शहर स्वच्छता कार्य योजना की मंज़ूरी के बाद क्या सुधर पाएगी जौनपुर में जलभराव की स्थिति?

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
11-07-2023 09:31 AM
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शहर स्वच्छता कार्य योजना की मंज़ूरी के बाद क्या सुधर पाएगी जौनपुर में जलभराव की स्थिति?

आपको यह जानकर खुशी होगी कि हमारे जिले जौनपुर के 11 नगर निकायों में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत पिछले वर्ष दिसंबर 2022 में ‘शहर स्वच्छता कार्य योजना (City Sanitization Action Plan) की मंजूरी मिल गई है। इसके अंतर्गत नालों और सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की गंदगी को भी साफ किया जाएगा। मुंगराबादशाहपुर व गौराबादशाहपुर में तो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (Sewer Treatment Plant (STP) और सेप्टिक टैंक की गंदगी के लिए स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (Sludge Treatment Plant) बनाने के लिए जमीन मिल गई है।
नगर निगम की ‘अमृत योजना’ के अंतर्गत जौनपुर में सीवर लाइन का काम शुरू हो चुका है। इसमें नालों का पानी एस टी पी (STP) तक पहुंचाया जाएगा और वहां पर साफ किया जाएगा। इसके बाद साफ पानी को नदियों और तालाबों में छोड़ा जाएगा। नगर निगम द्वारा इस कार्य के लिए निजी कंपनियों की भी सहायता ली जा रही है। ‘पुलकित प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड’ (Pulkit Projects Pvt Ltd.) को जल निगम से 30 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (MLD STP) की योजना, डिजाइन, इंजीनियरिंग और परीक्षण जैसे कार्यों के लिए जौनपुर मेंएक ठेका मिला है। इस परियोजना की कुल लागत 183.68 करोड़ रुपए है । शहर की स्वच्छता योजना, स्थिति को देख कर और सहयोगियों के साथ एक संरचित परामर्श के बाद तैयार की गई है। इस परियोजना के तहत स्थानीय रूप से ठीक तरीकों, प्रौद्योगिकी और सामग्रियों को अपनाया जाएगा और जौनपुर नगर पालिका परिषद को आवश्यक सहायता दी जाएगी। सामुदायिक और निजी हिस्सेदारी को बढ़ावा देकर स्वच्छता ढांचे की रचना और रखरखाव को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा। पानी की आपूर्ति और स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न विभागों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यावरण, परिवहन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि के बीच साझेदारी सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही ठोस अपशिष्ट की व्यवस्था और अन्य स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं के लिए 13 वित्त आयोगों द्वारा दिए गए धन का सही तरीके से उपयोग किया जाएगा।
 हालांकि इन परियोजनाओं के बावजूद हमारे शहर में बरसात के मौसम में सड़कों एवं गलियों में जलभराव हो जाना एक अहम मुद्दा है। कई जगहों पर प्राकृतिक नाले टूट गए हैं और उनमें ठोस कचरा डाला जा रहा है। शहर के निवासियों की चिंता का यही मुख्य कारण है। बहुत सारा घरेलू कचरा (सब्जियों के छिलके, अपशिष्ट मांस, आदि) सड़कों के किनारे डाल दिया जाता है जो बरसात में बहकर नालियों में चला जाता है जिससे नालियों का पानी अवरुद्ध हो जाता है। इन नालियों को साफ करने का कोई इंतजाम नहीं होता है। कई बार तो, सेप्टिक टैंक से कचरा प्राकृतिक नालों और नदियों में चला जाता है जिससे इनका पानी भी प्रदूषित हो जाता है जिसकी वजह से जल आपूर्ति में कमी होती है। इसलिए पुराने सभी नालों को चौड़ा करने और सफाई की आवश्यकता है। कच्ची नालियों को पक्की नालियों में बदलना पड़ेगा, ताकि भू जल खराब ना हो।
 जौनपुर शहर में जल निकास प्रणाली की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। जौनपुर में सेप्टेज प्रबंध की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है । बहुत बार सेप्टिक टैंक से कचरा निकल कर सीधे नालों में चला जाता है। टैंक्स में से पानी को बिना साफ किए ही नालों में छोड़ दिया जाता है। हालांकि हमारा शहर आज औद्योगिक प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर है लेकिन अव्यवस्थित विकास की वजह से अपशिष्ट व्यवस्था की सही योजना नहीं हो पा रही है। इस समय शहर में सीवेज नेटवर्क या सीवेज ट्रीटमेंट की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। गंदे पानी को या तो सेप्टिक टैंक में ही साफ किया जाता है या फिर बिना साफ किए ही नदियों और नालों में छोड़ दिया जाता है। शहर को अगले 20 सालों में कम से कम 32 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की आवश्यकता है। ठोस अपशिष्ट का सही से उपचार ना होने की वजह से पर्यावरण और बीमारियों का संक्रमण भी होता है। इसके अलावा कचरा रखने के डब्बे कई स्थानों पर टूटे हुए हैं, इसलिए जब बारिश होती है तो कचरा बह जाता है। ठोस अपशिष्ट साथ ही घरेलू कचरे का प्रबंधन भी नहीं होता है। प्रत्येक घर से कचरा नहीं लिया जाता है और लोग भी जागरूक नहीं हैं।
 घरों से कचरा लेने के लिए कर्मचारियो की भी कमी है। नगर पालिका ठोस अपशिष्ट पदार्थों का निपटारा सही से नहीं करती है जिसकी वजह से पर्यावरण को भी नुकसान होता है और साथ ही बीमारियां भी फैलती हैं। इसे विडंबना ही कहें कि खुला हुआ कचरा या तो सड़कों पर सजता है या फिर खुली नालियों में चला जाता है जिससे इलाके में जल जमाव हो जाता है। छोटी जगहों पर यह समस्या बहुत आम है। हालांकि अगर कचरे का सही से उपचार किया जाए तो यह समस्या बहुत हद तक कम की जा सकती है। निर्धारित अपशिष्ट निपटान के कड़े नियमों के अभाव में लोग भी कचरा ऐसे ही डाल देते हैं। हालांकि अब इस समस्या से परेशान होकर लोगों ने भी नगर निगम को कर देने के लिए भी हां कर दी है ताकि सही से कचरे का निपटान घर से घर तक हो सके। जौनपुर में बोर वैल और नगरनिगम दो मुख्य जल स्त्रोत हैं जिनका केवल 11.76% जल ही पीने लायक है। अपशिष्ट जल उपचार व्यवस्था हमारे पानी को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में सहायता करती है, और साथ ही यह पर्यावरण की रक्षा में भी सहायता करती है। एक अपशिष्ट जल उपचार व्यवस्था द्वारा शौचालयों और सभी घरेलू जल-उपयोग केअपशिष्ट जल को एकत्र कर उपचार और निपटान किया जाता है। अपशिष्ट जल उपचार व्यवस्था द्वारा पानी से रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर दिया जाता है । किसी भी शहर की उचित अपशिष्ट जल व्यवस्था कम से कम 15 सालों तक काम करती है और कम खर्चे में कई बड़ी बड़ी बीमारियों से बचाती है।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/Jaunpur-1
https://www.pulkitprojects.com/projects
https://tinyurl.com/Jaunpur2
https://tinyurl.com/Jaunpuronline-3
https://tinyurl.com/Jaunpur-4

चित्र संदर्भ
1. दूषित जलभराव को दर्शाता चित्रण (PIxels)
2. स्लज ट्रीटमेंट प्लांट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. सड़कों में पड़े गड्ढों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. जलभराव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. प्रदूषित नाले को दर्शाता चित्रण (wikimedia)