जर्मनी में खोजी गई इंसान के धड़ और शेर के मस्तक वाली यह प्रतिमा हमें किस की याद दिलाती है?

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
02-05-2023 09:46 AM
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जर्मनी में खोजी गई इंसान के धड़ और शेर के मस्तक वाली यह प्रतिमा हमें किस की याद दिलाती है?

भारत में हम सभी भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से भली भांति परचित हैं। अपने इस लोकप्रिय अवतार में वह अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद को दैत्यराज हिरण्यकशिपु के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए शेर के सिर और मनुष्य के धड़ के साथ “नरसिंह” (मानव रूपी सिंह) रूप धारण करते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जर्मनी (Germany) की गुफाओं से भी शेर के मस्तक और मनुष्य के धड़ के साथ, हाथी दांत यानी आइवरी (Ivory) से बनी ऐसी ही एक अनोखी मूर्ति खोजी गई है। हालांकि यह जर्मन मूर्ति हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रभावित नहीं है, लेकिन इसके इतिहास और विशेषताओं को समझना वाकई में दिलचस्प है:
इस प्राचीन मूर्ति, जिसे द लायन-मैन ऑफ़ होलेनस्टीन-स्टैडल (The Lion-Man Of Hollenstein-Stadel) नाम दिया गया है, का निर्माण 35,000 से 41,000 वर्ष पूर्व होने का अनुमान लगाया गया है। इस प्रकार यह कलात्मक प्रतिनिधित्व के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक बन जाती है। यह अब तक खोजी गई सबसे पुरानी पुष्ट प्रतिमा भी है। ऊपरी पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic) के दौरान एक चकमक पत्थर के चाकू का उपयोग करके, विशाल हाथीदांत को तराश कर इस शानदार मूर्तिकला को बनाया गया था। यह प्रतिमा 31.1 सेमी लंबी, 5.6 सेमी चौड़ी और 5.9 सेमी मोटी है, और जूमोर्फिक कला (Zoomorphic Art) का एक उदाहरण मानी जा रही है। इस दुर्लभ मूर्तिकला की खोज 1939 में होहलेनस्टीन-स्टैडल गुफा (Hohlenstein-Stadel Cave) में खुदाई के दौरान भूविज्ञानी ओटो वोल्ज़िंग (Otto Wolzing) द्वारा की गई थी। यह खोज द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक पहले की गई थी, इसलिए खोजों का ठीक से विश्लेषण नहीं किया गया था। इस मूर्तिकला की व्याख्या अलग-अलग शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग तरीकों से की गई है। जैसे प्रारंभ में, शोधकर्ता हैन (Hahn) द्वारा इसे पुरुष के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसके तहत यह सुझाव दिया गया था कि पेट पर एक प्लेट एक शिथिल लिंग हो सकता है। बाद में, जीवाश्म विज्ञानी एलिज़ाबेथ श्मिड (Elisabeth Schmid) ने इसे एक जघन त्रिभुज (Pubic Triangle) के रूप में वर्गीकृत किया और प्रस्तावित किया कि यह मूर्ति एक महिला की है जिसका सिर एक महिला यूरोपीय गुफा सिंह के सिर के साथ जुड़ा हुआ है। हालांकि मूर्तिकला के लिंग के बारे में बहस अभी भी जारी है। लायन-मैन स्टैडल (Lion-Man Städel), गुफा के प्रवेश द्वार से लगभग 30 मीटर की दूरी पर एक कक्ष में पड़ी थी, जिसके साथ हड्डी के औजार, सींग, गहने, पेंडेंट (Pendants), मोतियों और छिद्रित जानवरों के दांतों सहित कई अन्य वस्तुएं भी थीं। इस कक्ष का संभवतः एक भंडारगृह के रूप में उपयोग किया जाता था।
द लायन मैन वास्तव में एक उत्कृष्ट कृति है जिसे बड़ी ही मौलिकता, कौशल और गुण के साथ गढ़ा गया था। लायन मैन के पीछे की कहानी क्या है, यह निश्चित रूप से जानना असंभव है, लेकिन माना जाता है कि एक समय में इंसान और जानवर सम्मिलित थे। शेर अपने समय के सबसे भयंकर शिकारी थे। वहीं मनुष्यों को खुद को शिकारियों से बचाने की आवश्यकता थी जबकि भोजन के लिए कुछ जानवरों पर भी निर्भर रहना पड़ता था।
हो सकता है कि इस सहवास ने लोगों को प्रकृति में एक गहरे, धार्मिक स्तर पर या किसी तरह इसे पार करने या फिर से आकार देने में मदद की हो। लायन मैन को उसी प्रकार के पत्थर के औजारों का उपयोग करके बनाया गया था जो हिमयुग में उपलब्ध थे। एक प्रयोग से संकेत मिलता है कि इसे बनाने में तकरीबन 400 घंटे से अधिक का समय लगा होगा। इससे पता चलता है कि इस छवि के निर्माण का उद्देश्य खतरों और कठिनाइयों को दूर करने और समूह जागरूकता को मजबूत करना रहा होगा। स्टैडल गुफा (Stadel Cave), जहां लायन मैन की प्रतिमा को खोजा गया था, इस क्षेत्र की अन्य गुफाओं से अलग है। इसका मुख उत्तर की ओर है और इसे ज्यादा धूप नहीं मिलती है। द लायन मैन, धार्मिक विश्वासों से जुड़ा सबसे पुराना ज्ञात प्रमाण माना जाता है। 2017 में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन, यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific And Cultural Organization (UNESCO) ने स्टैडल गुफा और अन्य स्वाबियन इलाकों (Swabian Areas) को मानवता के लिए महत्वपूर्ण विश्व धरोहर स्थलों का दर्जा भी दिया। ब्रिटिश संग्रहालय के एक क्यूरेटर जिल कुक (Jill Cook) के अनुसार इस शानदार नक्काशी को बनाने वाला व्यक्ति एक कलाकार की तरह बहुत ही कुशल रहा होगा। हो सकता है कि उन्हें इस मूर्ति पर विशेष रूप से काम करने के लिए अन्य कार्यों से छूट दी गई हो। लेकिन यहाँ दिलचस्प सवाल है, कि जीवन निर्वाह की जद्दोजहद और भोजन खोजने या बच्चों को शिकारियों से बचाने जैसे कार्यों से दूर रहकर कोई भी व्यक्ति इतना समय कैसे निकाल लेता होगा? यह एक ऐसा रहस्य है जिसे शायद हम आज भी पूरी तरह से कभी न सुलझा पाएं हैं, लेकिन यह नक्काशी हमें बताती है कि कठिन समय में भी इंसानों में कला के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने की इच्छा हमेशा से रही है। यह हमें याद दिलाती है कि हमारे मानव पूर्वज केवल शिकारी और संग्राहक ही नहीं थे, बल्कि वे उत्कृष्ट कलाकार, कहानीकार और सपने देखने वाले लोग भी थे।

संदर्भ
https://bit.ly/2CK1Csr
https://bit.ly/3Les9A0

चित्र संदर्भ
1. ‘द लायन-मैन ऑफ़ होलेनस्टीन-स्टैडल " को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. दाएं से देखने पर लायन-मैन स्टैडल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. होहलेनस्टीन-स्टैडल गुफा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सामने से देखने पर लायन-मैन स्टैडल को दर्शाता एक चित्रण (baden-württemberg)
5. लायन-मैन स्टैडल के सिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)