 
                                            समय - सीमा 268
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                                            योग की क्षमता से परिचित, पूरी दुनिया आज भारत को योग केंद्र या योग राजधानी के रूप में देखती है!
भारत में योग की जड़ें लगभग 5000 वर्ष पुरानी मानी जाती हैं, लेकिन आज इसने पश्चिम में बहुत अधिक
लोकप्रियता हासिल कर ली है। योग ने कई पश्चिमी देशों में भारत को एक विशिष्ट पहचान दिलाई है, और
इसी सप्ताह की शुरुआत में (21 जून 2022) को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी, बड़े ही हर्षोल्लास
के साथ मनाया गया! चलिए गर्व के इस अवसर पर जानते हैं की, पश्चिमी दुनियां को योग से किसने
परिचित करवाया था?
पिछले डेढ़ सौ वर्षों के दौरान, योग को वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान हासिल हुई है। स्वामी
विवेकानंद द्वारा दिए गए राज योग को, योग का वैश्वीकरण करने में पहला महत्वपूर्ण योगदान माना
जाता है। विवेकानंद के बाद, योगानंद, श्री अरबिंदो जैसे कई भारतीय आचार्यों ने, योग के ज्ञान को विदेशी
तटों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृष्णमाचार्य, देसिकाचार्य, स्वामी शिवानंद और बीकेएस
अयंगर (BKS Iyengar) जैसे हठ योगियों ने प्रामाणिक योग प्रथाओं की शुरुआत की। हालाँकि, आधुनिक
समय के योग का अभ्यास अपने, स्रोत योग दर्शन से उल्लेखनीय रूप से अलग है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने, योग को शाब्दिक अर्थों में वैश्वीकृत कर दिया है। हालांकि वैश्वीकरण ने भले ही
योग के दायरे में विस्तार किया हो, लेकिन इसने अभ्यास की प्रामाणिकता और मूल दर्शन के कमजोर पड़ने
जैसे कुछ अहम् सवाल भी खड़े कर दिए हैं। भारत के प्राचीन ज्ञान को मजबूत करने में योग के वैश्वीकरण
की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने, योग को शाब्दिक अर्थों में वैश्वीकृत कर दिया है। हालांकि वैश्वीकरण ने भले ही
योग के दायरे में विस्तार किया हो, लेकिन इसने अभ्यास की प्रामाणिकता और मूल दर्शन के कमजोर पड़ने
जैसे कुछ अहम् सवाल भी खड़े कर दिए हैं। भारत के प्राचीन ज्ञान को मजबूत करने में योग के वैश्वीकरण
की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
स्वामी विवेकानंद, आध्यात्मिक समझ की गहन गहराई रखने के साथ, शानदार वक्ता भी थे, जिन्होंने पूर्व
और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने में अग्रणी
योगदान निभाया हैं। वह पतंजलि योग सूत्रों के भाष्य और अनुवाद की पेशकश करने वाले पहले भारतीय
आचार्यों में से एक माने जाते हैं। विवेकानंद के योग का प्रचार, पश्चिम परंपरा में आज भी गहराई से निहित
है। योग की विशालता को व्यक्त करते हुए, विवेकानंद ने राजयोग पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है,
"भारतीय दर्शन की सभी रूढ़िवादी प्रणालियों का एक ही लक्ष्य, योग विधि द्वारा पूर्णता के माध्यम से
आत्मा की मुक्ति है।”
विवेकानंद के योग के पुनरुद्धार ने न केवल लोगों को योग के प्रति आकर्षित किया, बल्कि इसने पतंजलि
योग सूत्र सीखने के लिए पश्चिमी लोगों में गंभीर रूचि को भी पैदा किया। अतः, स्वामी विवेकानंद को
'पुनरुत्थान भारत का मसीहा' कहा जा सकता है।
विवेकानंद के साथ ही श्री परमहंस योगानंद और श्री अरबिंदो ने क्रमशः क्रिया योग और एकात्म योग
नामक योग के विभिन्न रूपों को प्रतिपादित किया और वे इसे संयुक्त राज्य अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी
देशों में भी ले गए। भारतीय योग को परंपरा में वापस लाने में श्री अरबिंदो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 'श्री अरबिंदो के
व्याख्यान शास्त्र अब भी मायने रखते हैं! युक्तेश्वर गिरि या लहडी महाशय जैसे आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा
प्रतिपादित, क्रिया योग (क्रिया योग, एक श्वास अभ्यास, ध्यान तकनीक, और एक सरल, मनो-शारीरिक
विधि है।) को उनके शिष्य परमहंस योगानंद द्वारा प्रमुखता से विस्तृत और प्रचारित किया गया था।
11 दिसंबर 2014 के दिन, संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया
गया। इस प्रस्ताव को 'कुल 177 राष्ट्रों ने सह-प्रायोजित किया, जो कि इस तरह के किसी भी यूएनजीए
प्रस्ताव (UNGA proposal) के लिए अब तक के सबसे अधिक सह-प्रायोजकों में हैं।'
सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को आकर्षित करते हुए, योग को एक अर्थ में दुनिया भर में एक महान
एकीकरण शक्ति कहा जा सकता है। शायद, योग ही एकमात्र सांस्कृतिक घटना हो सकती है जो अब धीरे-
धीरे धर्मनिरपेक्ष आयाम प्राप्त कर रही है। 2015 से, इस दिन को प्रासंगिक विषयों जैसे योग और मधुमेह,
योग और स्थिरता, हृदय के लिए योग आदि रोगियों के साथ भी मनाया जाता रहा है।
भारतीय योग को परंपरा में वापस लाने में श्री अरबिंदो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 'श्री अरबिंदो के
व्याख्यान शास्त्र अब भी मायने रखते हैं! युक्तेश्वर गिरि या लहडी महाशय जैसे आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा
प्रतिपादित, क्रिया योग (क्रिया योग, एक श्वास अभ्यास, ध्यान तकनीक, और एक सरल, मनो-शारीरिक
विधि है।) को उनके शिष्य परमहंस योगानंद द्वारा प्रमुखता से विस्तृत और प्रचारित किया गया था।
11 दिसंबर 2014 के दिन, संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया
गया। इस प्रस्ताव को 'कुल 177 राष्ट्रों ने सह-प्रायोजित किया, जो कि इस तरह के किसी भी यूएनजीए
प्रस्ताव (UNGA proposal) के लिए अब तक के सबसे अधिक सह-प्रायोजकों में हैं।'
सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को आकर्षित करते हुए, योग को एक अर्थ में दुनिया भर में एक महान
एकीकरण शक्ति कहा जा सकता है। शायद, योग ही एकमात्र सांस्कृतिक घटना हो सकती है जो अब धीरे-
धीरे धर्मनिरपेक्ष आयाम प्राप्त कर रही है। 2015 से, इस दिन को प्रासंगिक विषयों जैसे योग और मधुमेह,
योग और स्थिरता, हृदय के लिए योग आदि रोगियों के साथ भी मनाया जाता रहा है।
आज विश्व स्तर पर योग का उद्योग 80 अरब डॉलर का है। सांख्यिकी और अध्ययन पोर्टल स्टेटिस्टा
(statista) के अनुसार, अमेरिका में 2015 के अंत तक, 37 मिलियन लोग योग का अभ्यास कर रहे थे,
जबकि 2008 में यह संख्या 17 मिलियन थी। यह संख्या आगे चलकर 55 मिलियन से भी अधिक होने की
उम्मीद है। योग एलायंस एंड योग जर्नल (Yoga Alliance and Yoga Journal) द्वारा, हाल ही में किए
गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2012 और 2016 के बीच योग करने वाले अमेरिकियों की संख्या 20.4
मिलियन से बढ़कर 36 मिलियन हो गई। भारत सहित एशियाई देशों में योग की 5000 साल पुरानी प्रथा होने के बावजूद, इसने पश्चिम में कहीं
अधिक लोकप्रियता हासिल की है। नतीजतन, यूरोपीय देश और संयुक्त राज्य अमेरिका इस प्राचीन
अनुशासन का आधुनिकीकरण करने और इसे एक जीवन शैली के रूप में शामिल करने में अधिक सक्षम हैं।
अमेरिका में योग का एक लंबा इतिहास रहा है, जहां इसे लोकप्रिय बनाने में स्वामी विवेकानंद का अहम
योगदान है, जिन्होंने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में बात की थी और पासाडेना, कैलिफोर्निया
(Pasadena, California) में रहते हुए राजयोग लिखा था। हालांकि 1924-1965 में एशियाई बहिष्करण
अधिनियम लागू किया गया! लेकिन इसके बावजूद पश्चिम की, योग में रुचि बनी रही। आव्रजन प्रतिबंधों
को हटाने के साथ ही, भारत से योग के शिक्षक 1960 के दशक में अमेरिका जाने लगे, जिनमें स्वामी राम,
स्वामी सच्चिदानंद, अमृत देसाई और गुरानी अंजलि इंति भी शामिल थे। आज, ध्यान और योग जैसे पूर्वी
आध्यात्मिक आदर्श पश्चिम में आम होने लगे हैं। जैसे-जैसे दुनिया में तनाव बढ़ रहा है, पश्चिमी लोग योग
और ध्यान जैसे अभ्यासों के लाभों को और अधिक महसूस कर रहे हैं।
भारत सहित एशियाई देशों में योग की 5000 साल पुरानी प्रथा होने के बावजूद, इसने पश्चिम में कहीं
अधिक लोकप्रियता हासिल की है। नतीजतन, यूरोपीय देश और संयुक्त राज्य अमेरिका इस प्राचीन
अनुशासन का आधुनिकीकरण करने और इसे एक जीवन शैली के रूप में शामिल करने में अधिक सक्षम हैं।
अमेरिका में योग का एक लंबा इतिहास रहा है, जहां इसे लोकप्रिय बनाने में स्वामी विवेकानंद का अहम
योगदान है, जिन्होंने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में बात की थी और पासाडेना, कैलिफोर्निया
(Pasadena, California) में रहते हुए राजयोग लिखा था। हालांकि 1924-1965 में एशियाई बहिष्करण
अधिनियम लागू किया गया! लेकिन इसके बावजूद पश्चिम की, योग में रुचि बनी रही। आव्रजन प्रतिबंधों
को हटाने के साथ ही, भारत से योग के शिक्षक 1960 के दशक में अमेरिका जाने लगे, जिनमें स्वामी राम,
स्वामी सच्चिदानंद, अमृत देसाई और गुरानी अंजलि इंति भी शामिल थे। आज, ध्यान और योग जैसे पूर्वी
आध्यात्मिक आदर्श पश्चिम में आम होने लगे हैं। जैसे-जैसे दुनिया में तनाव बढ़ रहा है, पश्चिमी लोग योग
और ध्यान जैसे अभ्यासों के लाभों को और अधिक महसूस कर रहे हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3nb3gcI
https://bit.ly/3Qvu59f
https://bit.ly/3QFBId5
https://bit.ly/3QBkQEr
चित्र संदर्भ
1. स्वामी विवेकानंद और योग दिवस को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. योग की दीक्षा देते परमहंस योगानंद जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. श्री अरबिंदो को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. योगाभ्यास करते अभ्यर्थियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
 
                                         
                                         
                                         
                                        