जौनपुर में पेप्सिको इंडिया प्लांट के उदाहरण से समझिये, होल्डिंग कंपनियां कैसे काम करती हैं?

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जौनपुर में पेप्सिको इंडिया प्लांट के उदाहरण से समझिये, होल्डिंग कंपनियां कैसे काम करती हैं?

होल्डिंग कंपनी (Holding Company) या नियंत्रक कंपनी, एक व्यावसायिक इकाई जैसे कि एक निगम, फर्म या सीमित देयता कंपनी (Limited Liability Company (LLC) होती है। आमतौर पर, एक होल्डिंग कंपनी, कोई भी उत्पाद बनाने या बेचने अथवा कोई अन्य व्यावसायिक संचालन करने के बजाय, अन्य कंपनियों में अपने नियंत्रित स्टॉक (Stock) रखती हैं। सामान्य भाषा में, एक नियंत्रक कंपनी का प्रमुख उद्देश्य अन्य कंपनियों को नियंत्रित करना होता है। होल्डिंग कंपनियों के पास रियल एस्टेट (Real Estate), पेटेंट (Patents), ट्रेडमार्क (Trademarks), और स्टॉक (Stocks) जैसी अन्य संपत्तियां भी हो सकती है। जो व्यवसाय पूरी तरह से एक नियंत्रक कंपनी के स्वामित्व में होते हैं, उन्हें ‘पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां’ (Wholly Owned Subsidiaries) कहा जाता है।
एक नियंत्रक कंपनी के कई लाभ हो सकते हैं, जिनकी सूची निम्नवत दी गई हैं:
१. संपत्ति की सुरक्षा: नियंत्रक कंपनियां, मूल कंपनी को उसकी सहायक कंपनियों के कारण होने वाले नुकसान से बचा सकती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सहायक कंपनियां कानूनी रूप से अलग संस्थाएं होती हैं। और यदि कोई सहायक कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो उसके लेनदार नियंत्रक कंपनी की संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं कर सकते।
२. कर लाभ (Tax Benefits): नियंत्रक कंपनियां विभिन्न कर दरों का लाभ उठा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक नियंत्रक कंपनी को कम कर वाले देश में पंजीकृत किया जा सकता है, जबकि इसकी सहायक कंपनियां अन्य देशों में काम करती हैं। इससे समूह पर कुल कर का बोझ कम हो जाता है।
३. लचीलापन: नियंत्रक कंपनियों को बनाना और प्रबंधित करना अपेक्षाकृत आसान होता है। इससे सहायक कंपनियों को जोड़ना या हटाना या समूह की संरचना को बदलना आसान हो जाता है।
हालांकि, अपनी संरचना के कारण नियंत्रक कंपनी के कुछ नुकसान भी होते हैं, जिनकी सूची निम्नवत दी गई है:
१. पारदर्शिता: नियंत्रक कंपनियां, निवेशकों और लेनदारों के लिए समूह के वित्तीय स्वास्थ्य (Financial Health) का आकलन करना मुश्किल बना सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नियंत्रक कंपनी के वित्तीय विवरण, उसकी सहायक कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकते हैं।
२. दुरुपयोग की संभावना: नियंत्रक कंपनियों का उपयोग सहायक कंपनियों का दुरुपयोग करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मूल कंपनी सहायक कंपनियों को ऐसे लेनदेन में शामिल होने के लिए मजबूर कर सकती है, जो उनके हित में नहीं हैं।
३. जटिलता: नियंत्रक कंपनियां समूह संरचना को जटिल बना सकती हैं। इससे समूह का प्रबंधन करना अधिक कठिन और महंगा हो सकता है। चलिए अब जान लेते हैं कि 2023 में भारत की शीर्ष नियंत्रक कंपनियां कौन सी हैं- १. टाटा संस (Tata Sons): टाटा संस, भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक समूहों में से एक ‘टाटा समूह’ की नियंत्रक कंपनी है। यह समूह ऑटोमोटिव (Automotive), स्टील (Steel), आईटी (IT) और आतिथ्य जैसे उद्योगों में कारोबार करता है। २. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited): रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रिलायंस समूह की नियंत्रक कंपनी है। यह कंपनी तेल, गैस, दूरसंचार और खुदरा जैसे क्षेत्रों में कारोबार करती है।
३. आदित्य बिड़ला समूह: आदित्य बिड़ला समूह एक बहुराष्ट्रीय समूह है, जो धातु, सीमेंट, कपड़ा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में व्यवसाय करता है।
४. महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra): महिंद्रा एंड महिंद्रा भी एक नियंत्रक कंपनी है, जो ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस (aerospace) और कृषि जैसे उद्योगों में व्यवसाय करती है।
५. लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro (L&T): लार्सन एंड टुब्रो इंजीनियरिंग, निर्माण और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत एक अग्रणी भारतीय नियंत्रक कंपनी है।
६. गोदरेज इंडस्ट्रीज (Godrej Industries): गोदरेज इंडस्ट्रीज भारत की एक प्रमुख नियंत्रक कंपनी है, जो उपभोक्ता वस्तुओं, रियल एस्टेट और कृषि सहित विभिन्न उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में व्यवसाय करती है।
७. वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited): वेदांता लिमिटेड एक अग्रणी भारतीय नियंत्रक कंपनी है जो तेल, गैस, धातु और बिजली जैसे क्षेत्रों में व्यवसाय करती है।
८. आईटीसी लिमिटेड (ITC Limited): आईटीसी लिमिटेड भी एक नियंत्रक कंपनी है जो एफएमसीजी (FMCG), आतिथ्य और कागज तथा पैकेजिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करती है।
७. पेप्सिको इंडिया (PepsiCo India): ‘पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड’ (PepsiCo India Holdings Private Limited) भी एक नियंत्रक कंपनी के रूप में काम करती है। यह कंपनी, अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से, पैकेज बोतलें (Package Bottles), स्नैक फूड (Snack Foods), मिनरल वाटर (mineral water), पेय पदार्थ और फल उत्पाद बनाती है। पेप्सिको इंडिया दुनिया भर के ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान करती है। इसके 22-ब्रांड उत्पादों की सूची में लेज़ (Lays), पेप्सी (Pepsi), क्वेकर (Quaker), ट्रॉपिकाना (Tropicana) और गेटोरेड (Gatorade) जैसे भारत के पसंदीदा ब्रांड शामिल हैं। हमारे जौनपुर के सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र में पेप्सिको इंडिया (PepsiCo India) ने आलू चिप्स उत्पादन संयंत्र (Potato Chips Production Plant) भी स्थापित किया है। उसी औद्योगिक पार्क के दूसरे हिस्से में, एक बड़ा पेप्सी पेय बॉटलिंग संयंत्र (Pepsi Beverage Bottling Plant) भी है। हालांकि, यह संयंत्र पेप्सी होल्डिंग समूह का नहीं है, बल्कि पेप्सिको इंडिया की पेय सहायक कंपनी वरुण बेवरेजेज (Varun Beverages) का है।
‘वरुण बेवरेजेज लिमिटेड’ (Varun Beverages Limited (VBL) भारत की एक अग्रणी पेय कंपनी होने के साथ-साथ केवल अमेरिका (America) को छोड़कर दुनिया भर में पेप्सिको की सबसे बड़ी फ्रेंचाइजी (Franchise) में से भी एक है। पेप्सिको इंडिया वरुण बेवरेजेज (Varun Beverages) की होल्डिंग या नियंत्रक कंपनी है। वीबीएल 1990 के दशक से पेप्सिको के साथ जुड़ा हुआ है और ढाई दशकों से अधिक समय से उसने पेप्सिको के साथ अपने व्यापारिक सहयोग को मजबूत किया है।
वीबीएल के प्रमोटर और चेयरमैन (Promoter and Chairman), श्री रवि जयपुरिया, एक प्रतिष्ठित उद्यमी और बिजनेस लीडर (Business Leader) माने जाते हैं। वीबीएल 1990 के दशक से ही पेप्सिको के साथ जुड़ी हुई है और कार्बोनेटेड शीतल पेय (Carbonated Soft Drinks (CSD), गैर-कार्बोनेटेड पेय (non-carbonated beverages (NCB), और पैकेज्ड पेयजल (Packaged Drinking Water) सहित पेप्सिको पेय पदार्थों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन और वितरण करती है। वीबीएल, ‘आरजे कॉर्प समूह’ (RJ Corp Group) का हिस्सा है, जो पेय पदार्थों, त्वरित-सेवा रेस्तरां, आइसक्रीम और स्वास्थ्य सेवा में रुचि रखने वाला एक विविध व्यवसाय समूह है। हाल के वर्षों में वरुण बेवरेजेज लिमिटेड (वीबीएल) की कुछ बड़ी उपलब्धियां निम्नवत दी गई हैं:
2022: पेप्सिको के लिए उत्तर प्रदेश के कोसी के विनिर्माण संयंत्र में कुरकुरे पॉपकॉर्न (Crunchy Puffcorn) का व्यवसायिक उत्पादन शुरू हुआ।
2021: कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक नई सहायक कंपनी ‘वरुण बेवरेजेज आरडीसी एसएएस’ (Varun Beverages RDC SAS) स्थापित की गई।
2019: पेप्सिको से पश्चिम और दक्षिण भारत उप-क्षेत्रों का अधिग्रहण संपन्न हुआ।
2018: जिम्बाब्वे (Zimbabwe) में एक हरित क्षेत्र उत्पादन इकाई की स्थापना की गई।
2018: बड़े स्तर पर ट्रॉपिकाना पोर्टफोलियो (Tropicana Portfolio) की बिक्री और वितरण के लिए एक रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश किया, जिसमें उत्तर और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में ट्रॉपिकाना जूस (Tropicana Juice), गेटोरेड और क्वेकर वैल्यू-एडेड डेयरी (Gatorade and Quaker Value-Added Dairy) शामिल हैं।
2017: पेप्सिको इंडिया के ओडिशा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के पहले फ्रेंचाइजी क्षेत्रों के साथ-साथ बरगढ़ (ओडिशा) और मंडीदीप (मध्य प्रदेश ) में दो विनिर्माण इकाइयों का अधिग्रहण पूरा हुआ।
2017: जाम्बिया (Zambia) की सहायक कंपनी, वरुण बेवरेजेज (जाम्बिया) लिमिटेड में हिस्सेदारी 60% से बढ़कर 90% हो गई।
2016: वीबीएल को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों (Indian Stock Exchanges), एनएसई और बीएसई (NSE and BSE) पर सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया गया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ycy8khsk
https://tinyurl.com/ycxkfc3e
https://tinyurl.com/47etukaz
https://tinyurl.com/4mkabz2z
https://tinyurl.com/bdhpuhbm
https://tinyurl.com/yc2ua6we

चित्र संदर्भ
1. एक कंपनी के वेयर हाउस को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. होल्डिंग कंपनी को दर्शाता एक चित्रण (Prarang)
3. टाटा संस के चेयरमैन नटराजन चन्द्रशेखर जी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. मुकेश अंबानी जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पेप्सिको के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पेप्सिको कॉर्पोरेट मुख्यालय की इमारत को दर्शाता एक चित्रण (flickr)