आखिर कैसे शुरू हुआ पैगंबर के जन्मदिन को मनाने का रिवाज़?

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
08-10-2022 10:31 AM
Post Viewership from Post Date to 13- Oct-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2951 14 0 2965
* Please see metrics definition on bottom of this page.
आखिर कैसे शुरू हुआ पैगंबर के जन्मदिन को मनाने का रिवाज़?

हिंदू धर्म की भांति मुस्लिम धर्म में भी अनेकों त्योहारों को मनाया जाता है, तथा ईद-ए- मिलाद-उन-नबी या मौलिद भी इन्हीं में से एक है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या मौलिद या मावलिद पैगंबर मुहम्मद की जयंती है, जिसे मुस्लिम चंद्र कैलेंडर के तीसरे महीने में दुनिया भर में इस्लाम का अनुसरण करने वाले लोगों द्वारा मनाया जाता है। जगह-जगह पर विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं, तथा पैगंबर मुहम्मद के जीवन को याद करते हुए उनके प्रति प्रेम प्रकट किया जाता है।
अधिकांश विद्वानों का मानना ​​था कि पैगंबर का जन्म रबी अल-अव्वल के महीने में हुआ था, लेकिन महीने में वह सटीक दिन कौन-सा था, इसके बारे में कई मतभेद मौजूद थे। कुछ का मानना था कि पैगंबर रबी अल-अव्वल के दूसरे दिन पैदा हुए तो कुछ का मानना था कि वे रबी अल-अव्वल के 8वें दिन पैदा हुए। इसके अलावा रबी अल-अव्वल का 10 वां,12वां,17वां,22वां दिन भी पैगंबर के जन्म के दिन के रूप में सामने आया। लेकिन जो दिन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुआ वह था, रबी अल-अव्वल का 12वां दिन। पैगंबर के जन्म के दिन के रूप में रबी अल-अव्वल का 12वां दिन इसलिए प्रसिद्ध हुआ, क्यों कि यह दिन इब्न इशाक द्वारा बताया गया था। इब्न इशाक की पुस्तक “सीराह” पैगंबर की जीवनी की जानकारी का एक प्राथमिक स्रोत है, इसलिए अधिकांश ने उनके द्वारा बताए गए दिन पर विश्वास किया। यह वो समय भी था, जब पहली बार लोगों के एक समूह ने पैगंबर के जन्मदिन को सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाने का फैसला किया।
विभिन्न इतिहासकारों, कानूनी विशेषज्ञों और सभी समूहों के धर्मशास्त्रियों ने इस बात पर सहमति जताई है, कि पैगंबर ने कभी भी खुद से अपने अनुयायियों को अपना जन्मदिन मनाने की आज्ञा नहीं दी थी। न ही यह प्रथा इस्लाम के उद्भव के बाद की पहली कुछ शताब्दियों में शुरू हुई थी। इसलिए, अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह प्रथा कैसे शुरू हुई? और पैगंबर के जन्मदिन को मनाने के विचार के बारे में सोचने वाले पहले समूह कौन थे?
इतिहास में मौलिद समारोहों को मनाने का पहला उल्लेख जमाल अल-दीन इब्न अल-मामुन के लेखन में मिलता है, जिनकी मृत्यु 1192 ईस्वीं में हुई। उनके पिता फातिमिद खलीफा अल-अमीर के महान उच्चाधिकारी थे। हालांकि इब्न अल-मामुन का लेखन कार्य अब खो गया है, लेकिन इसके कई हिस्सों को बाद के विद्वानों द्वारा उद्धृत किया गया, विशेष रूप से मिस्र (Egypt) के सबसे प्रसिद्ध मध्ययुगीन इतिहासकार, अल-मकरज़ी (सन् 1442) द्वारा। अल- मकरज़ी की पुस्तक में फातिमिद के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं। यह बहुत व्यापक है, तथा साथ ही इसमें अल-मकरीज़ ने कई पुराने संदर्भों को उद्धृत किया है जो अब खो गए हैं। अल-मकरीज़ छठी शताब्दी के शुरुआती समय के दौरान फातिमियों की सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक नीतियों के बारे में जानकारी के लिए इब्न अल-मामुन के कार्य पर निर्भर थे। चूंकि उनके पिता फातिमिद खलीफा के उच्च अधिकारी थे, इसलिए उन्होंने इस बात का फायदा उठाते हुए उस समय के कई विवरण प्रदान किए, जिनकी पहुंच संभवतः बाहरी इतिहासकारों तक नहीं थी। माना जाता है, कि फातिमिद वंश की एक शाखा, जिसे ड्रुज़ (Druze) नाम से जाना जाता है, वह राजवंश था जिसने सबसे पहले मौलिद के उत्सव की शुरुआत की।अल-मक़रीज़ी ने अपनी खितात (Khiṭaṭ) में उस समय हो रहे समारोहों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया है, जिसमें से मौलिद भी एक है।
एक अन्य प्रारंभिक स्रोत जो मावलिद का उल्लेख करता है वह है, इब्न अल-तुवैयर (1220) का कार्य,“नुज़हत अल-मुक़लतायन फ़े अख़बारत अल-दौलतायन” (Nuzhat al-Muqlatayn fī Akhbārt al-Dawlatayn)। इब्न अल-तुवैयरने ने फातिमिद राजवंश के सचिव के रूप में काम किया। इब्न अल-तुवैयर ने मावलिद के दौरान की जाने वाली धूमधाम और जुलूसों का भी वर्णन किया। उन्होंने अपने कार्य में विस्तार पूर्वक लिखा है, कि इस दिन बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थ वितरित किए जाते हैं, विशेष रूप से काहिरा (Cairo) के प्रसिद्ध मकबरों के आसपास। आयोजन का मुख्य केंद्र निश्चित रूप से, खलीफा का महल था, और केवल कुलीन वर्ग के लोग ही महल में उत्सव में भाग लेने जाते थे।
फातिमिदियों ने कई प्रमुख वार्षिक समारोहों की स्थापना की, जिन्हें बहुत धूमधाम से मनाया जाता था। मावलिद इनमें सबसे प्रमुख था, जिसका उद्देश्य फातिमिदियों का जनता के साथ खुद को जोड़ना था। इस तरह के सार्वजनिक समारोहों को सार्वजनिक छुट्टियों के रूप में घोषित किया जाता था, जिसमें अच्छे भोजन और मिठाइयां बनाई जाती तथा वितरित की जाती, ताकि लोग अपनी सरकार की प्रशंसा करें। जब फातिमिद वंश का पतन हुआ, तो अन्य मौलिदों को भुला दिया गया, क्योंकि सुन्नियों के लिए उनका कोई महत्व नहीं था। हालांकि “पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम”(salla Allahu alayhi wa sallam) के मौलिद को मनाना जारी रहा।मौलिद को सार्वजनिक रूप से मनाने वाले पहले सुन्नी उमर अल-मुल्ला के नाम से एक सूफी फकीर थे।वह एक संदिग्ध चरित्र के व्यक्ति प्रतीत होते हैं, और उनके बारे में कम से कम यह कहा जा सकता है कि वह किसी भी तरह से धर्म के विद्वान नहीं थे।
सुन्नी भूमि में सरकार द्वारा प्रायोजित मावलिद सबसे पहले मुज्जफर अल-दीन ने पेश किया था, जिन्हें यह विचार उमर अल-मुल्ला से मिला।छठी इस्लामी शताब्दी के अंत में,कुछ सुन्नी देशों में मौलिद की शुरूआत हुई, लेकिन इस्लाम की मुख्य भूमि (जैसे, मक्का, दमिश्क, आदि) में इस समय तक मौलिद को मनाने की शुरुआत नहीं हुई थी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3yp9Hit
https://bit.ly/3SLciLY
https://bit.ly/3ymRstU

चित्र संदर्भ
1. मुहम्मद की ईबादत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia, pxhere)
2. रबी अल-अव्वल के प्रतीकात्मक प्रवेश समारोह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इस्लामिक ग्रंथों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. सामूहिक इस्लामिक भोज को दर्शाता एक चित्रण (flickr)