 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
| Post Viewership from Post Date to 16- Sep-2023 31st Day | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2165 | 551 | 0 | 2716 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
 
                                               वर्ष 2023 में भारत G20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। अभी तक G20 शिखर सम्मेलन की 100 बैठकें पूरी हो चुकी हैं तथा सितंबर माह में समूह में शामिल देशों के नेता पुनः भारत दौरे पर आएंगे। G20 या “ग्रुप ऑफ ट्वेंटी” (Group of Twenty) 19 देशों और यूरोपियन संघ (European Union) का एक समूह है। इसके अंतर्गत हर वर्ष 20 देशों के अध्यक्षों की बैठक होती है, जिसको G20 शिखर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है।सम्मेलन में सभी देशों के महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे आर्थिक संकट, आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग, स्वास्थ्य आदि पर चर्चा की जाती है। इस संगठन की स्थापना 1999 में अमेरिका (America) की राजधानी वॉशिंगटन डीसी (Washington DC) में की गई थी। पहले समूह में केवल 7 शक्तिशाली देश शामिल थे, इसलिए इसे उस समय G7 के नाम से जाना जाता था, किंतु संगठन में 19 देशों और एक यूरोपीय संघ के जुड़ने के बाद इसे G20 के नाम से जाना जाने लगा। भारत के संदर्भ में वर्तमान समय में G20 शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण विषय है, क्यों कि इस वर्ष भारत इस G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। पिछले वर्ष इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी इंडोनेशिया (Indonesia) द्वारा की गई थी।इस सम्मेलन के लिए भारत ने संस्कृत वाक्यांश 'वसुधैव कुटुंबकम' को भारत की G20 अध्यक्षता की थीम (Theme) के रूप में शामिल किया है, जिसका मतलब है,“दुनिया एक परिवार है”।किंतु चीन (China) ने इस वाक्यांश को लेकर आपत्ति जताई है।चीन ने पिछले महीने की G20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के दस्तावेजों और कई अन्य G20 दस्तावेजों में इस वाक्यांश और इसके इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है।
भारत के संदर्भ में वर्तमान समय में G20 शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण विषय है, क्यों कि इस वर्ष भारत इस G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। पिछले वर्ष इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी इंडोनेशिया (Indonesia) द्वारा की गई थी।इस सम्मेलन के लिए भारत ने संस्कृत वाक्यांश 'वसुधैव कुटुंबकम' को भारत की G20 अध्यक्षता की थीम (Theme) के रूप में शामिल किया है, जिसका मतलब है,“दुनिया एक परिवार है”।किंतु चीन (China) ने इस वाक्यांश को लेकर आपत्ति जताई है।चीन ने पिछले महीने की G20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के दस्तावेजों और कई अन्य G20 दस्तावेजों में इस वाक्यांश और इसके इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। 
चीन का मानना है कि संस्कृत भाषा, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह आधिकारिक भाषाओं में से एक नहीं है, इसलिए आधिकारिक तौर पर G20 दस्तावेजों पर इस भाषा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह आधिकारिक भाषाओं में अरबी (Arabic), चीनी (Chinese), अंग्रेजी, फ्रेंच (French), रूसी (Russian) और स्पेनिश (Spanish) भाषा शामिल है।हालांकि चीन द्वारा की गई आपत्ति पर विदेश मंत्रालय की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया गया है। समूह में भाग लेने वाले अधिकांश देशों ने इस मामले में भारत का पक्ष लिया है। समूह में शामिल अन्य देश यह मानते हैं कि G20 आयोजनों का विषय तय करना अध्यक्ष पद और मेजबान राष्ट्र का विशेषाधिकार है।इसलिए इससे जुड़े किसी भी तरह के निर्णय को लेने का अधिकार मेजबान राष्ट्र के पास है।प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 के लिए इस विषय की घोषणा की थी, जो बड़े पैमाने पर वैश्विक मंचों पर उनके द्वारा अपनाए गए समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप प्रतीत होता है। भारत में हो रहा  G20 शिखर सम्मेलन, एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने का काम करेगा, इसलिए G20 शिखर सम्मेलन के लिए 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' विषय का चयन किया गया।  'वसुधैव कुटुंबकम' वाक्य महा उपनिषद से उत्पन्न हुआ है, तथा यह वाक्यांश इस बात की पुष्टि करता है, कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए मानव, पशु, पौधे,सूक्ष्मजीव सहित अन्य सभी जीव महत्वपूर्ण हैं, क्यों कि सभी अपने अस्तित्व के लिए एक-दूसरे पर निर्भर है। G20 दस्तावेज़ में वसुधैव कुटुंबकम का केवल अंग्रेजी अनुवाद ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ मौजूद है, हालांकि, सभी दस्तावेज़ों के ‘लोगो’ (Logo) और लेटरहेड (Letterhead) में संस्कृत वाक्यांश को बरकरार रखा गया है। सूत्रों के अनुसार इस विषय को लेकर चीन का यह विरोध हाल ही में सार्वजनिक हुआ है।कथित तौर पर इस वाक्यांश पर आपत्ति जताने वाला चीन अकेला राष्ट्र है,जबकि अन्य देशों को ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो आपत्तिजनक हो।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और विदेशों में अपने भाषणों में उक्त कहावत का अनेकों बार उपयोग करते हैं तथा यह भारत के संसदीय भवन के प्रवेश द्वार पर भी अंकित है।
'वसुधैव कुटुंबकम' वाक्य महा उपनिषद से उत्पन्न हुआ है, तथा यह वाक्यांश इस बात की पुष्टि करता है, कि पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए मानव, पशु, पौधे,सूक्ष्मजीव सहित अन्य सभी जीव महत्वपूर्ण हैं, क्यों कि सभी अपने अस्तित्व के लिए एक-दूसरे पर निर्भर है। G20 दस्तावेज़ में वसुधैव कुटुंबकम का केवल अंग्रेजी अनुवाद ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ मौजूद है, हालांकि, सभी दस्तावेज़ों के ‘लोगो’ (Logo) और लेटरहेड (Letterhead) में संस्कृत वाक्यांश को बरकरार रखा गया है। सूत्रों के अनुसार इस विषय को लेकर चीन का यह विरोध हाल ही में सार्वजनिक हुआ है।कथित तौर पर इस वाक्यांश पर आपत्ति जताने वाला चीन अकेला राष्ट्र है,जबकि अन्य देशों को ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो आपत्तिजनक हो।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और विदेशों में अपने भाषणों में उक्त कहावत का अनेकों बार उपयोग करते हैं तथा यह भारत के संसदीय भवन के प्रवेश द्वार पर भी अंकित है।
यह ध्यान देने योग्य है कि जब इंडोनेशिया ने G20 थीम के लिए उनकी भाषा का इस्तेमाल किया तो चीन ने कोई आपत्ति नहीं जताई। आखिर भारत को लेकर चीन का यह दोहरा मानदण्ड क्यों है? भारत को एशिया (Asia) में एक नई उभरती हुई शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।इस वर्ष G20 की मेजबानी, भारत के लिए बढ़ती रणनीतिक और आर्थिक ताकत का लाभ उठाने का एक अच्छा अवसर है।  अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए भारत का भूराजनीतिक महत्व बढ़ गया है। दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत, दुनिया भर में मंद विकास के समय सबसे तेजी से विस्तार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन, भारत-चीन सीमा विवाद को अगले साल के G20 शिखर सम्मेलन में चर्चा करने से रोकना चाहता है। साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के उदय को बढ़ता नहीं देखना चाहता है, इसलिए भारत को लेकर यह दोहरा मानदण्ड अपना रहा है।
अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए भारत का भूराजनीतिक महत्व बढ़ गया है। दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत, दुनिया भर में मंद विकास के समय सबसे तेजी से विस्तार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन, भारत-चीन सीमा विवाद को अगले साल के G20 शिखर सम्मेलन में चर्चा करने से रोकना चाहता है। साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के उदय को बढ़ता नहीं देखना चाहता है, इसलिए भारत को लेकर यह दोहरा मानदण्ड अपना रहा है।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/bdzypnj5
https://tinyurl.com/mvptr9r3
https://tinyurl.com/bde8dwrn
https://tinyurl.com/2wrynkw7
चित्र संदर्भ
1. ‘भारत द्वारा आयोजित G20 आयोजनों के लोगो को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
2. 13 दिसंबर 2014 तक जी-20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के शासनाध्यक्षों को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
3. भारत और चीन के शासनाध्यक्षों को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
4. वसुधैव कुटुंबकम को दर्शाता चित्रण (flickr) 
 
                                         
                                         
                                         
                                        