व्यावसायिक प्रभाव से मुक्त था। भारत में यह विवरण युवा अंग्रेजी
बोलने वालों के लिए अधिक प्रतिनिधिक है, राष्ट्रीय जनसंख्या के रूप में नहीं।
यूट्यूब (YouTube (53%)) और
व्हाट्सएप (WhatsApp(51%)) समाचार प्राप्त करने के लिए शीर्ष सामाजिक मीडिया मंच हैं।जबकि
लीगेसी प्रिंट ब्रांड और सार्वजनिक प्रसारकों के प्रति भारतीय उत्तरदाताओं का विश्वास उच्च स्तर में
बना रहा, केवल अल्पसंख्यक 36% और 35% ने महसूस किया कि मीडिया क्रमशः अनुचित
राजनीतिक प्रभाव और अनुचित व्यावसायिक प्रभाव से मुक्त था। भारत में यह विवरण युवा अंग्रेजी
बोलने वालों के लिए अधिक प्रतिनिधिक है, राष्ट्रीय जनसंख्या के रूप में नहीं।
अब प्रश्न यह उभरता है कि पत्रकारिता पर से भरोसा क्यों गिर रहा है? रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में
से एक यह था कि विश्वास में गिरावट उन लोगों की बढ़ती संख्या के साथ आई जो अब नियमित
रूप से समाचार पढ़ने से सक्रिय रूप से परहेज कर रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम (United kingdom) में
लगभग 46% लोगों का कहना है कि वे कभी-कभी या अक्सर समाचार पढ़ने से बचते हैं, जो 2017
में दर्ज किए गएस्तर से लगभग दोगुना है।इसने यूनाइटेड किंगडम की 'समाचार परिहार' दरों को
विश्लेषण किए गए 46 देशों में दर्ज किए गए औसत 38% के स्तर से कहीं ऊपर और ब्राजील
(Brazil) के बाद दूसरे स्थान पर रखा, जहां यह आंकड़ा 54% था।रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि
18-24 वर्षीय जनरेशन Z (Generation Z) के सदस्यों (40%) की तुलना में 25-34 आयु वर्ग के
अधिक सहस्राब्दी नियमित रूप से समाचार (42%) पढ़ने से बचते हैं। दुनिया भर में 43% लोगों सक्रिय रूप से खबरों से परहेज करने का सबसे आम कारक यह बताया
गया कि पत्रकारों द्वारा राजनीति और कोविड (Covid) जैसी खबरों को अधिक महत्व दिया गया था।
इसके बाद दावा किया गया कि समाचार लोगों के स्वभाव (36%) पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा
था, कि लोग समाचारों(29%) की मात्रा से जीर्ण हो चुके थे, कि समाचार उद्योग अविश्वसनीय और
पक्षपाती था (29%), कि समाचार उन तर्कों का कारण बनता है जिनसे लोग बचना चाहते थे (17%)
और लोग प्राप्त की जाने वाली खबरों(16%) को महत्वपूर्ण नहीं मानते थे।बड़ी संख्या में लोग मीडिया
को अनुचित राजनीतिक प्रभाव के अधीन देखते हैं, और केवल एक छोटे से अल्पमत लोगों का मानना
है कि कुछ समाचार संगठन अपने स्वयं के व्यावसायिक हित के आगे समाज को पहले रखते हैं
और वास्तविक खबरों को हमारे तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश करते हैं।
दुनिया भर में 43% लोगों सक्रिय रूप से खबरों से परहेज करने का सबसे आम कारक यह बताया
गया कि पत्रकारों द्वारा राजनीति और कोविड (Covid) जैसी खबरों को अधिक महत्व दिया गया था।
इसके बाद दावा किया गया कि समाचार लोगों के स्वभाव (36%) पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा
था, कि लोग समाचारों(29%) की मात्रा से जीर्ण हो चुके थे, कि समाचार उद्योग अविश्वसनीय और
पक्षपाती था (29%), कि समाचार उन तर्कों का कारण बनता है जिनसे लोग बचना चाहते थे (17%)
और लोग प्राप्त की जाने वाली खबरों(16%) को महत्वपूर्ण नहीं मानते थे।बड़ी संख्या में लोग मीडिया
को अनुचित राजनीतिक प्रभाव के अधीन देखते हैं, और केवल एक छोटे से अल्पमत लोगों का मानना
है कि कुछ समाचार संगठन अपने स्वयं के व्यावसायिक हित के आगे समाज को पहले रखते हैं
और वास्तविक खबरों को हमारे तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश करते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3bbvNfJ
https://bit.ly/3xC467h
https://bit.ly/39xmDcW
चित्र संदर्भ
1. अख़बारों के समूह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. अख़बार पढ़ते भारतीय को दर्शाता एक चित्रण (pixabay)
3. मोबाइल चलाती भारतीय युवतियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अख़बार पड़ते युवक को दर्शाता चित्रण (pixabay)
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        