भारत में शून्य का आविष्कार बहुत प्राचीन है, जानिए चौथी शताब्दी इ.पूर्व के बख्शाली पाण्डुलिपि के बारे में

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
06-08-2022 10:27 AM
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भारत में शून्य का आविष्कार बहुत प्राचीन है, जानिए चौथी शताब्दी इ.पूर्व के बख्शाली पाण्डुलिपि के बारे में

भारत की प्राचीनतम बख्शाली पांडुलिपि एक गणितीय पांडुलिपि है जिसे वर्ष 1881 में बख्शाली, मर्दन (जो वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा, पेशावर, पाकिस्तान में स्थित है) गांव के एक किसान द्वारा खोजा गया था। बौद्ध हाइब्रिड संस्कृत के एक संस्करण में भी बख्शाली पांडुलिपि को सबसे प्राचीन भारतीय गणितीय पांडुलिपि के रूप में मान्यता दी गई है।भोजपत्रों या सनौबर केपेडपेड़की महीन छाल पर लिखी गयी यह पांडुलिपि अत्यंत नाजुक है। ऐसा माना जाता है कि इस पांडुलिपि का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया है और अब मात्र 70 पन्ने ही शेष बचे हैं। जिसे बोडलियन पुस्तकालयों के वेस्टन पुस्तकालय, ऑक्सफोर्ड (Bodleian Libraries’ Weston Library, Oxford) में विशेष रूप से बनी एक पुस्तक में सुरक्षित रखा गया है। इस पांडुलिपि की सटीक उम्र आज तक एक विवादित विषय बना हुआ है। कई लोगों का मानना है कि यह 9वीं शताब्दी पूर्व की है। कई वर्षों की जाँच के बाद ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और बोडलियन पुस्तकालयों के शोधकर्ताओं ने पांडुलिपि पर पहली बार रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon Dating) से यह निष्कर्ष निकाला कि यह तीसरी और चौथी शताब्दी पूर्व की है। इसका अर्थ यह है कि यह मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित एक मंदिर की दीवार पर बने शून्य के 9वीं शताब्दी के शिलालेख से भी पहले की है, इस शिलालेख को पहले भारत में शून्य के सबसे पुराने प्रतीक के रूप में प्रमाणित किया गया था। परंतु बख्शाली पांडुलिपि की खोज के बाद यह सिद्ध हो गया कि बख्शाली ही सबसे प्राचीन पांडुलिपि है। इसमें एक ऐसे बिंदु का उल्लेख किया गया हैजो “शून्य” का प्रतिनिधित्व करने वाला अब तक का सबसे प्राचीन प्रतीक है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्कस डु सौतॉय (Marcus du Sautoy) और सह-लेखकों ने कहाथा कि "आज हम जिस “शून्य” का उपयोग करते हैं, वह प्राचीन भारत में प्रयोग किए गए बिंदु से विकसित हुआ है जिसका उल्लेख बख्शाली पांडुलिपि में देखा जा सकता है।"पांडुलिपि के इतिहास के बारे में बात करें तो वर्गों में से एक के लिए एक पुष्पिका अथवा कॉलोफोन (Colophon) में कहा गया है कि यह एक ब्राह्मण जो इस पांडुलिपि के मुंशी भी रहे होंगे, के द्वारा लिखी गई थी जिसे "चजाक के पुत्र" या “गणकके राजा”के रूप में जाना जाता था। उस ब्राह्मण ने यह पांडुलिपि ॠषि वशिष्ठ के पुत्र हसिका के उपयोग के लिए लिखी थी। डॉट (Dot)अथवा बिंदु को मूलत: 'प्लेसहोल्डर' (Placeholder) अथवा स्थानधारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। संख्या प्रणाली में परिमाण के क्रम उदाहरण के लिए, 10s, 100s और 1000s को इंगित करने के लिए किया जाता था। यह पांडुलिपि शुरुआती शरदा लिपि में लिखी गई है जो लिपि मुख्य रूप से 8वीं से 12वीं शताब्दी तक दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी भागोंजैसे कश्मीर और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में उपयोग की जाती थी। हालाँकि यह संस्कृत भषा से काफी मिलती-जुलती है। इसका कारण यह है कि इसमें अधिकांश नियम और उदाहरण मूल रूप से संस्कृत में लिखे गये हैं। इस पांडुलिपि मेंगणितीय नियमों और समस्याओं को उनके सत्यापन के उदाहरणों के साथ संग्रहित किया गया है। अंकगणित, बीजगणित और रेखागणित जिसमें क्षेत्रमिति भी शामिल है, से संबंधित विषय- समाग्री जिसमें भिन्न, वर्गमूल, घनमूल, लाभ और हानि, सोने की गणना, ब्याज, आय और व्यय, सरल समीकरण, द्विघात समीकरण, अनिश्चित समीकरण, रैखिक समीकरण, दूसरी डिग्री के किसी विशिष्ट प्रकार का अनिश्चित समीकरण तथा कई जटिल श्रृंखलाओं के योगउदाहरणों के माध्यम से प्रस्तुत किए गए हैं। साथ ही, मासिक धर्म जैसी विविध समस्याओं के समाधानों का वर्णन भी इसमें मिलता है। हालाँकि बख्शाली पांडुलिपिमें दिए गए संकेतन आर्यभट्ट द्वारा प्रयुक्त संकेतन से पूर्णत: विपरीत नहीं हैं परंतु इसमें कई ऐसी विशेषताएं मौजूद हैं जो अन्य किसी दस्तावेज़ में नहीं पाई जाती हैं। पांडुलिपिमें भी गणितीय भिन्न को एक संख्या के निचे दूसरी संख्या के रूप में लिखा गया है जिस प्रकार हम आज के समय में भिन्न को दर्शाते हैं। एक असमान्य उदाहरण यह है कि एक ऋणात्मक संख्या को उसके आगे धन के चिन्ह (+) के साथ इंगित किया गया है। यह विचित्र बात है कि जिस धन के चिन्ह (+) का उपयोग आज हम धनात्मक संख्या के लिए करते हैं उस चिन्ह का उपयोग पहले ऋणात्मक संख्या को दर्शाने के लिए किया जाता था। इसको उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं
पांडुलिपि में3 _ 1 को इस प्रकार लिखा गया है 3 1 + 4 2 4 2
और 1 + 1 को इस प्रकार लिखा गया है: 1 जो 4
3 1 3
3
एक प्रश्न के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं:
प्रश्न: एक व्यक्ति के पास सात असवा घोड़े हैं और दूसरे व्यक्ति के पास नौ हया घोड़े और तीसरे व्यक्ति के पास दस ऊंट हैं। प्रत्येक एक-दूसरे को दो जानवर देते हैं। वे समान रूप से संपन्न हैं। प्रत्येक व्यक्ति के पास मौजूद जानवरों का कुल मूल्य ज्ञात कीजिए। हल:
हम x 1 को असवा का मूल्य, x 2 को हया का मूल्य, x 3 को ऊंट का मूल्य मान लेते हैं। 5x 1 ​ + x 2 ​ + x3​=x 1 ​ + 7x 2 ​ + x 3 ​=x 1 ​ + x 2 ​ + 8x 3 = k
4x 1 = 6x 2 = 7x 3 = k − (x 1 + x 2 + x 3 ​)
पूर्णांक समाधान के रूप में k − (x 1 + x 2 + x 3 ​) 4, 6 और 7 का लघुत्तम समापवर्त्यका गुणज होना चहिए। यह समस्या की अनिश्चित प्रकृति है और लघुत्तम समापवर्त्य का गुणक लेने से विभिन्न समाधान प्राप्त होंगे।
बख्शाली पांडुलिपि के अनुसार k − (x 1 + x 2 + x 3 ​) = 168 ( जो 4 × 6 × 7 है)  इससे प्राप्त होता है
X 1 = 42, x 2 = 28, x 3 = 24,
k = 262 प्रत्येक व्यक्ति के पास जानवरों का कुल मूल्य है
और यह न्यूनतम पूर्णांक हल नहीं होगा जो है
k = 131
यदि हम आधुनिक विधि का प्रयोग करते तो हमें k = 131 लेकर पूर्णांक हल प्राप्त होता
x 1 = 21k/131, x 2 = 14k/131, और x 3 = 12k/131
बख्शाली पांडुलिपि में √105 की गणना करने के लिए सूत्र का उपयोग किया गया है। जिससे 10.24695122 हल प्राप्त होता है। यहाँ पर सन्निकटन के रूप में बख्शाली सूत्र √105 = 10.24695077 दशमलव के पांच स्थानों तक परिणाम को सही देता है।
निम्नलिखित उदाहरण यह दर्शाते हैं कि बख्शाली पांडुलिपि में लेखक अनुमानित वर्गमूल प्राप्त करने के लिए निम्न सूत्र लागू करता है:
उदाहरण 1: √487
बख्शाली सूत्र के अनुसार उत्तर 22.068076490965 देता है
सही उत्तर  22.068076490713है
अत: यहदशमलव के नौ स्थान तक सही उत्तर देता है।
उदाहरण 2: √ 889
बख्शाली सूत्र के अनुसार उत्तर 29.816105242176 उत्तर देता है
सही उत्तर  29.8161030317511है
अत: यहदशमलव के पाँच स्थान तक सही उत्तर देता है।
उदाहरण 3: यदि हम 29 2 + 48 के स्थान पर 889 = 30 2 लेते हैं तो बख्शाली सूत्र के अनुसार उत्तर 29.816103037078 देता है
सही उत्तर  29.8161030317511है
अत: यहदशमलव के आठ स्थान तक सही उत्तर देता है।
उदाहरण 4: √ 339009
बख्शाली सूत्र के अनुसार उत्तर 582.2447938796899 देता है
सही उत्तर  582.2447938796876है
अत: यह दशमलव के ग्यारह स्थान तक सही उत्तर देता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3QlZ7iT
https://bit.ly/3d9kW6W
https://bit.ly/3Q2AOGN

चित्र संदर्भ
1. बख्शाली पाण्डुलिपि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बख्शाली पाण्डुलिपि के पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बख्शाली पाण्डुलिपि में गिनती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बख्शाली पांडुलिपि, अंक "शून्य" के विवरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)